COVER STORY : इंटरनेट पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी का जाल.. बच्चों का हाल बेहाल… अतुल पाठक


स्टोरी हाइलाइट्स

भारत में बच्चे इंटरनेट के जाल में उलझते जा रहे हैं| इंटरनेट एक ऐसा अंधेरा कुआं है जिसमें एक बार उतर गए तो निकलना मुश्किल होता है| पोर्नोग्राफी का जाल....

COVER STORY : इंटरनेट पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी का जाल.. बच्चों का हाल बेहाल….P अतुल   NEWS PURAN : भारत में बच्चे इंटरनेट के जाल में उलझते जा रहे हैं। इंटरनेट एक ऐसा अंधेरा कुआं है जिसमें एक बार उतर गए तो निकलना मुश्किल होता है। छोटे बच्चे किस तरह से अजनबी लोगों के संपर्क में आकर खुद को इस शिकारी के हाथों में सौंप देते हैं यह घर के बड़ों को पता ही नहीं चलता। बच्चों को इस बात का अहसास ही नहीं होता उनका एक्सप्लोइटेशन हो रहा है। ये भी पढ़े: ट्विटर पर एक्शन काफी नहीं, देश में अश्लीलता/पोर्नोग्राफी एक बड़ी समस्या|  समाज में  मानसिक शुद्धि के लिए युद्ध की जरूरत|  आप कल्पना कीजिए कि कोई बच्चा जो ऐसे जाल में उलझ चुका है और उसके साथ विश्वासघात और बदसलूकी हो रही है। छोटे बच्चों को साइबर की दुनिया के लिए तैयार किया जाता है और यहां पर उन्हें इस तरह से उलझा दिया जाता है कि उनकी पूरी लाइफ तबाह हो जाती है। भारत में यह स्थिति चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुकी है। बच्चों की यौन उत्पीड़न की सबसे ज्यादा ऑनलाइन इमेजेस भारत से है। भारत में इंटरनेट पर 1 साल में 50,000 तस्वीरें और वीडियो अपलोड होते हैं, जो चाइल्ड पॉर्नोग्राफी से जुड़े होते हैं। 29 जून 2021 को  दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की शिकायत के बाद कथित तौर पर माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी तक पहुंच की अनुमति देने के लिए ट्विटर के खिलाफ FIR दर्ज की है। आईपीसी, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और आईटी अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। ये भी पढ़े.....सेक्स क्राइम पर काबू के लिए पोर्नोग्राफी पर पूरा बैन ज़रूरी -दिनेश मालवीय    एनसीपीसीआर ने अपने पत्र में दिल्ली पुलिस से अपनी हालिया जांच के निष्कर्षों के आधार पर ट्विटर पर एक्शन लेने को करने के लिए कहा था जिसमें उसने पाया था कि बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसएएम) मंच पर आसानी से उपलब्ध थी। अपने 29 मई के पत्र में, एनसीपीसीआर ने कहा था कि यह पाया गया कि "डीप एंड डार्क वेब के लिए टूलकिट" भी ट्विटर पर उपलब्ध था। बाल यौन शोषण एक बड़ा मुद्दा है। इस मुद्दे पर दुनिया भर की सरकारें और वहां की संस्थाएं काम कर रही हैं। इंटरनेट एक नई चुनौती लेकर आया है। लॉकडाउन के दौर में बच्चे ऑनलाइन एजुकेशन के दौरान भी अनजाने में ऐसी वेबसाइट पर विजिट कर देते हैं जो उनके जीवन के लिए खतरा बन जाती है। भारत में ऐसी सैकड़ों Website को प्रतिबंधित किया गया है। लेकिन यह वेबसाइट नए-नए यूआरएल बनाकर फिर से ऑनलाइन हो जाती हैं। देश भर में अनेक लोगों को चाइल्ड पोर्न देखते गिरफ्तार किया जाता है। एक अनुमान के मुताबिक इंडिया में हर 15 मिनट में एक बच्चे के साथ इस तरह का अपराध घटित होता है। हैरानी की बात यह है कि 80 फ़ीसदी मामलों में बच्चों के परिचित ही उन्हें इस जाल में झोंकते हैं। बच्चे अपने दोस्तों और सीनियर्स के साथ मिलकर भी इस तरह की एक्टिविटी में इंवॉल्व हो जाते हैं।