बांधवगढ़ के सबसे सुरक्षित इलाके के कुएं में मिला बाघिन का शव: गणेश पाण्डेय


स्टोरी हाइलाइट्स

बांधवगढ़ नेशनल पार्क में एक हफ्ते में तीन टाइगर की मौत की हो चुकी है. 28 अगस्त की घटना ने तो पार्क प्रबंधन....

गले में फंदे से बंधा था पत्थर, अज्ञात शिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज पार्क प्रबंधन के मैनेजमेंट पर उठते सवाल, एक हफ्ते में तीन टाइगर की हुई असमय मौत गणेश पाण्डेय भोपाल. बांधवगढ़ नेशनल पार्क में एक हफ्ते में तीन टाइगर की मौत की हो चुकी है. 28 अगस्त की घटना ने तो पार्क प्रबंधन के मैनेजमेंट पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. 28 अगस्त को बांधवगढ़ के सबसे सुरक्षित एरिया मानपुर के कुएं में 8 साल की बाघिन का शव मिला. बाघिन के गले में रस्सी के फंदे से पत्थर बंधा हुआ था. इस पर एक वीडियो भी बना है. इस पर पर्दा डाला जा रहा है. बांधवगढ़ के संचालक विंसेंट रहीम यह स्वीकार करते हैं कि कुएं में मिली बाघिन की मौत का कारण शिकार होना बताया है. इस मामले में अज्ञात शिकारियों के खिलाफ एफ आई आर भी दर्ज की गई है. बांधवगढ़ नेशनल पार्क की गिनती बेहतर प्रबंधन के रूप में हुआ करती थी पर कुप्रबंधन के चलते एक हफ्ते में तीन टाइगर की मौत हो चुकी. मौत की पहली खबर 17 अगस्त को मगधी रेंज से प्रकाश में आई. पार्क प्रबंधन के प्रेस नोट के अनुसार बीटीआर-16 का 5-6 माह की फीमेल शावक की मौत हुई है. शावक का पिछला पैर नहीं था, जिसे नर बाघ द्वारा खाना बताया गया है. जबकि वन्य प्राणी विशेषज्ञ पार्क प्रबंधन के तर्क को नहीं मानते हैं. उनका कहना है कि टाइगर अकेले पीछे का पैर क्यों खाएगा ? विशेषज्ञों का मानना है कि शिकार की संभावनाओं को टटोलते हुए इसकी भी जांच होनी चाहिए. 27 अगस्त को धमोखर रेंज से 7-8 साल की बाघिन की मौत हुई. पार्क प्रबंधन ने इसकी मौत भी आपसी फाइट से जोड़ दी है. एक रिटायर्ड वन प्राणी विशेषज्ञ अफसर पार्क प्रबंधन से सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि मेल टाइगर की फाइट फीमेल से रेयर ही होती है. कभी भी फीमेल टाइगर की फाइट मेल टाइगर से टेरिटरी को लेकर नहीं होती है. यानी पार्क प्रबंधन अपनी खामियों को छुपाने के लिए टेरिटरी फाइट का टेग लगाते जा रहा है. *कुएं में मिली बाघिन की लाश ने प्रबंधन की पोल खोल दी* बांधवगढ़ नेशनल पार्क के मानपुर रेंज को सबसे सुरक्षित माना जाता है. इस गांव के लोग भी वन्य प्रेमी माने जाते हैं. ऐसी स्थिति में कुएं में मिली बाघिन की लाश ने पार्क प्रबंधन की कलई खोल दी. बाघिन के गले में गले में रस्सी से बंधे पत्थर पाए गए. इससे यह तो स्पष्ट हो गया कि पाठ प्रबंधन की पेट्रोलिंग नहीं हो रही है और इसका फायदा शिकारी उठा रहे हैं. बांधवगढ़ से मिली खबर के अनुसार शिकारी मानसून में ही सक्रिय होते हैं. साल भर पहले की बात है कि मानपुर के फॉरेस्ट चौकी में बाघ की खाल और नाखून बरामद हुए थे. इस मामले में पार्क प्रबंधन ने एक श्रमिक और एक ग्रामीण पर अपराध दर्ज कर अपने कर्तव्य की से मुंह मोड़ लिया. *फीमेल की मौत से कैसे बढ़ेंगा बाघों का कुनबा* एक फीमेल शावक सहित तीन बाघिन की मौत को वन विभाग के शीर्षस्थ अफसर गंभीरता से नहीं ले रहे. शायद वह इस बात को जानना ही नहीं चाहते हैं कि लगातार फीमेल टाइगर की मौत से बाघ के कुनबे का विकास थम जाएगा. टाइगर रिजर्व में संचालक रह चुके एक अधिकारी का कहना है कि बाघिन की उम्र 14 साल की होती है और ढाई साल की उम्र में वह शावकों को जन्म देने लगती है. एक बार में वह तीन से चार शावकों को जन्म देती है. एक बाघिन अपनी पूरी उम्र में तीन से चार बार मां बनती है. यानी पार्क के कुप्रबंधन से बाघिन के आजन्मे शावकों की मौत हो गई है. भोपाल मुख्यालय से लेकर पाठ प्रबंधन के शीर्षस्थ अफसर किंकर्तव्यविमूढ़ बने हुए हैं.