रामायण के अलावा और कौन सी चीजें है जो हमें अचानक कई साल पीछे चले जाने का आभास दे रही हैं?


स्टोरी हाइलाइट्स

28 मार्च को देश में कई लोगों की सुबह रामानंद सागर के मशहूर धारावाहिक रामायण के साथ हुई. 1980 के दशक में देश की सड़कें सूनी कर देने वाला यह धारावाहिक दिन

रामायण के अलावा और कौन सी चीजें है जो हमें अचानक कई साल पीछे चले जाने का आभास दे रही हैं?
  24 मार्च 2020 को 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अगर इन दिनों लोगों ने सावधानी नहीं बरती तो देश 21 साल पीछे चला जाएगा. ऐसा होगा या नहीं, यह तो अब लॉकडाउन खत्म होने के बाद ही पता चल पाएगा, लेकिन फिलहाल कुछ चीजें हुई हैं जो जरूर कइयों को वक्त में पीछे ले गई होंगी.
डीडी पर रामायण

28 मार्च को देश में कई लोगों की सुबह रामानंद सागर के मशहूर धारावाहिक रामायण के साथ हुई. 1980 के दशक में देश की सड़कें सूनी कर देने वाला यह धारावाहिक दिन में दो बार दूरदर्शन पर प्रसारित होगा. एक बार सुबह नौ बजे और दूसरी बार रात को नौ बजे (रिपीट टेलीकास्ट.)

दूरदर्शन पर इन दिनों तीन दशक पुराने उसे दौर के कई और यादगार धारावाहिक भी दिखाए जा रहे हैं जिनमें बीआर चोपड़ा के महाभारत के अलावा ब्योमकेश बख्शी और सर्कस शामिल हैं. सोशल मीडिया पर इसकी खासी चर्चा हो रही है. कई लोगों ने लिखा कि रामायण देखते हुए वे वक्त में पीछे लौट गए. कुछ ने चुटकी लेते हुए यह भी लिखा कि जब टीवी पर रामायण आती थी तो सड़कों पर कर्फ्यू लग जाता था और आज जब सड़कों पर कर्फ्यू है तो टीवी पर रामायण आ रही है.'

प्रदूषण का पत्ता साफ

खास तौर पर देश के शहरों की बात करें तो इन दिनों वहां हवा इतनी साफ है कि कइयों को यकीन नहीं हो रहा. दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के ज्यादातर इलाकों में इन दिनों एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 50 से नीचे है जिसे अच्छा कहा जाता है. बीते दिसंबर में ही यह 300 से 400 के बीच घूम रहा था जिसे बेहद खराब माना जाता है.

लॉकडाउन के चलते सड़कों पर वाहनों की आवाजाही न के बराबर है. निर्माण कार्य बंद है. इसका असर वायु प्रदूषण पर हुआ है. दिल्ली के करोलबाग इलाके में रहने वाले सुदेश कालरा कहते हैं, 'मुझे याद नहीं कि साल के इस वक्त इतनी साफ हवा मैंने कब देखी होगी.'
अपने घर जाते लोग और बंटवारे की याद 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान किया और अगले ही दिन देश के प्रमुख राजमार्गों पर पैदल चलते लोगों की कतारें दिखने लगीं. कोई दिल्ली से अमरोहा जा रहा था तो कोई जयपुर से सुपौल. कई परिवार थे जिनके एक सदस्य के सिर पर सामान की गठरी थी तो दूसरे की गोद में कुछ महीनों का बच्चा. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने लिखा कि ऐसी ही तस्वीरें 1947 में भारत पाकिस्तान के बंटवारे के वक्त भी दिखी थीं. आलोचना से घिरी कई राज्य सरकारों ने इसके बाद इन बेहाल लोगों के खाने-पीने और उन्हें घर पहुंचाने का प्रबंध करने का ऐलान किया.