बच्चे यौन अपराध की ओर प्रेरित होते हैं और इसके पीछे उनके ही करीबी शामिल होते हैं। जरूरत इस बात की है कि किसी भी बच्चे को ऐसे कार्य के लिए प्रेरित करने वालों को पॉक्सो और आईटी कानून के तहत अपराधी बनाया जाए। ऐसी आचार संहिता बनाने की जरूरत है जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर चाइल्ड पोर्न पर अंकुश लगाएं। बच्चों की परिसर में सुरक्षा के लिए स्कूलों को जिम्मेदार बनाया जाए। पुलिस जैसी एजेंसियों को और ज्यादा एक्टिव किया जाए ताकि वह ऐसे मामलों की बेहतर ढंग से इन्वेस्टिगेशन कर सके। भारत में जितनी भी डिवाइस बिक रही हैं उनमें चाइल्ड पोर्न Prevention से जुड़ी हुई ऐसी एप्प होनी चाहिए जिससे उन पर नजर रखी जा सके। चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ सोशल मीडिया की कई कंपनियों ने सख्त कदम उठाए हैं। व्हाट्सएप, यूट्यूब और फेसबुक ने भी इस दिशा में काफी काम किया है। ऐसे कई वीडियो हटाए गए हैं। लेकिन डार्क वेब एक ऐसी इंटरनेट प्रणाली है जहां पर यह सभी वीडियो और इमेजेस मौजूद हैं। नन्हे बच्चों को डार्क वेब जोड़ दिया जाता है। इस तरह की गतिविधियां वहां से संचालित की जाने लगी हैं। यहाँ लोगों के लिए अपनी लोकेशन छुपाना आसान होता है। डार्क वेब गुमनाम इंटरनेट दुनिया है जो Website को मदद करता है, अपनी पहचान छिपाने में। अपनी लोकेशन और जिम्मेदारी से बचने का सबसे बेहतर तरीका डार्क वेब बन गया है। ये अपने आप को उजागर करने से छिपाने का पिछला दरवाजा है। जैसे हम टोल टैक्स से बचने के लिए गांव खेड़े की गलियों से गुजरना पसंद करते हैं। वैसे ही डार्क वेब ऐसा पिछला रास्ता है जिसके जरिए Website कानूनी जिम्मेदारियों से बच जाती हैं। डार्क वेब वेबसाइट नामधारी नहीं होती। Website ऐसे नाम से होती हैं जिन्हें आसानी से नहीं पहचाना जा सकता। ये भी पढ़े.....पोर्नोग्राफी के दैत्य को नहीं मारा तो यह पूरे समाज को चट कर जाएगा इंटरनेट का शिकारी बच्चों को अपने जाल में फंसाता है और उन्हें बहला-फुसलाकर उनके साथ दुष्कर्म को फिल्माता है। जो बच्चा समाज से थोड़ा अलग दिखाई देता है। जिसकी वीडियो गेम्स में बहुत ज्यादा रुचि है। जिसके माता-पिता व्यस्त रहते हैं। ऐसे बच्चों से कांटेक्ट स्थापित करना आसान होता है। वीडियो गेम या अन्य चाइल्ड वेबसाइट के जरिए ऐसे बच्चों से कांटेक्ट किया जाता है। धीरे-धीरे उन्हें अपनी न्यूड फोटो उतारने को कहा जाता है। और ऐसे करते हुए बच्चे इनके जाल में फंस जाते हैं। ऐसे बच्चों के भावनात्मक अकेलेपन का फायदा उठाया जाता है। सोशल मीडिया या वीडियो गेम चैट के जरिए इनसे कांटेक्ट स्थापित किया जाता है। रेगुलर कांटेक्ट करके इनको भरोसे में लिया जाता है। इन्हें इस तरह के कंटेंट का आदी बनाया जाता है। बच्चों की सुरक्षा हम सबकी जिम्मेदारी है ऐसे में बच्चों को बहुत सजगता से इन सब गतिविधियों से दूर करना होगा। बाल यौन शोषण सामग्री क्या है?  