"सावधान!आगे का रिश्ता बंद है !!"-व्यंग्य


स्टोरी हाइलाइट्स

दुनिया मे एक भी आदमी ऐसा नही है जो घटनाओं को खुद आमंत्रित करे।

दुनिया मे एक भी आदमी ऐसा नही है जो घटनाओं को खुद आमंत्रित करे। लेकिन इन्ही मे से निन्यानवे प्रतिशत लोग एक लोमहर्षक घटना को आमंत्रित करने मे लाखों खर्च करते है। शादियाँ फोकट मे नही होती।और दुनिया मे इससे बड़ी घटना भी नही होती। शादी की सफलता खुद एक बड़ी घटना है।असफलता तो घटना है ही। सफलता पूर्वक जीवन निर्वहन करने के लिये आदमी को जाने कितने धर्म संकटों का सामना करना पड़ता है। दादा किशोरी लाल गाँव से आकर नये नये शहरी हुये ही थे की एक शुद्ध शहरी छोकरी के बाप ने उन्हें पटा लिया। दादा ने लड़की को देखा तो एक हजार बाट के लट्टू जल गये दिल मे। कुछ दिनों के लिये बाकी सब कुछ दिखना बंद हो गया। शादी होने के तीन दिन बाद दादा को तब दिखना शुरु हुआ जब नई नवेली पत्नी ने पहली बार मे ही "देख लेने की धमकी" दे दी। दादा को ऐसा लताड़ा की उनके होश उड़ गये। दादा के पिटने मे पाँच दस इंच से निशाना चूक गया। वरना बेलन सीधे नाक के निशान पर ही फेंका था।पतियों की नाक भले ही नही हो पर प्यारी बहुत होती है। दादा नीचे से ऊपर तक भीषण सर्दी मे भी पसीने से नहा गये। फिर इस घटना की पुनर्रावृत्ति होती रही। एक दिन ऐसा लगा जैसे भीषण सर्दी मे कपड़े उतार कर किसी ने रोड पर जुलूस निकाल दिया हो। पत्नी ललिता पवाँर की स्टाइल मे पहले बिफरी फिर दादा को पटक कर गला पकड लिया। दादा जैसे तैसे छूटकर ओमप्रकाश की स्टाइल मे हकलाते हुये भागे। जाकर पत्नी की क्रूरता से ससुर को अवगत कराया। ससुर गुर्राया। बड़े ससुराल का डर दिखाया। दादा फंँस चुके थे। घटनायें और ज्यादा घटने लगी। दादा की साँसें घुटने लगी। सर्दी मे पसीने से नहाना,गर्मी मे सर्दी से काँपना और बरसात मे आँसुओं से भींगना रोज का काम हो गया। परेशान दादा ने "मैरिज मैनेन्ज" स्कूल खोल लिया। खुद की शादी मैनेन्ज कर नही पा रहे थे। दूसरों को मैनेन्ज के गुण सिखा रहे थे। पूरा देश भी ऐसे ही चलाया जा रहा है। दादा के मैरिज मैनेन्ज केन्द्र मे एक दो बार तो पुलिस भी पहुँचाई गई। वो तो भला हो भारतीय मुद्राओं का, जिनकी कृपा से पुलिस पिघल जाती है।पुलिस और मुद्रा का रिश्ता सात जन्मों का है। ये रिश्ता नही होता तो न जाने कितने पतियों की ससुराल होते थाने। खैर,दादा के घर एक साल बाद एक बेटे का जन्म हुआ। पत्नी बीमार रहने लगी। दादा के लिये सुखद किन्तु आर्थिक रूप से झकझोर देने वाली घटना थी। जिसने तड़पाया उसी को बचाने इलाज कराना पड़ रहा है।उस मानसिक बीमार को अब शारीरिक रोग ने भी पूरी तरह जकड़ लिया। कैंसर हो गया। तीन साल के संघर्ष के बाद पत्नी स्वर्गीय हो गई । दादा की आर्थिक स्थिति भी स्वर्ग सिधार गई। लड़का तीन साल का हो ही चुका था। ससुर ने दूसरी घटना के रूप मे अपनी छोटी बेटी से शादी का दबाव बनाया। दादा ने घटना का प्रस्ताव ठुकराया।और अब उल्टे ससुर को धमकाया-" बुड्ढे तूने बहुत सताया है। मेरी शादी को घटना बना दिया। लड़की की इतना सिर चढ़ाया कि वो पति और नौकर मे अंतर ही नही जानते थी। उसने बड़े बाप का घमंड दिखा कर खूब रौंब जमाया। भविष्य मे जबरदस्ती शादी की बात की तो अब तू बड़े ससुराल जायेगा। ब्लेक मेलिंग का केस ठोकूँगा।" तीन साल के बच्चे को पालना पुरुष के लिए किसी घटना से कम नही! दूसरी जानी पहचानी घटना बच्चे की सौतेली माँ के रूप मे फिर से प्रकट ना हो। इसलिये दादा ने घर के बाहर बोर्ड लगा दिया। शादी के लिये आने वालों "सावधान!आगे का रिश्ता बंद है !!"