आखिर अजय मिश्र को क्यों नहीं हटा रही मोदी सरकार, क्या चमत्कार की है दरकार..ATUL PATHAK


स्टोरी हाइलाइट्स

लखीमपुर खीरी में जो घटना हुई वह चौंकाने वाली है| घटना के जो वीडियो सामने आ रहे हैं, उससे साफ नजर आता है कि किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाई गई|

आखिर अजय मिश्र को क्यों नहीं हटा रही मोदी सरकार, क्या चमत्कार की है दरकार.. अतुल विनोद लखीमपुर खीरी में जो घटना हुई वह चौंकाने वाली है| घटना के जो वीडियो सामने आ रहे हैं, उससे साफ नजर आता है कि किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाई गई| हालांकि जो दिखता है वह हमेशा सच नहीं होता| मोदी और योगी सरकार भी यही मानकर चल रही है कि घटना को जिस तरह से प्रस्तुत किया जा रहा है, वह वैसी नहीं है| घटना के पीछे जो एंगल बीजेपी और उसकी सरकार को दिखाई दे रहा है “फिलहाल” विरोधियों से बिल्कुल उलट है| दिखने में तो साफ नजर आ रहा है कि एक गाड़ी आती है और किसानों के ऊपर चढ़ जाती है| हालांकि यह बात समझ से परे है कि कोई क्यों इतनी भीड़ के बीच लोगों के ऊपर गाड़ी चढ़ाने की हिमाकत करेगा? ऐसा वही कर सकता है जिसका दिमाग फिर गया हो, या ऐसा करने को मजबूर हो गया हो| क्योंकि यह बात तय है कि यदि ऐसा किया जाएगा तो उसकी प्रतिक्रिया होगी और प्रतिक्रिया को संभालना उस गाड़ी में बैठे एक दो लोगों के बस की बात नहीं होगी? हुआ भी यही जो गाड़ी चला रहा था उसे भीड़ ने पीट पीट कर मार डाला| क्या गाड़ी चलाने वाला पागल था जो उसने ऐसा किया.. विरोधियों की थ्योरी यह कहती है कि सत्ता के मद में चूर गाड़ी में बैठे अजय मिश्रा के बेटे आशीष के इशारे पर ड्राइवर ने लोगों पर गाड़ी चढ़ा दी| यदि वाकई ऐसा है तो इससे बड़ा जुर्म कोई हो नहीं सकता! ड्राइवर को लोगों ने सजा दे दी, अजय मिश्रा के बेटे को सजा मिलनी बाकी है|  लेकिन दूसरी थ्योरी यह कहती है कि गाड़ी में अजय मिश्रा का बेटा मौजूद नहीं था| गाड़ी के ऊपर जोरदार हमला किया गया| किसान गाड़ी का पीछा करने लगे, गाडी पर पथराव किया जाने लगा और बौखलाहट में ड्रायवर ने स्पीड बढ़ा दी, गाड़ी तेजी से आगे बढ़ी जिससे कई लोग उसकी चपेट में आ गए, अजय मिश्रा का बेटा उसमें मौजूद नहीं था| हालांकि ऐसी घटनाएं जब होती है तो लोगों के आक्रोश से बचने के लिए उस पर भी f.i.r. दर्ज की जाती है जो घटना के दौरान मौजूद नहीं था| जैसा कि अजय मिश्रा मानकर चल रहे हैं कि आशीष मिश्रा मौजूद नहीं था फिर भी उसके ऊपर एफ आई आर दर्ज की गई| लखीमपुर की घटना को लेकर योगी आदित्यनाथ का कहना है कि अजय मिश्र टेनी के पुत्र का अभी तक हाथ होने का कोई भी साक्ष्य सामने नहीं आया है। यदि आशीष मिश्र टेनी वहाँ मौजूद था तो सुबूत खुद बोलेंगे, इतने मोबाइल में कोई तो उसे केप्चर कर रहा होगा? लेकिन यदि आशीष मिश्र कि मौजूदगी साबित नहीं हुयी तो विपक्ष के इतने बबंडर से क्या निकलेगा? पीड़ित परिवार और विपक्ष केंद्रीय मंत्री आशीष मिश्रा का इस्तीफा