बाल यौन शोषण सामग्री (चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी) किसी भी ऐसी सामग्री को संदर्भित करती है जो एक बच्चे से जुड़ी यौन गतिविधियों को दर्शाती है। Visual depictions में नाबालिग की नग्न फोटोग्राफ, वीडियो, डिजिटल या कंप्यूटर generated images शामिल हैं। हाल ही में, लाइव-स्ट्रीमिंग यौन शोषण (live-streaming sexual abuse) सामने आना शुरू हो गया है। ऐसे मामलों में व्यक्ति वीडियो स्ट्रीमिंग सेवा के ज़रिये पैसा देकर बच्चे के साथ लाइव दुर्व्यवहार देखते हैं। इस प्रकार के दुरुपयोग का पता लगाना कठिन है, इसका कारण है real-time nature और अपराध के बाद डिजिटल साक्ष्य की कमी (lack of digital evidence)। ये भी पढ़े..ट्विटर के खिलाफ पोस्को और आईटी एक्ट के तहत केस, दिल्ली पुलिस ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी मामले में अकाउंट की जानकारी मांगी [embed]https://youtu.be/IhAuwmV2EC8[/embed] बाल यौन शोषण सामग्री (child sexual abuse material) (CSAM) एक वैश्विक मुद्दा है, संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया में बाल शोषण सामग्री के सबसे बड़े उत्पादकों और उपभोक्ताओं (producers and consumers) में से एक है। किसके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है? ऐसे स्टडीज हैं जो बताते हैं कि यौन शोषण के शिकार लोगों की उम्र और पृष्ठभूमि की कोई सीमा नहीं है। ऑनलाइन पाए गए बाल यौन शोषण के चित्र और वीडियो में 0-18 वर्ष की आयु के लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं। 12 साल से कम उम्र के बच्चों की इमेजेस और वीडियो लगभग 78.30% हैं, और उनमें से 63.40% बच्चे 8 साल से कम उम्र के हैं। एक स्टडी में पाया गया कि 80.42% बच्चे लड़कियां थीं, जबकि 19.58% लड़के थे। एक ही बच्चे को केप्चर करने वाली कई इमेजेस/वीडियो Abusing का रिकॉर्ड बन जाती हैं और कहीं अधिक, कई बार share की जा सकती हैं, इसका नतीजा यह होता है कि बच्चा बड़े होने तक एब्यूजिंग का शिकार होता रहता है उसका समाज में जीना मुश्किल हो जाता है| टेक्नोलॉजी ने बच्चों को नुकसान पहुंचाना आसान बना दिया है। 90 के दशक में लगभग गायब होने के बाद, इंटरनेट के उदय के साथ बाल यौन शोषण सामग्री (child sexual abuse material) का प्रसार तेजी से बढ़ा, जबकि ऑनलाइन बाजार के संपर्क में आने के साथ बाल यौन तस्करी (child sex trafficking) में बढ़ोतरी हुई। ये भी पढ़े..पेरेंट्स स्वयं सिखाएं – अपने बच्चों को सुरक्षित करने के कुछ जरूरी टिप्स:- How to keep your child safe from bad touch? आज ही समस्या और जटिल हो गई है और समय के साथ बढ़ती जा रही है। जरा आंकड़ों पर नजर डालें। 