आयुर्वेद डॉक्टरों को अब राज्य में एलोपैथिक दवाएं लिखने की अनुमति, IMA ने किया विरोध


स्टोरी हाइलाइट्स

आयुर्वेद डॉक्टरों को अब राज्य में एलोपैथिक दवाएं लिखने की अनुमति, IMA ने किया विरोध एलोपैथी और आयुर्वेद के बीच टकराव बाबा रामदेव के बयानों के कारण हुआ था...

आयुर्वेद डॉक्टरों को अब राज्य में एलोपैथिक दवाएं लिखने की अनुमति, IMA ने किया विरोध एलोपैथी और आयुर्वेद के बीच टकराव बाबा रामदेव के बयानों के कारण हुआ था। अब विवाद और तेज हो गया है। हालांकि इस बार विवाद के लिए बाबा रामदेव नहीं बल्कि उत्तराखंड सरकार का फैसला जिम्मेदार है। इस राज्य में सरकार ने आयुर्वेदिक डॉक्टरों को एलोपैथिक दवाएं लिखने की अनुमति दे दी है। जिसका भारतीय चिकित्सा परिषद ने विरोध किया है और राज्य सरकार के निर्णय को अवैध घोषित किया है। हालांकि सरकार के आयुष मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि आयुर्वेदिक डॉक्टरों की लंबे समय से प्रतीक्षित मांग को मुख्यमंत्री ने मंजूरी दे दी है। आयुर्वेदिक डॉक्टरों ने लंबे समय से मांग की है कि हमें उत्तराखंड के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश में भी एलोपैथिक दवाएं लिखने की अनुमति दी जाए।  सरकार ने इन्हें मंजूरी दे दी है और इससे स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। आपात स्थिति में वे एलोपैथिक दवाएं लिख सकेंगे। हमें उम्मीद है कि राज्य के दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोग इससे लाभान्वित होंगे, क्योंकि ऐसे क्षेत्रों में एलोपैथिक डॉक्टरों की भारी कमी है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की उत्तराखंड शाखा ने कहा कि निर्णय विरोधाभासी था। एक तरफ आयुर्वेद के डॉक्टर एलोपैथी पर सवाल उठाते हैं तो दूसरी तरफ एलोपैथिक दवाएं खुद ही लिखवाना चाहते हैं। ऐसा लगता है कि राज्य सरकार को कानूनों की जानकारी नहीं है। यह फैसला अवैध है। गौरतलब है कि जब बाबा रामदेव ने एलोपैथी के खिलाफ बयान दिया था तो उनका सबसे बड़ा विरोध इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के खिलाफ था।