मांग रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजय मिश्र से इस्तीफा नहीं लिया है| निश्चित ही प्रधानमंत्री के पास इस घटनाक्रम को लेकर सारी जानकारियां मौजूद हैं| इस्तीफा लेकर प्रधानमंत्री मोदी आशीष मिश्रा और अजय मिश्रा को जांच के नतीजे आए बिना अपराधी घोषित करने के मूड में नहीं हैं|  जैसा कि मोदी का नेचर रहा है कि वह विरोधियों के दबाव में कोई फैसला नहीं लेते, वह ठंडे दिमाग से काम लेते हैं और समय आने पर अपने फैसले से चौका भी देते हैं| तो क्या आशीष मिश्रा और अजय मिश्रा गुनाहगार नहीं हैं.. अभी तक ऐसा कोई वीडियो सामने नहीं आया है जिसमें आशीष मिश्रा के घटनास्थल पर होना दिख रहा हो| एक व्यक्ति गाड़ी से उतरकर भागते हुए दिखाई दे रहा है, जिसे आशीष मिश्र बताया जा रहा है लेकिन कद काठी से साफ नजर आ रहा है कि वह आशीष मिश्रा नहीं है| निश्चित ही यदि वहां आशीष मिश्रा होता तो ड्राइवर की तरह शायद उसका भी हश्र वही होता| हो सकता है आशीष मिश्र वहां पर ना हो|  तो क्या आशीष मिश्र के इशारे पर उसके ड्राइवर ने इतने लोगों पर गाड़ी चढ़ा थी.. ऐसा कोई सियासत का कच्चा खिलाड़ी ही कर सकता है| जिसका पिता केंद्र में गृह राज्य मंत्री हो और आने वाले समय में खुद के लिए भी सियासत का कालीन आगे बढ़ने के लिए दिखाई दे रहा हो| कोई नादान ही होगा जो अपने ड्राइवर को इस तरह से लोगों पर गाड़ी चढ़ाने का निर्देश देगा? और यदि ऐसा हुआ है तो निश्चित ही यह सत्ता का मद है और इसे चूर-चूर किया जाना चाहिए| अब बात आती है कि मोदी ने अजय मिश्रा को क्यों नहीं हटाया? अजय मिश्रा ब्राह्मण समाज से आते हैं| कहा जा रहा है कि ब्राह्मणों को बीजेपी नाराज नहीं करना चाहती, इसलिए अजय मिश्र के मामले में बहुत सोच समझकर कदम उठाया जा रहा है| स्पष्ट सबूत आने के बाद ही अजय मिश्रा को कैबिनेट से हटाया जाएगा| यूपी में ब्राह्मणों की 11 फ़ीसदी आबादी है| विकास दुबे एनकाउंटर और लक्ष्मीकांत वाजपेई जैसे दिग्गज ब्राह्मण नेताओं के साइडलाइन कर दिए जाने के बाद कहा जा रहा है कि यह वर्ग योगी सरकार से नाराज है| यह भी कहा गया कि ब्राह्मणों को योगी सरकार निशाना बना रही है| इस धारणा को बीजेपी और मजबूत नहीं होने देना चाहती, इसलिए आशीष मिश्रा के मामले में जो भी कदम उठाया जाएगा, पर्याप्त सबूतों के बाद ही उठाया जाएगा| नरेंद्र मोदी के मंत्रियों पर पहले भी आरोप लगे हैं निहालचंद पर रेप के आरोप लगे लेकिन उन्हें लंबे समय तक मंत्री पद पर बरकरार रखा गया, एमजे अकबर पर मीटू के आरोप लगे उनसे इस्तीफा लिया गया, लेकिन वह बीजेपी में है और राज्यसभा सांसद भी हैं| राजन गोहेनः पर रेप के आरोप लगे वह लोकसभा चुनाव तक मंत्री बने रहे इसके बाद उनका टिकट काटा गया|   कुल मिलाकर नरेंद्र मोदी आवेश में आकर अपने मंत्रियों को नहीं हटाते| कहा जाता है वह वक्त आने पर उचित फैसला लेते हैं, उम्मीद है लखीमपुर खीरी कांड के बाद वह बहुत गंभीरता से फैसला लेने पर विचार कर रहे होंगे|