महाभारत: कर्ण की अनोखी प्रेम कहानी, नहीं हो सका था विवाह


स्टोरी हाइलाइट्स

महाभारत: कर्ण की अनोखी प्रेम कहानी, नहीं हो सका था विवाह महाभारत में वैसे तो कई पात्र हैं। लेकिन कर्ण की कहानी कुछ अलग है। कुंती पुत्र कर्ण के बारे में जितना लिखा और पढ़ा गया है, उससे यही जाहिर होता है कि वह महादानी और दुर्योधन का प्रिय मित्र था। द्रोपदी कर्ण से विवाह करना चाहती थीं, हुआ यूं कि द्रोपदी कर्ण का चित्र देखकर उन्हें पसंद करने लगी थीं। जब स्वयंवर का दिन आया तो द्रोपदी की दृष्टि सभी राजाओं और पांडवों में से कर्ण को ढूंढ़ रही थी। लेकिन, द्रोपदी को जब पता चला कि कर्ण एक सूतपुत्र हैं और अगर उसका विवाह कर्ण से होता है तो वो जीवनभर एक दास की पत्नी के रूप में पहचानी जाएगी। इसलिए कर्ण की वजह उन्होंने पांडवों का वरण किया। और इस तरह कर्ण की द्रोपदी से विवाह की ख्वाहिश पूरी न हो सकी। इसलिए बाद में उसने दो विवाह किए। कर्ण का पहला विवाह वरुशाली के साथ हुआ। वरुशाली दुर्योधन के सारथी सत्यासेन की सुशील और सुंदर कन्या थी। कर्ण की मृत्यु के बाद वरुशाली उसकी चिता पर सती हो गई थी। कर्ण की दूसरी पत्नी थी सुप्रिया जो कि दुर्योधन की पत्नी भानुमती की सहेली थी। सुप्रिया के दो पुत्र थे वृशासेन और सुशेन, जिन्होंने आगे कर्म का वंश चलाया। दुर्लभ बात यह भी है कि तमिल साहित्य में कर्ण की पत्नी का नाम पोन्नारुवि बताया गया है।