बघेलखंड की पहेलियाँ -दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

बघेलखंड की पहेलियाँ -दिनेश मालवीय मध्यप्रदेश का बघेलखंड अंचल वीरों की भूमि होने के साथ-साथ साहित्यिक और सांस्कृतिक रूप से भी बहुत समृद्ध है. हर एक अंचल की तरह यहाँ भी अनेक पहेलियाँ प्रचलित हैं. इनका संकलन श्री बाबूलाल दहिया ने किया है. 1. अइसन सुंदर अस सुकुमार, बीच म चीकन कगर म बार एक बहुत सुंदर और सुकुमार है, जिसके बीच वाले भाग में साफ़ मैदान है और किनारे-किनारे बाल हैं. (आँखें) 2. अग्नि कुण्ड से निकर के, जल कुंडी म जाय अग्नि कुंड से निकलकर वह जलकुंड में चला जा रहा है. (उड़द का बड़ा) 3. अड़बड़ बिलारी सके पूछ म सींग एक अद्भुत ढंग की बिल्ली है, जिसके पूँछ में सींग है (बिच्छू) 4. अत्थर  पर पत्थर पर जंजाल, मोर किहानी कोऊ न जानै जानै भैयालाल पेड़ के ऊपर पत्थर और पत्थर के ऊपर्र जंगल उगा हुआ है, पर मेरी इस पहेली को भैयालाल के सिवाय कोई नहीं जनता. (नारियल का फल) 5.अक्कास केर परबा धरती केर दिया, सगला दिन चक्र चला धूर कहाँ गिरा आकाश के ढक्कन और धरती का दीपक है. सारे दिन चक्र चला पर धुल कहीं नहीं गिरी. (सूर्य) 6. अन्न खाय ना पानी पिये, ठाढ़े मिरगा चूं चूं करे न तो वह अन्न खाता है न पानी पीटा है. वह मृग खड़े-खड़े चूं-चूं करता रहता है. (किवाड़) 7. अरिया मा लोलारिया नाचै आले में बैठी एक पुतली नाच रही है (जीभ) 8. अली का लड़का महाबली, खपरा फ़ॉर के करे गली अली का पुत्र महाबलवान है, वह छप्पर के कबेलू फोड़कर रास्ता बना लेता है (धुआं) 9. अस्सी भइंस पचासी अड्बा, फिरगै भइंस कचर गे अड़बा अस्सी भैंस और पचासी अंडे हैं. जैसे ही भैंस घूमती है, सभी अंडे फूट जाते हैं. (चक्की) 10. अहारे गयों पहारे गयों, लाल बीजा गाड़े गयों मैं अहाड़ पहाड़ जाता हूँ और घर में लाल रंग के बीज को गाड़ देता हूँ (आग) 11.अहारै पहारै गयों, झुलनी झुलाये गयों मैं पहाड़ जंगल जाता हूँ, तो घर में झुलनी झुलाकर जाता हूँ (ताला) 12. आई होई त न अई, आ आई होई त आय जई किसी ने पूछा जाता है कि तुम्हारी पत्नी आ रही है, उसने उत्तर दिया कि अगर नदी आई होगी, तो वह न आएगी और अगर नहीं आई होती, तो आ जाएगी. (नदी) 13. आठ कुल्हारी नौ तरबार, कटे न कटी कैमां के डार आठ कुल्हाड़ी और नौ तलवार साथ-साथ चली, पर कैमां की दाल नहीं कट पायी (छाया) 14. आठ ज्वारे आठ ब्यार, जोड़ आबे एक हज़ार आठ अंक को आठ बार जोडीये, पर योग 1000 होना चाहिए 888+88+8+8+8 = 1000 15. ऊपर से डारे तरे निकारैं ऊपर से डालकर नीचे उतार दिया (पेटीकोट) 16. ऊपर चीकन तरे रोमार, तेही चाटैं बाप तोंहार ऊपर का आवरण चिकना है और अन्दर रोयें हैं, पर उसको तुम्हारा पिता चाट रहा है. (पका आम) 17. एक काठ म बत्तिस बोकला, बतियां लगी हजार एक काठ में बत्तिस छल हैं और उसमें एक हजार  छोटे-छोटे फल लगे हैं (केला) 18. एक गइल दुई बाबा जांय, ओसरी पहरा पडत जांय एक रास्ते से दो बूढ़े जा रहे हैं और बारी-बरी शोर करते जा रहे हैं (जूते-पनही) 19. एक कहानी सुना सुजान, मेहरी मानुस के बाईस कान एक कहानी तो सुनिए कि पति-पत्नी के मिलकर बाईस कान थे (रावण-मंदोदरी) 20. एक चिरैया लेद्दी फेद्दी पेट भर भूसा खाय तापत कुंड बुडकैयां मारै पेटे मा घुस जाय एक चिड़िया बेडौल है, जो भरपेट भूसा खाती है, वह गर्म कुण्ड में बुडकी लगाकर निकलती है और लोगों के पेट में घुस जाती है (गुझिया) 21. एक चीप व सब मा परे एक वस्तु है जो सबके ऊपर पड़ जाती है (नज़र) 22.  एक चीज व सब का होय एक चीज है जो सबके ऊपर लागू है (नाम) 23.एक कोठवा म सुमर गुर्राय एक कोठे में सूअर गुर्रा रहा है (चक्की) 24.  एक देव पर दूसर दानव, ओइसन आंही दूनौं मानव एक दूसरे दर दर भटकामें, अपनौ पाँच साल मा आवौ एक देवता है और दूसरा दानव-वैसे दोनों मनुष्य हैं, पर एक दूसरे को दर दर भटकने पर मजबूर कर रहा है और ख़ुद पाँच वर्ष  में लौटता है. (नेता  और मतदाता) 25. एक दिया सबतर उँजियार एक द्दिपक है, जिसका चरों ओर प्रकाश है (सूर्य)