भारतीय वास्तुशास्त्र का परिवर्तित रूप 'फेंग सुई'


स्टोरी हाइलाइट्स

चीन, हांगकांग एवं दक्षिणपूर्व एशिया में भारतीय वास्तुशास्त्र के परिवर्तित रूप को 'फेंग सुई' कहते हैं। वहां की 90 प्रतिशत आम जनता फेंग सुई के आधार पर अपन...

भारतीय वास्तुशास्त्र का परिवर्तित रूप 'फेंग सुई'
चीन, हांगकांग एवं दक्षिणपूर्व एशिया में भारतीय वास्तुशास्त्र के परिवर्तित रूप को 'फेंग सुई' कहते हैं। वहां की 90 प्रतिशत आम जनता फेंग सुई के आधार पर अपने भवनों होटल, दुकान, कामर्शियल कांपलेक्स आदि का निर्माण करती है। यही वजह है कि हांगकांग, बैंकाक, सिंगापुर इत्यादि विश्व के सबसे बड़े व्यापारिक केंद्र हैं।
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फेंग सुई' शास्त्र में भारतीय वास्तुशास्त्र की भांति मुख्य आधार प्राकृतिक पांच तत्वों को माना गया है। इनमें पानी, अग्नि, भूमि, सोना एवं लकड़ी के नवीन भवन बनाने का आधार माना है। इनका अनुपातिक तालमेल आदि सही हो तो भवन में रहने वाला सुखी रहता है अन्यथा अनेक प्रकार के कष्टों को भोगता है। भारत में जिन पंव तत्वों की मान्यता है वे हैं
  1. पृथ्वी
  2. जल
  3. अग्नि
  4. वायु
  5. आकाश
 
पाश्चात्य मान्यताओं के अनुसार उपरोक्त प्राकृतिक पांच तत्व व्यक्ति के जन्म समय पर निर्भर रहते हैं। उदाहरणार्थ यदि किसी व्यक्ति का जन्म 10.00 बजे प्रातः का है तो उसका तत्व 'भूमि' अर्थात् element होगा। भूमि तत्व वाले को अपने भवन की पूर्व एवं अग्नि कोण वाली दिशा में निर्माण कार्य प्रारंभ कराना चाहिए तथा दिशा को स्वच्छ एवं अलंकृत करने के लिए ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
स्वागतकक्ष निर्धारण-
फेंग सुई में होटल के 'काउंटर' स्वागतकक्ष, कैश बाक्स को लेकर काफी चिंतन किया गया है। फेंग सुई के अनुसार किसी भी होटल, कामर्शियल कांपलेक्स का दरवाजा 'वायव्यकोण' में नहीं होना चाहिए क्योंकि ऐसा दरवाजा प्रेतात्माओं एवं अशुभ तत्वों को शीघ्र ही अंदर प्रवेश दिलाने में सहायक होता है। किसी भी होटल में स्वागतकक्ष, मुख्य प्रवेश द्वार, करियर डेस्क समानांतर अवस्था में नहीं होना चाहिए, इससे धन का बहाव शीघ्र ही बाहर की ओर हो जाता है।

टेलीफोन दिशा निर्धारण टेलीफोन किधर और कैसे रखा जाए, इस पर भी फेंग सुई' में विचार किया गया है। टेलीफोन में शक्ति का संचार होता है। ईथर तरंगों के माध्यम से यह बातचीत का प्रमुख माध्यम है। यह विद्युत तरंगों से संचालित होता है। अतः इसका मुख्य स्थान अग्निकोण है। दूसरा स्थान ईशान्य एवं पूर्व है। ध्यान रखने योग्य बात यह है कि टेलीफोन के पास जल स्थान नहीं होना चाहिए। यदि टेलीफोन के पास जल का गिलास, फूट जूस, चाय का कप या केतली रख दें तो आप पाएंगे कि टेलीफोन में 'रांग नम्बर' लगने शुरू हो गए हैं। गलत घंटियां आनी शुरू हो गई हैं। 'लैक काल' या डरावने धमकी भरे काल आने शुरू हो जाएंगी। आपका टेलीफोन अनियंत्रित, अव्यवस्थित हो जाएगा, क्योंकि अग्नि और जल का परस्पर बैर होता है। हमेशा अग्नि और जल तत्व को दूर-दूर रखना चाहिए। अग्नितत्व अग्निकोण में तथा जलतत्व ईशान्य एवं पूर्व में होने से, वास्तु का तारतम्य सही रहता है।

मुकदमों ओर झगड़ों की फाइलें मुकदमों और झगड़े के कागजात कहां रखें, इस पर भी 'फेंग सुई' में चिन्तन किया गया है। कोर्ट-केप की फाईलें कभी भी अग्निकोण में न रखी जाएं। इससे झगड़ा बढ़ता चला जाता है। दक्षिण में भी न रखें, इससे मुकदमा हार जाने की संभावना रहती है अथवा हत्या हो सकती है। झगड़े के कागज कभी भी सल्ले में न रखे जाए, क्योंकि वे धनहानि का कारण बन सकते हैं। कोर्ट केस की फाईलें पूर्व दिशा, ईशान्य दिशा में ही रखें। यदि पूजा के आले के नीचे रखें तो प्रभु की कृपा से विजयश्री प्राप्त हो सकती है।