भोपाल गैस काण्ड : हादसे का स्मारक बनाने के खिलाफ पीड़ित संगठनों ने खोला मोर्चा


स्टोरी हाइलाइट्स

भोपाल गैस काण्ड :दिसंबर 84 के यूनियन कार्बाइड गैस हादसे के पीड़ितों के बीच काम कर रहे चार संगठनों के नेताओं ने आज एक पत्रकार वार्ता में कहा

दिसंबर 84 के यूनियन कार्बाइड गैस हादसे के पीड़ितों के बीच काम कर रहे चार संगठनों के नेताओं ने आज एक पत्रकार वार्ता में कहा कि प्रदूषित कारखाना परिसर पर हादसे का स्मारक बनाने की सरकार की यह योजना डाव केमिकल द्वारा पर्यावरण और लोगों पर किए जा रहे अपराधों को एक नियोजित तरीके से दबाने की कोशिश है |   यूनियन कार्बाइड के एक पूर्व कर्मचारी ने संगठनों के नेताओ के साथ यह मांग की कि प्रदेश सरकार यूनियन कार्बाइड, वर्तमान मालिक डाव केमिकल है, द्वारा छोड़े गए ज़हरीले कचरे के प्रति अपना रुख बदले   भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्षा श्रीमती रशीदा बी ने कहा, "1990 के बाद से, 17 रिपोर्ट जिसमे केंद्र सरकार की शीर्ष अनुसंधान एजेंसियां भी शामिल हैं, उन्होंने भी परित्यक्त कारखाने स्थल से 3 किलोमीटर दूर तक भारी मात्रा में कीटनाशकों, भारी धातुओं और जहरीले रसायनों की उपस्थिति की पुष्टि की है। भोपाल में लगातार फैल रहे प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हज़ारों टन जहरीले कचरे को खुदाई करके हटाने की बजाए राज्य सरकार हादसे के स्मारक की आड़ में प्रदूषित भूमि पर कंक्रीट डालने की योजना बना रही है ।”   भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने के एक पूर्व MIC संयंत्र संचालक श्री टी.आर.चौहान ने भूजल प्रदूषण के फ़ैलने पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि परित्यक्त कारखाने और उसके आसपास के क्षेत्र का व्यापक वैज्ञानिक आकलन की कड़ी आवश्यकता है । "एक बार जब हम यह जान लेंगे कि कौन से रसायन कितनी गहराई और कितनी दूरी पर मौजूद हैं, तभी उसकी सफाई (पर्यावरणीय सुधार) के लिए योजना तैयार की जा सकती है। निस्संदेह हजारों टन जहरीले कचरे पर ध्यान देने की आवश्यकता है,जो कारखाने के बाहर दबा हुआ है और वही मिट्टी और भूजल में रिस कर जहर घोल रहा है ।”   गैस त्रासदी झेला भोपाल कोरोना से कैसे हो रहा बेहाल -दिनेश मालवीय "कारखाने से 337 मीट्रिक टन खतरनाक कचरे को हटाने पर राज्य सरकार की इस नुमाईश पर विश्वास करना मुश्किल है ।“भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा की नवाब खांने कहा। “भोपाल में घट रहे दूसरे पर्यावरणीय हादसे के कारण जहरीले कचरे का यह एक छोटा सा अंश है,जो 0.2% से भी कम है। यह हमारे जहरीले होते हुए शहर की बदसूरत वास्तविकता को छिपाने के लिए एक स्मोकस्क्रीन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है”   भोपाल में मिट्टी और भूजल प्रदूषण पर विभिन्न वैज्ञानिक रिपोर्टों के निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए, भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने बताया कि आधिकारिक एजेंसियों ने भूजल में भारी मात्रा में 6 परसिस्टेंट आर्गेनिक पोलूटेंट्स (POPs) पाए हैं, जो 100 साल से ज्यादा अपनी विषाक्तता को बनाए रखते हैं। ग्रीनपीस की रिपोर्ट में मिट्टी में पारे की मात्रा सुरक्षित स्तरों की तुलना में कई मिलियन गुना अधिक पाई गई थी । विभिन्न एजेंसियों द्वारा की गयी जांच में पाए जाने वाले रसायन और भारी धातुएं मस्तिष्क, यकृत, फेफड़े और गुर्दे को नुकसान पहुंचाने और अंतःस्रावी, प्रजनन, प्रतिरोधक तंत्र में बीमारी एवं कैंसर पैदा करने के लिए जाने जाते है । "7 से 20 वर्षों में एक लाख से अधिक लोग इन जहरों के संपर्क में आ चुके हैं और जहरीले रसायनों के रिसन की वजह से हर दिन नए लोग इस ज़हर की गिरफ्त में आ रहे हैं।" उन्होंने कहा।   भोपाल गैस त्रासदी वरसी: चीखती रात और डरावनी सुबह, जिसमे गई हज़ारों लोगो की जान   डॉव कार्बाइड के खिलाफ बच्चों की नौशीन खान ने कहा, "पर्यावरण और लोगों को हुए नुकसान के लिए डाव केमिकल से मुआवजे की मांग करने के बजाय, राज्य सरकार हादसे के लिए स्मारक का उपयोग कर रही है और कचरे की एक छोटी मात्रा को स्थानांतरित करके, हज़ारो टन जहरीले कचरे के मामले को दबा कर अपराधी कंपनियों को अपनी कानूनी जिम्मेदारियों से मुक्त करने का कोशिश कर रही है ।   Latest Hindi News के लिए जुड़े रहिये News Puran से.