सिविल न्यायालयों में अब कम्प्यूटरीकृत आवेदन ही लिये जायेंगे: डॉ. नवीन जोशी


स्टोरी हाइलाइट्स

प्रदेश के जिलों में स्थित असिविल न्यायालयों में अब कम्प्न्यूटरीकृत आवेदन ही लिये जायेंगे। पहले टाईपिंग मशीन वाले आवेदन भी लेने का प्रावधान था।.......

सिविल न्यायालयों में अब कम्प्यूटरीकृत आवेदन ही लिये जायेंगे डॉ. नवीन जोशी भोपाल। प्रदेश के जिलों में स्थित असिविल न्यायालयों में अब कम्प्न्यूटरीकृत आवेदन ही लिये जायेंगे। पहले टाईपिंग मशीन वाले आवेदन भी लेने का प्रावधान था। नये प्रावधान के तहत, अब आवेदन का पेपर ए फोर साईज में दोनों ओर, जिसका जीएसएम 75 से कम न हो, यूनीकोड मंगल फाण्ट, आकार 16 (देवनागरी लिपि हेतु) एवं टाईम्स न्यू रोमन फान्ट आकार 14 (रोमन लिपि हेतु) में सफाई से अंकित अथवा प्रिन्टेड हो, जिसमें ऊपरी और पृष्ठ भाग पर डेढ़ इंच बांयी और पौने दो इंच दांयी और कम से कम एक इंच का हाशिया छोड़ेगे तथा डेढ़ लाईन स्पेसिंग वाला ही हो सकेगा। इसके अलावा यह भी नया प्रावधान किया गया है कि सिविल न्यायालय के रिकार्ड रुम से प्रतिलिपि के लिये आवेदन किसी अभिलेख के संबंध में हो, जिसका डिजिटलीकरण नियमों के अनुसार डिजिटलीकरण किया गया है, तो सर्टिफाईड कॉपी ऐसे डिजिटलीकृत अभिलेख के आधार पर जारी की जा सकेगी। तथापि यदि आवेदन लंबित अभिलेख या उसके भाग के लिये है, तो पीठासीन न्यायाधीश की अनुमति अपेक्षित होगी। इसी प्रकार, अब आवेदन में रिकार्ड रुम न लिखकर न्यायालय लिखा जाना होगा। साथ ही उल्लेख करना होगा कि हार्ड कापी से तैयार प्रति अथवा डिजिटलीकृत अभिलेख से तैयार प्रति। राज्य के विधि विभाग ने एमपी हाईकोर्ट के परामर्श से वर्ष 1961 में बने सिविल न्यायालय नियमों में उक्त संशोधन कर इसे लागू कर दिया है।