2004 450,000 फ़ाइलें 2019 70 मिलियन फ़ाइलें USA  के नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रेन (National Center for Missing and Exploited Children) के अनुसार 63% पीड़ित बच्चे ऑनलाइन माध्यमों से encountered  हुए। ये भी पढ़े..... चाइल्ड पोर्न देखना भी है अपराध, बच्चों को फंसने से ऐसे बचाएं| एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में ऑनलाइन माध्यमों से सेक्सुअल एब्यूज का शिकार हुए 7 में से 1 बच्चे के साथ चाइल्ड ट्रैफिकिंग हुई। तो आप समझ सकते हैं कि बच्चे किस अंधेरी दुनिया की तरफ जा रहे हैं। इन्हें इस डार्क साइड से बचाने के लिए न सिर्फ सरकार को और सक्रिय होना पड़ेगा बल्कि मां बाप को भी सजग होना पड़ेगा। बच्चों को चाइल्ड पोर्नोग्राफी से कैसे बचाएं?  बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों में आप भी शामिल रहे। आपत्तिजनक सामग्री को ब्लॉक करने से ज्यादा महत्वपूर्ण है अपने बच्चों को सुरक्षित और जिम्मेदार ऑनलाइन व्यवहार सिखाना और उनके इंटरनेट उपयोग पर नजर रखना। बच्चों को बताएं कि वह कभी भी अपनी फोटो शेयर ना करें। कभी भी व्यक्तिगत तस्वीरें पोस्ट या ट्रेड न करें। कभी भी पर्सनल डीटेल्स जैसे पता, फोन नंबर, या स्कूल का नाम या स्थान ओपन न करें। केवल एक स्क्रीन NAME का यूज करें और पासवर्ड (माता-पिता के अलावा अन्य किसी से शेयर ना करें भले ही वह आपका क्लोज फ्रेंड हो। माता-पिता की परमिशन के बगैर ऑनलाइन मिले किसी व्यक्ति से व्यक्तिगत रूप से मिलने के लिए कभी भी एग्री न हों। धमकी भरे ई..मेल, संदेश, पोस्ट या टेक्स्ट का कभी भी जवाब न दें। किसी भी कम्युनिकेशन या चैट के बारे में माता-पिता या अन्य घर के बड़े को हमेशा बताएं जो डरावना या आहत करने वाला था। माता-पिता यह ध्यान रखें। अपने बच्चों को उचित ऑनलाइन व्यवहार सिखाने के लिए उनके साथ ऑनलाइन समय बिताएं। कंप्यूटर को ऐसी जगह रखें जहाँ आप उसके उपयोग को देख सकें और उसकी निगरानी कर सकें, न कि अलग बेडरूम या रूम में। स्मार्टफोन या टैबलेट को समय समय पर चेक करते रहें। इजी एक्सेस के लिए बच्चों की पसंदीदा साइटों को बुकमार्क करें। अपने क्रेडिट कार्ड और फ़ोन बिलों की जाँच करें, देखें कि इनसे किसी साइट पर पेमेंट तो नहीं हुआ है। इस बात की जानकारी जुटायें की आपके बच्चे स्कूल या कोचिंग के बाद दोस्तों के घरों, या किसी भी अन्य जगह मोबाइल या कंप्यूटर का इस्तेमाल तो नहीं कर रहे। अपने बच्चे को गंभीरता से लें यदि वह असहज ऑनलाइन Exchange की बात करता है। यदि आप चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी ऑनलाइन भेजने, उपयोग करने या देखने के बारे में जानते हैं, तो स्थानीय पुलिस या अन्य जांच एजेंसी से संपर्क करें। कैसे पहचाने कि बच्चा इस तरह की एक्टिविटी में इंवॉल्व है? लंबे समय तक ऑनलाइन बिताना, खासकर रात में। उन लोगों के फोन कॉल जिन्हें आप नहीं जानते। अनवांटेड मेल। जब आप कमरे में जाते हैं तो आपका बच्चा अचानक कंप्यूटर बंद कर देता है। पारिवारिक जीवन से दूरी और ऑनलाइन गतिविधियों पर चर्चा करने की अनिच्छा। आपको यह तय करना होगा कि बच्चे अपने साथ होने वाली हर एक्टिविटी की जानकारी आपको सहज रूप से दे सकें। आपका बच्चा आपके साथ इतना सहज होना चाहिए कि वह आपको गलत करने पर भी बताने से झिझके नहीं।