बुन्देली पहेलियाँ-2
-दिनेश मालवीय
1. राम के बैन, बारात की सारी, भाव न ब्याव, रही न क्वाँरी
(राजगद्दी)
2. एक जंतु इत्तो जंट, जाकी पूंछ में करंट
(जुगनू)
3. चार जनें सोरा जनीं, एक खात पे कैसें बनी
(अंगुलियाँ, अंगूठा)
4. एक पेड़ को आदो नाव, जल्दी ऊको नाव बताव
(अदरक)
5. तन्नक से जगदीश, उन्नां पैरे एक सौ बीस
(प्याज)
6. सूदो सटका बीच में गांठ, पीका पूरे फूटे पाँच
(हाथ)
7. चार खूँट की चकरी, पड़िया सी अफरी
(बोरा)
8. दस जनन के बीच में, पकरी गई इक नार
9. अपनों काम समार कें, पाछें डारी मार
(रोटी)
10. क्यारी उपजे हाट बिकाय, गूदो फैके बकला खाय
(आटे की चलनी)
11. घेर-घेर बाटी, बीच में घुन्चू कारी
(आँख)
12. कारी पौनी सेत तागा, नाचबे टोरो बाप ददा
(भैंस के थन)
13. घरे पुजे ने हाट बिकाय, जिनको देखें पिया रिसांय
(ओले)
14. मुँह पर पत्थर, पेट में अंगुली
(अंगूठी)
15. चोरी की न खून किया, उसका सिर क्यों काट लिया
(नाखून)
16. काकी के कान, कक्का ने नैयां
काकी चतुर सुजान, कक्का कछू जंत नैयां
(कड़ाही-झारा)
17. एक चिरैया दुरगादासी, जीके अंडा एक सौ पचासी
(ज्वार का भुट्टा)
18. पच्छम सें आई तीतरी, दक्षिण सें आया सुआ
पूरब सें आये दो जनें, जब एक रंग हुआ
(कत्था, सुपारी, पान और चूना)
19. मोटे की माटी, पतरौन की तिली
कहौ जा कपास में कैसें मिली
(दिया, तेल और बाटी)
20. कारे पहार पे रक्त कौ बूँदा
(गुमची)
21. एक झाड पे गलगल ब्यानी, जेकी तेली खूब मिठानी
(शहद)
22. लबरो नोई सांसो आय
(ईंट का साँचा)
23. एक लकड़ी की ऐसी कहानी, ऊमें लुको है मीठो पानी
(गन्ना)
24. एक थाली में दो अंडा, एक गरम एक ठंडा
(सूरज और चाँद)
25. आठ पहर बत्तीस घडी, ठाकुर पे ठाकरान चढी
(तुलसी)