ट्विटर पर एक्शन काफी नहीं, देश में अश्लीलता/पोर्नोग्राफी एक बड़ी समस्या|  समाज में  मानसिक शुद्धि के लिए युद्ध की जरूरत| 


स्टोरी हाइलाइट्स

ट्विटर पर एक्शन काफी नहीं, देश में अश्लीलता/पोर्नोग्राफी एक बड़ी समस्या| समाज में  मानसिक शुद्धि के लिए युद्ध की जरूरत| Pornography is a Big Problem

ट्विटर पर एक्शन काफी नहीं, देश में अश्लीलता/पोर्नोग्राफी एक बड़ी समस्या|  समाज में  मानसिक शुद्धि के लिए युद्ध की जरूरत|    ट्विटर पर बाल यौन सामग्री उपलब्ध होने पर सरकारी एजेंसियां सख्त हैं|  न सिर्फ टि्वटर बल्कि फेसबुक यूट्यूब  इंस्टाग्राम  सहित तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अश्लीलता से भरे पड़े हैं|  इनमें ढूंढने पर हर तरह की वल्गर सामग्री मिल जाएगी|  विकृत मानसिकता के लोगों ने तमाम प्रतिबंधों के बावजूद भी नए नए तरह से अश्लीलता परोसने का जरिया तलाश लिया है|   रिश्तों को कलंकित करने वाले वीडियोस की भरमार है|  इसके साथ ही सेक्सी और पोर्न टेक्स्ट और फोटोस भी लाखों करोड़ों की संख्या में हैं|    ये भी पढ़ें : ट्विटर के खिलाफ पोस्को और आईटी एक्ट के तहत केस, दिल्ली पुलिस ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी मामले में अकाउंट की जानकारी मांगी   यौन अपराध की बढ़ती घटनाओं के पीछे एक बड़ी वजह मोबाइल फोन पर अश्लील सामग्री सहज सुलभ होना है। यह पूरे समाज के लिए गहन चिंता का विषय बनना चाहिए। राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू ने अश्लीलता के प्रसार को रोकने के लिए सांसदों की एक समिति से कारगर सुझाव देने के निर्देश देकर इस गंभीर समस्या की ओर देश का ध्यान आकर्षित किया था। संचार तकनीक और खासकर मोबाइल फोन के जरिए पोर्नोग्राफी का जैसा प्रसार हो रहा है, वह केवल संसद ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए भी गहन चिंता का विषय बनना चाहिए।    इससे कोई इनकार नहीं कर सकता कि संचार तकनीक के जरिए फैल रही अश्लीलता/पोर्नोग्राफी ने एक गंभीर सामाजिक समस्या का रूप ले लिया है।    पोर्न एडिक्शन : क्या अश्लीलता देखना एक मनोरोग है। इसके क्या नुकसान हैं? वो सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं।   सेक्स क्राइम की बढ़ती घटनाओं के पीछे एक बड़ी वजह मोबाइल फोन पर अश्लील/पोर्न सामग्री सहज सुलभ होना है। सेक्स कंटेंट, पोर्न एक्टिविटी पर आसानी से रोक-टोक संभव नहीं है, इसलिए बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री भी मोबाइल फोन का हिस्सा बन रही है। हालांकि चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर रोक न लग पाने पर पहले भी विभिन्न स्तरों पर चिंता जताई जा चुकी है, लेकिन उससे कुछ हासिल नहीं हुआ। अभी तक करीब सैकड़ों वेबसाइट्स प्रतिबंधित की गई हैं और कुछ लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। इसमें संदेह है कि इससे बात बनने वाली है। यह धारणा सही नहीं साबित हुई कि यौन अपराध निरोधक कानून कठोर कर देने भर से दुष्कर्म की घटनाओं पर लगाम लगाई जा सकती है। महिलाओं और यहां तक कि बच्चियों के साथ रेप की तमाम घटनाओं में यह सामने आया है कि अपराधी तत्व मोबाइल पर अश्लील वीडियो देखने के आदी थे। कई मामलों में यह भी सामने आया कि अपराधियों ने दुष्कर्म की घटना का वीडियो बना लिया।    सेक्स क्राइम पर काबू के लिए पोर्नोग्राफी पर पूरा बैन ज़रूरी -दिनेश मालवीय   कुछ मामलों में तो घटना की जानकारी ही तब हुई, जब ऐसे वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिए गए। आखिर कोई यह क्यों नहीं समझ पा रहा कि सस्ता मोबाइल डाटा अश्लीलता/पोर्नोग्राफी और अपराध का जरिया बन रहा है? अगर यह माना रहा है कि सस्ता मोबाइल डाटा ज्ञान के प्रसार में सहायक हो रहा है तो यह एक खुशफहमी ही है। टेलीकॉम कंपनियों की ओर से सस्ती दर पर उपलब्ध कराए जाने वाले डाटा का 80 प्रतिशत इस्तेमाल मनोरंजन करने और साथ ही अश्लील सामग्री देखने में खप रहा है। बेहतर हो कि सस्ते डाटा को महंगा किया जाए। इससे दोहरे लाभ होंगे। एक तो सामाजिक समस्या बन गई अश्लीलता का प्रसार धमेगा और दूसरे, टेलीकॉम कंपनियों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।   ये भी पढ़ें पोर्नोग्राफी के दैत्य को नहीं मारा तो यह पूरे समाज को चट कर जाएगा चाइल्ड पोर्न देखना भी है अपराध, बच्चों को फंसने से ऐसे बचाएं| कहीं आप भी न हो जाएं सायबर क्राइम के शिकार