क्या ज्यादा चीजें हमे ज्यादा सुख दे सकती हैं? P ATUL VINOD


स्टोरी हाइलाइट्स

क्या चीजें हमे सुख दे सकती हैं?--------------------- P अतुल विनोद 

क्या चीजें हमे सुख दे सकती हैं?--------------------- P अतुल विनोद  यदि हमे हमारी मनचाही चीज़ें मिल जाये तो क्या हम सुखी हो सकते हैं? हमारे पास अभी जो कुछ है, उससे संतोष नहीं| यदि मिल जाये तो सेटिस्फेक्शन मिल जाए शायद? हालांकि कोई गारंटी नहीं की मिल जाने से संतोष मिल ही जायेगा| लाइफ का यही गणित कठिन है| जो चीज़ें हमारे पास नहीं हैं क्या आज हम उनके बिना अच्छी तरह जी सकते हैं? जिंदगी तो चल ही रही है| इसमें भी सुखी होने की गुंजाइश है लेकिन एक काल्पनिक दुःख का निर्माण हो गया है| ये दुःख उतना तकलीफदेह नहीं| हम आसानी से उसे सहन कर पा रहे हैं| चीज़ें मिलने से पहले जितना दुःख देती हैं मिलने के बाद उससे ज्यादा तकलीफ दे सकती हैं? ऐसा कैसे?  पहले तो उन्हें पाने के लिए जो मेहनत और स्ट्रेस झेलना होगा, मिलने के बाद उन्हें बरकरार रखने की चिंता घेर लेगी, इसके बाद उनसे बेहतर पाने की इच्छा पैदा होगी| हमे कभी अपने वर्तमान स्टेंडर्ड से कभी संतुष्टि मिलती है क्या? हम वर्तमान में अपनी स्थिति से उंचा देखते हैं| कोई न कोई होता है जो हमसे उपर होता हैं| दरअसल हम न तो कभी उपर जाते हैं न नीचे| चीजें हमे उपर और नीचे होने का अहसास कराती हैं| वस्तुओं से हमारी पहचान जोड़ने की आदत के कारण ही दुःख पैदा होता रहता है| पहले पाने का दुःख फिर बचाए रखने का दुःख फिर खोने का दुःख| कोई भी अच्छी से अच्छी चीज़ पा लीजिये उसे खोना ही पड़ेगा|  आप वर्तमान में अपनी कार से संतुष्ट नही आपको और बेहतर मॉडल चाहिए .. चलिए मिल गया| वर्तमान कार खराब होने पर कम नुक्सान होता लेकिन उससे महगी कार जब जाएगी तो ज्यादा नुक्सान होगा| क्यूंकि बड़ी कार को पाने के लिए आपकी मेहनत समय और ऊर्जा की ज्यादा खपत हुयी थी इसलिए उसके जाने पर सिर्फ पैसा ही नहीं जायेगा आपकी ज़िन्दगी का वो समय और उर्जा भी निपटेगी जो उसे खरीदने में आपने लगाई थी| चीज़ों को अपग्रेड करते रहने से हमे क्या मिलता है? लगातार मेहनत, उर्जा समय और अशांति, पहले पाने में फिर खोने में  ये सूत्र हर जगह लागू होता है| यदि आप बेहतर रिश्ते नाते चाहते हैं तो उनमे भी पहले पाने उसे बरकार रखने और खोने का कष्ट है| जितना अच्चा चाहेंगे उतना दुःख पाएंगे|  जैसे आपको अपने जीवन साथी के रूप में कोई आदर्श व्यक्ति चाहिए | उसकी सूरत, शक्ल, डिग्री, पैसा, पद आपको आकर्षित करता है| आप पहले उसे पाने का जतन करते हैं जैसे तैसे आप अपने से बेहतर पार्टनर से शादी करने में उर्जा खर्च करते हैं फिर ऐसे व्यक्ति के अपने ही नखरे होते हैं| उनसे रिश्ता निभाना आसान नहीं होता| आपकी पूरी उर्जा उसे संतुष्ट करने में लगती है| उसकी शान शौकत के लिए आपको एक्स्ट्रा एफोर्ट्स करने होते हैं| फिर भी वो जायेगा या तो आप उसे छोड़कर चले जाओगे या वो आपको क्यूंकि जिसका संयोग है उसका वियोग है| चाहे वो जीते जी चला जाये ये मृत्यु के कारण| महाभारत में क्या हुआ? दुर्योधन के ज्यादा पाने का लालच युद्ध का कारण बना जो वो चाहता था वो तो मिला नहीं उल्टा सब कुछ खत्म हो गया| रावण के साथ भी यही हुआ ज्यादा ताकत ज्यादा सौन्दर्य का लालच उसे नीचे गिराता गया और आखिर में सब कुछ खत्म हो गया|