कड़े फैसलों से भरा इतिहास का सबसे बड़ा काबीना फेरबदल: राजेश सिरोठिया


स्टोरी हाइलाइट्स

कड़े फैसलों से भरा इतिहास का सबसे बड़ा से काबीना फेरबदल: राजेश सिरोठिया बुधवार शाम को हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल के फेरबदल को भारत की राजनीति ....

कड़े फैसलों से भरा इतिहास का सबसे बड़ा से काबीना फेरबदल राजेश सिरोठिया बुधवार शाम को हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल के फेरबदल को भारत की राजनीति के इतिहास का सबसे बड़ा फेरबदल माना जा रहा है तो यह भी ऐसा उलटफेर यदि कांग्रेस में इंदिरा गांधी कर सकती थीं तो भाजपा में इसको नरेंद्र मोदी जैसे नेता ही अंजाम दे सकते हैं। मोदी जैसे ने यदि काबिलियत को मौका दिया है तो नकारा मंत्रियों का पत्ता काटने और कईयों के पर कतरने दी ने दिखाया इस फेरबदल से का साहस मोदी ने दिखाया है। इस मोदी का संदेश साफ है काम करो का संदेश साफ है काम करो वरना बाहर का ताजापने के रास्ता नापने के लिए तैयार रहो। क सबसे तगड़ा झटका मोदी ने डा. हर्षवर्धन को दिया है। साफ सुथरी और ईमानदार छवि वाले हर्षवर्धन को जिन उम्मीदों के साथ स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा सौंपा गया था उनकी कसौटी पर कोरोनाकाल में वह खरे साबित नहीं हो सके। उल्टे उन्होंने जिस तरह के प्रोटोकाल कोरोना के इलाज के लिए जारी किए, उसने इस माहमारी को विकराल बना दिया। वद देश के स्वास्थ्य मंत्री कम दवा माफिया के मोहरे ज्यादा नजर आ रहे थे।   कभी चाय बागानों में थे मजदूर, अब मोदी की कैबिनेट में मिला मंत्री का दर्जा  इसी तरह रविशंकर प्रसाद की कानून और आईटी मंत्री के पद और प्रकाश जावड़ेकर की छुट्टी उनके नकारेपन और दंभी आचरण के चलते हुई है। बाबुल सुप्रियो से लेकर सदानंद गौड़ा और संतोष गंगवार से लेकर रमेश पोखरियाल निशंक और प्रताप सारंगी की नान परफारमेंस के चलते बलि चढ़ गई। जावड़ेकर के उसने इस महामारी सूचना प्रसारण मंत्री रहते मोदी सरकार की छवि पर जो आच आई उसे दुरूस्त करने में उनकी कोई रूचि नहीं दिखती थी, लेकिन अब मोदी ने अनुराग ठाकुर को यह कमान दी है तो उम्मीद यही की जाना चाहिए कि सरकार पर लगे दागों की अच्छी धुलाई होगी। मध्यप्रदेश के संदर्भ में बात करें तो नरेंद्र सिंह तोमर से विभागों के बोझ कोकाफी हल्का दिया गया है। तोमर के पास अब किसान मंत्रालय रह गया है लेकिन ग्रामीण विकास विभाग, खाद्य प्रसंस्करण जैसे विभाग दूसरे मंत्रियों के पास चले गए हैं। थावरचंद गेहलोत ने तो अपनी इच्छा ने से ही मंत्री पद को त्यागा लेकिन मोदी ने उनके सम्मान को कायम रखते हुए कर्नाटक के राज्यपाल पद से नवाजा है।     मध्यप्रदेश: मंगूभाई छगनभाई पटेल ने संभाला राज्यपाल का पद टीकमगढ़ के सांसद वीरेंद्र खटीक को गेहलोत के विभाग की कमान देकर उनकी संघ और भाजपा निष्ठा को पूरी तवज्जो दी गई है। लेकिन बुंदेलखंड महाकौशल के एक और दमदार नेता प्रहलाद पटैल के पर बुरी तरह काटे गए हैं। संस्कृति और पर्यटन के स्वतंत्र खाद्य एवं प्रसंस्करण तथा उद्योग विभाग का काम देखेंगे। उनके पास स्वतंत्र प्रभार के जो विभाग थे वह जी किशन रेड्डी को काबीना मंत्री के बतौर सौंपे गए हैं। स्वतंत्र प्रभार के बजाए मात्र राज्यमंत्री रह जाने वालों में फग्गन सिंह कुलस्ते भी हैं। रेल मंत्री के रूप में चौकाने वाला नाम उड़ीसा से राज्यसभा सदस्य और पूर्व आईएएस अफसर अश्विनी वैष्णव का आया है।   कैबिनेट मंत्री बनने के कुछ ही घंटों में हैक हो गया ज्योतिरादित्य का फेसबुक अकाउंट मोदी की काबीना में दस फीसदी सदस्य पूर्व आईएएस या आईपीएस हैं। 1992 बैच के वैष्णव अटलजी के प्रधानमंत्रित्व काल में पीएमओ में रहे हैं। कोई एक दशक पहले उड़ीसा कॉडर के राजस्थान निवासी वैष्णव नौकरी छोड़कर भाजपा में आ गए थे। लोगों को उम्मीद थी कि रेल विभाग ज्योतिरादित्य सिंधिया के खाते में जाएगी लेकिन उन्हें हवाई जहाजों से जुड़ा विभाग मिला है, यह बड़ा संयोग है कि जिस विभाग की कमान 29 साल है पहले उनके पिता माधवराव सिंधिया को मिली थी, उसकी कमान और पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथों में होगी। अगर अगर मोदी जी ने योग्यता और विशेषज्ञता को सम्मान दिया है तो उस लिहाज से सिंधिया को कामसं या वित्त जैसे विभाग की कमान भी सौंपी जा सकती । यह देखना दिलचस्प होगा कि मोदी अब थी। अपनी इसी ड्रीम टीम के साथ 2024 के लोकसभा चुनाव में उतरेगें या बीत में कोई और छोटा मोटा फेरबदल होगा ? लेखक दोपहर मेट्रो के चीफ एडिटर हैं।