मृत्यु लोक में काल की गणना: इस कॉल माया के ब्रह्मांड में युग चार होते हैं तथा चारों युगों की आयु


स्टोरी हाइलाइट्स

अत्यंत सूक्ष्म काल है- परमाणु। दो परमाणुओं का 1 अणु और 3 अणुओं का एक त्रसरेणु होता है। झरोके से आयी सूर्य किरणों में त्रसरेणु उड़ते हुए दिखते हैं.

मृत्यु लोक में काल की गणना अत्यंत सूक्ष्म काल है- परमाणु। दो परमाणुओं का 1 अणु और 3 अणुओं का एक त्रसरेणु होता है। झरोके से आयी सूर्य किरणों में त्रसरेणु उड़ते हुए दिखते हैं। ऐसे तीन त्रसरेणुओं को पार करने में सूर्य जितना समय लेता है, उसे त्रुटि कहते हैं। सौ त्रुटियों का एक वेध, तीन वेधों का एक लव, तीन लवों का एक निमेष और तीन निमेष का एक क्षण होता है। ये भी पढ़ें.. कलयुग में शिव पुराण पढ़ने  और सुनने से… जीवन में सुख और मृत्यु पर मिलेगा शिवलोक पांच क्षणों की एक काष्टा, पन्द्रह काष्टाओं का एक लघु, पन्द्रह लघुओं की एक घड़ी, दो घड़ी का एक प्रहर और आठ प्रहरों का एक दिन रात होता है। पन्द्रह दिन रातों का एक पक्ष, दो पक्षों का एक मास, छह मासों का अयन और दो अयनों का एक वर्ष होता है। इस कॉल माया के ब्रह्मांड में युग चार होते हैं तथा चारों युगों की आयु निम्न प्रकार से है: 1- सतयुग - 17 लाख 28 हजार वर्ष 2- त्रेतायुग - 12 लाख 96 हजार वर्ष 3- द्वापरयुग -  8 लाख 64 हजार वर्ष 4- कलियुग -  4 लाख 32 हजार वर्ष चारों युगों की आयु मिलाने पर मृत्यु लोक के 43 लाख 20 हजार वर्ष होते हैं। इसे एक चतुर्युगी की आयु कहा जाता हैं। जब इस प्रकार की एक हजार चतुर्युगी बीत जाती है तब सत लोक के स्थाई ब्रह्मा जी के 12 घंटे होते है तथा इतनी ही बड़ी रात्रि होती है। ये भी पढ़ें.. हर देश की तरह स्वर्गलोक की भी होती है अपनी करेंसी: जीते-जी कन्वर्ट कर लें, तब ही होगा कल्याण: आचार्य सरयूनंदन अतः ब्रह्मा जी के 12 घंटे मृत्यु लोक की गणना के हिसाब से 4 अरब 32 करोड वर्ष के बराबर होते हैं, तथा ब्रह्मा जी के 24 घंटे मृत्यु लोक की गणना के हिसाब से 8 अरब 64 करोड वर्ष के बराबर होते हैं। इस नश्वर ब्रह्मांड में सतलोक में ब्रह्मा विष्णु तथा शिव की आयु इनकी गणना के हिसाब से 100-100 वर्ष की होती है परंतु इनके ऊपर काल का प्रभाव अलग-अलग होता है। सृष्टि की रचना करने वाले गोलोक धाम वासी श्री कृष्ण(अक्षर ब्रह्म) के धाम में काल नहीं है। ये भी पढ़ें.. जन्म मृत्यु से छुटकारा कैसे पाएं? वहां काल की गणना नहीं हो सकती है परंतु उनकी जब एक पलक झपकती है तो उस एक पलक झपकने के बीच में ही नश्वर ब्रह्मांड में 10 लाख शिव बदल जाते हैं। एक शिव की अपनी 100 वर्ष की आयु में 20 अरब 73 करोड़ 60 लाख विष्णु बदल जाते हैं। एक विष्णु की अपनी 100 वर्ष की आयु में 2 करोड 30 लाख 40 हजार ब्रह्मा बदल जाते हैं। एक ब्रह्मा जी की अपनी 100 वर्ष की आयु में 10 लाख 8 हजार इंद्र बदल जाते हैं। एक इंद्र की अपनी 100 वर्ष की आयु में ब्रह्मा जी के 51 मिनट 25 सेकंड होते हैं और मनुष्य के 30 करोड़ 85 लाख 71 हजार 4 सौ 28 वर्ष होते हैं। ये भी पढ़ें.. मृत्यु के बाद क्या होता है ? क्या है गरूड़ पुराण ? बजरंग लाल शर्मा