कोरोना तुझे डर नहीं लगा ? -दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

कोरोना तुझे डर नहीं लगा ? दिनेश मालवीय पूरी दुनिया को हलकान करने वाले कोरोना! क्या तुझे अमेरिका के प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प को अपनी चपेट में लेने में डर नहीं लगा? चलो ठीक है कि तू जिस देश में जन्मा है, उसकी ट्रम्प से तनातनी चल रही है. इसलिए तेरी देशभक्ति को तो समझा जा सकता है. अपने देश के प्रति शत्रुता रखने वाले के को नुकसान पहुँचाने में भला संकोच होना भी क्यों चाहिए! तू डरा क्यों नहीं, यह हमारी समझ में नहीं आ रहा. क्या तुझे पता नहीं है कि उनके पास ऐसे हथियार हैं, जो इस दुनिया को पचास बार पूरी तरह नेस्तोनाबूत कर सकते हैं. भाई मेरे! वह ऐसे देश के प्रेसिडेंट हैं, जो दुनिया का चौधरी है. आज की तारीख में उसके जैसी ताक़त किसी देश के पास नहीं है. ज्ञान-विज्ञान, फ़ौजी ताक़त, किसीभी मामले में वह सिरमौर माना जाता है. इसीलिए उसे सुपरपॉवर कहते हैं. मेडिकल साइंस के मामले में भी उसे दुनिया के आला देशों में गिना जाता है. हमारे देश में तो किसी नेता, अभिनेता या थैलीशाह को छींक भी आ जाए, तो वह अमेरिका के लिए उपलब्ध पहली फ्लाइट पकड़ लेता है. किसीके बच्चे अमेरिका में रह रहे हों, तो वह बहुत घमंड के साथ ज़माने भर में इसका बखान करते नहीं थकता. अरे नादान! अमेरिका उस देश का नाम है, जो जब चाहे, जिसकी सरकार पलट सकता है. कुछ अपवादों को छोड़ दें तो उसकी इच्छा न हो तो कोई किसी देश का मुखिया नहीं रह सकता. वह उसे मरवा डालेगा, उड़वा देगा. ऊपर से कोई कितनी भी उसकी अवहेलना करे लेकिन उसकी ताक़त के आगे हर कोई थरथर कांपता है. यह और बात है कि तेरा देश तथा एक और सनकी तानाशाह वगैरह ऐसा जताने के कोशिश करते रहते हैं कि वे ट्रम्प और उसके देश को गिनती में नहीं लेते. एक शिया देश भी उससे पंगा लेता रहता है. लेकिन उसकी गोटियाँ ऐसी फिट हैं कि वह जहाँ जैसा चाहे करवा लेता है. इस शिया देश के भी तो एक बड़े नेता को उसने अभी हाल में उड़ा दिया. वह देश कुछ उछलकूद करके चुप हो गया. तेरा देश भी यह बताने की कोशिश करता है कि युद्ध की स्थिति में वह अमेरिका को नाकों चने चववा देगा. इसमें कोई शक़ भी नहीं कि तेरा देश बिल्कुल कमज़ोर नहीं है. उसकी अपनी भी बहुत बड़ी ताक़त है. अमेरिका को उससे उलझने के पहले कई बार सोचना पड़ेगा. यार! मैं भी बात को कहाँ से कहाँ ले गया. बात अमेरिका के प्रेसिडेंट को तेरी छूत लगने की हो रही थी. तेरा भी लोहा मानना ही पड़ेगा कि, जिस अमेरिका को श्रेष्टतम चिकित्सा सुविधाओं के लिहाज से गिनेचुने विकसित देशों में गिना जाता है, वहीँ तेरे कारण लाखों लोग अकाल ही काल के गाल में समा गये. उसकी सारी स्वनामधन्य मेडिकल फेसिलिटीज तेरे आगे पनाह माँग गयीं. वह दिन भी आएगा ही जब कोई देश तेरा तोड़ निकाल लेगा और तू तेरे अनेक पूर्वजों की तरह इतिहास के पन्नों में सिमट जाएगा. लेकिन भाई! मेरी समझ में अभी तक यह नहीं आ रहा कि तुझे आखिर ऐसे सर्वशक्तिमान देश के प्रेसिडेंट पर छू लगने की कैसे सूझी. तेरी छूत लगे लोग ठीक भी  हो रहे हैं. प्रेसिडेंट भी हो ही जायँगे. अरे जब हमारे प्रदेश के मुखिया और उनके साथी तेरी छूत से ठीक होकर बाहर चुनावी गुलगपाड़े में लग गये हैं, तो ट्रम्प ठीक न हों, इसका कोई कारण नहीं दीखता. हालाकि होता वही है जो रामजी ने रच रखा है. मेरा तुझसे यह निवेदन है कि चल ट्रम्प तो बड़े आदमी हैं, लेकिन ग़रीबों को सताने में तुझे शर्म नहीं आयी. तेरे कारण वे अपना पेट भरने तक के लिए मोहताज हो गये हैं. क्या जूझे उन लोगों की तकलीफें देखकर ज़रा भी लाज नहीं आयी. जैसा तेरे जी चाहे कर, लेकिन यार! किसीकी जान मत ले. इंसान बड़ा हो या छोटा, इसका परिवार होता है. सबका जीवन अनमोल होता है. कोरोना भाई! अब तक जो हो गया सो हो गया,लेकिन अब तो मेहरबानी कर अपना इंद्रजाल समेट ले. हमारा त्योहारों का सीजन आ रहा है. इस सीजन में हर्ष और उल्लास तो अपनी जगह है ही, लेकिन इससे करोड़ों लोगों के लिए सालभर जीवनयापन का साधन जुट जाता है. त्योहारी सीजन में व्यापारियों और धनी लोगों के साथ ही, गरीब और मध्यम वर्ग का भी बहुत भला हो जाता है. जा भाई जा! ट्रम्प को छूने में तुझे डर भी नहीं लगा, लेकिन ख़ुदा के कहर से तो डर. भगवान का कुछ तो भय रख. ट्रम्प को लगने में डर नहीं लगा तो नहीं लगा. लेकिन अब तो सबको बक्श.