मातंगिनी हाजरा: 29 सितम्बर 1942 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी -रमेश शर्मा


स्टोरी हाइलाइट्स

स्वतंत्रता सेनानी मातंगिनी हाजरा का जन्म बंगाल के मिदनापुर जिले के गाँव होगला में हुआ था । परिवार निर्धन था पढ़ाई लिखाई न हुई ......

मातंगिनी हाजरा का बलिदान -रमेश शर्मा स्वतंत्रता सेनानी मातंगिनी हाजरा का जन्म बंगाल के मिदनापुर जिले के गाँव होगला में हुआ था । परिवार निर्धन था पढ़ाई लिखाई न हुई बारह वर्ष की आयु में उनसे पचास वर्ष बड़े त्रिलोचन हाजरा से विवाह हो गया । विवाह के समय पति की आयु 62 वर्ष थी । दाम्पत्य जीवन अधिक न चला । वे मजदूरी करके जीवन यापन करने लगीं और समाज सेवा भी 1932 से वे स्वतंत्रता संग्राम में जुड़ गयीं । वे बंगाल के टुमलुक क्षेत्र में रहतीं थीं । समाज सेवा के कारण क्षेत्र में उनका बहुत परिचय और प्रभाव था । स्वतंत्रता के लिये 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन आरंभ हुआ । इस आँदोलन के चलते 8 सितम्बर को एक बड़ा जुलूस निकला पुलिस ने गोली चलाई और तीन लोग शहीद हुये । इससे क्षेत्र में गुस्सा फैला । पुलिस की बर्बरता के विरुद्ध पुनः आँदोलन और जुलूस निकालने का निर्णय हुआ । इसके लिये 29 सितम्बर की तिथि हुई । स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मातंगिनी हाजरा ने गाँव गाँव जाकर लोगों को को जागृत किया । निर्धारित तिथि आयी । लगभग पाँच हजार का समूह एकत्र हुआ । यह 29 सितम्बर 1942 का दिन था । मातंगिनी जी झंडा लेकर आगे चल रहीं थीं । वंदेमातरम के नारे लग रहे थे । पुलिस ने रोका । वे न रुकीं । गोली चली, पहली गोली दाहिने हाथ में लगी, उन्होंने बायं हाथ में झंडा ले लिया । पुलिस ने दूसरे हाथ में भी गोली मारी । मातंगिनी ने झंडा दूसरे को दिया लेकिन वंदेमातरम का उद्घोष जारी रखा । पुलिस ने तीसरी गोली मारी । वे राष्ट्र और भारौ की स्वतंत्रता के लिये बलिदान हो गयीं । देह धरती पर गिर पड़ी । पुलिस का दमन चालू हुआ और असंख्य लोगों के प्राण गये ।