जिंदगी को मीनिंगलेस बनाकर मीनिंगफुल कैसे बन सकते हैं? :BY अतुल विनोद

How can we become meaningful by making life meaningless?

 
यह बात थोड़ी अजीब लगती है कि जिंदगी को मीनिंगलेस बनाकर मीनिंगफुल कैसे बन सकते हैं। 
 
अक्सर हमें यही सिखाया जाता है कि मीनिंगफुल बनिये, लाइफ को मीनिंग फुल बनाईये, हर कार्य को मीनिंग फुल बनाईये। 
 
बात किसी भी दृष्टिकोण से गलत नहीं है। 
 
लेकिन कई बार हम हर चीज को मीनिंग देने के लिए गंभीरता की ऐसी चादर ओढ़ लेते हैं जो लाइफ को सरल बनाने की बजाय जटिल बना देती है।
 
जटिलता और गंभीरता लाइफ के मायने नहीं हैं। 
 
लाइफ में वैसे ही बहुत सारे कॉम्प्लिकेशन हैं। लाइफ स्वाभाविक रूप से उतार-चढ़ाव से भरी रहती है। ऐसे में उस में और ज्यादा वजन डालना क्या मतलब का है।
 
भारी सामान के साथ चढ़ाई कठिन हो जाती है। ऐसे ही जीवन है जीवन को जितना भारी बनाएंगे उतना ही कठिन हो जाएगा।
 
लाइफ को जितना हल्का बनाएंगे उतनी ही तेजी से आगे बढ़ेगी।
 
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखें तो हम जिन बातों को मीनिंगफुल समझते हैं शायद प्रकृति के लिए उनके कोई मायने नहीं हैं।
 
आप जिन चीजों को बहुत ज्यादा महत्व देते हैं ईश्वर शायद ही उससे प्रभावित होता है।
 
आप गंभीरता का लबादा ओढ़लें, आप बहुत ज्यादा जिम्मेदार बनने का भ्रम पाल लें, अपने काम को जरूरत से ज्यादा महत्व दें। लेकिन आपके काम क्या प्रकृति के लिए महत्वपूर्ण हैं?
 
आप जो जॉब कर रहे हैं क्या उससे प्रकृति को कोई सहायता मिलती है? क्या ईश्वर को आपके उस काम से सुकून मिलता है? 
 
निश्चित रूप से कोई काम हमारे लिए मीनिंग फुल हो सकता है लेकिन इस सृष्टि के लिए नहीं।
 
जो काम हमारे लिए मीनिंग फुल है सिर्फ हमारी लाइफ को वर्थ प्रदान करता है, और प्रकृति को नुकसान करता है, ईश्वर के नियमों के खिलाफ जाता है, ऐसे मीनिंगफुल काम का कोई ज़्यादा महत्व नहीं है। लाइफ में सिर्फ वही काम मीनिंग फुल है जो ईश्वरीय नियमों के अनुसार है, सृष्टि की मदद और सहायता के लिए है, मानव जाति के कल्याण के लिए है। बाकी सारे काम किसी महत्व के नहीं हैं।
 
इसलिए हर चीज को मीनिंग देने की कोशिश करना जरूरी नहीं है।
 
मीनिंग तो इस जीवन का भी नहीं क्योंकि सब कुछ करने के बाद यह जीवन खत्म हो जाता है। लेकिन फिर भी इसे जीना पड़ता है। तो लाइफ को उसी तरह से लें जैसा कि ईश्वर ने इसे बनाया है।
 
यह संसार एक रंगमंच है हम उस रंगमंच के एक अभिनेता हैं।
 
अभिनय को गंभीरता से लेना चाहिए लेकिन एक सीमा में।
 
लाइफ को बहुत ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड नहीं बनाना चाहिए। हर चीज किसी मतलब के लिए नहीं होती।
 
बिना किसी मतलब के भी कुछ काम करने पड़ते हैं। हो सकता है कि पेड़ लगाना हमारे किसी मतलब का नहीं।हमारे व्यक्तिगत जीवन के लिए मीनिंग फुल ना हो लेकिन तब भी उसका अपना महत्व है। 
 
बेहतर और संवेदनशील इंसान बनना सेल्फ के लिए मीनिंग फुल ना हो  लेकिन वह भी जरूरी है। आमतौर पर हमारी सोच बन गई है कि जो काम समाज की सेवा से जुड़ा है, प्रकृति के संरक्षण से जुड़ा है, ईश्वरीय नियमों से जुड़ा है, उसे हम मीनिंगलेस कहते हैं, इन कामों में लगने से हमें सराहना नहीं मिलती। लोग कहते हैं कि इन फिजूल बातों का क्या मतलब है। ऐसे काम मत करो जो आपकी खुद की तरक्की में कोई योगदान नहीं देते हैं। लेकिन सोचिए कि इन्हीं मीनिंगलेस कामों में लगे लोगों के कारण हम मीनिंग फुल हैं।
 
इतनी सारी चीजें जो हमें मिली है वह उस व्यक्ति के लिए मीनिंगफुल नहीं थी जिसने इन्हें इजाद किया। आजादी की लड़ाई के लिए जान देना आजादी के नायकों के लिए जरूरी नहीं था लेकिन उनके इस मीनिंग लेस काम के कारण ही आज हमारी लाइफ मीनिंग फुल है।
 
दुनिया मीनिंगलेस चीजों से ही चलती है इसलिए मीनिंग लेसबनिए मीनिंगफुल तो हम बन ही जाएंगे।
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