खेतों में डालने वाले कीटनाशकों से पक्षियों को भी खतरा


स्टोरी हाइलाइट्स

खेतों में डालने वाले कीटनाशकों से पक्षियों को भी खतरा Birds are also threatened with pesticides खेतों में जहरीले कीटनाशकों का इस्तेमाल इंसानों के लिए तो खतरनाक है ही, साथ ही वह मधुमक्खियों, पक्षी, तितली, कीड़े और मछलियों को भी नुकसान पहुंचा रहा है. दुनिया में मधुमक्खियों के पतन के लिए दोषी ठहराए जाने वाले न्यूरोटॉकसिक कीटनाशक अन्य पशु पक्षियों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं. वैज्ञानिक समीक्षा ने कड़े नियम लागू करने की मांग की है जिससे इनके इस्तेमाल पर अंकुश लग सके. इस विषय पर दो दशकों की रिपोर्टों का विश्लेषण करने के बाद 29 वैज्ञानिकों के पैनल ने पाया कि "नुकसान के स्पष्ट सबूत" दो प्रकार के कीटनाशकों के इस्तेमाल से मिले हैं. इन कीटनाशकों के नाम हैं नियोनिकोटिनॉयड (Neonicotinoid) और फिप्रोनिल (Fipronil). सबूत "नियामक कार्रवाई को गति प्रदान करने के लिए पर्याप्त है." फ्रांस के राष्ट्रीय वैज्ञानिक अनुसंधान के जॉन मार्क बॉनमैटिन के मुताबिक, "हम प्राकृतिक और खेती पर्यावरण की उत्पादकता के लिए खतरा देख रहे हैं." बॉनमैटिन दुनियाभर में एकीकृत मूल्यांकन रिपोर्ट के सह लेखक हैं. खाद्य उत्पादन की रक्षा करने से दूर, तंत्रिका को लक्षित करने वाले कीटनाशक जिन्हें नियोनिक्स भी कहा जाता है, वे "परागण को खतरे में डाल रहे हैं." बीमारी के प्रति संवेदनशील कीटनाशक के तौर पर नियोनिक्स(Neonics) का व्यापक रूप से इस्तेमाल होता है, जिसका प्रभाव त्वरित और घातक या दीर्घकालिक हो सकता है. इसके संपर्क में आने से कुछ प्रजातियों के सूंघने की क्षमता बिगड़ सकती है और यह याददाश्त पर भी असर कर सकता है. इसके अलावा प्रसव पर अंकुश लगा सकता है, चारा खोजने की क्षमता कम कर सकता है, उड़ने में दिक्कत पहुंचा सकता है और बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है.दुनिया में एक बहुत ही पाई जाने वाली तितली थी. अब सको बहुत कम देखा जा रहा है.   कहां गई तितलियां? द कॉमन ब्लूइस नाम से मशहूर तितली का जूलॉजिकल नाम पोलियोम्मैटस इकैरस है. यह कभी पूरे यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और एशिया में मिलती थी. नदी किनारे निचले मैदानों या फिर पहाड़ों के मैदानों में ये पाई जाती हैं. हालांकि ये बहुत अच्छे से खुद को बदलती है, लेकिन ये भी अब खतरे में आ गई हैं. कारण मैदानों का खेतों और घरों में तब्दील हो जाना. परागण और जैव विविधता को बचाने में मधुमक्खियां अहम भूमिका निभाती हैं और उनके खत्म हो जाने का सीधा असर फूलों, फलों और सब्जियों की खेती पर पड़ेगा. ताजा शोध कहता है कि पौधों द्वारा इन कीटनाशकों को सोख लेने के कारण मछली और पक्षियों को भी नुकसान पहुंच रहा है, क्योंकि वह पानी और मिट्टी में भी मिल जाता है. सबसे अधिक प्रभावित प्रजातियों में केंचुए हैं जिनका काम मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए होता है. इसके बाद मधुमक्खियों और तितलियों की बारी आती है. डीडीटी दस हजार गुणा जहरीला नियोनिक्स मिट्टी में एक हजार दिनों तक कायम रह सकता है और पेड़ों में एक साल से ज्यादा तक. जिस कंपाउंड में वह टूटता है वो मूल तत्व की तुलना में ज्यादा जहरीला हो सकता है. यूरोपीय संघ ने कुछ रसायनों पर अस्थायी प्रतिबंध लगाया है. नया शोध कहता है कि मधुमक्खियों के लिए नियोनिक्स डीडीटी के मुकाबले पांच से दस हजार गुणा ज्यादा जहरीला हो सकता है. डीडीटी कीटनाशक के कृषि में इस्तेमाल पर रोक है. शोधकर्ताओं का कहना है कि नियामक एजेंसियों को कड़े नियम बनाने होंगे जिससे इसकी बिक्री को कम किया जा सके.