चीन ने बना ली वैक्सीन? कोरोना वायरस वैक्सीन के शुरुआती ट्रायल में दिखे आशाजनक परिणाम


स्टोरी हाइलाइट्स

चीन ने बना ली वैक्सीन? कोरोना वायरस वैक्सीन के शुरुआती ट्रायल में दिखे आशाजनक परिणाम
कोरोना संकट से जूझ रही पूरी दुनिया के लिए चीन से अच्छी खबर आई है। अमेरिकी दवा कंपनी मोडेर्ना द्वारा कोविड-19 वैक्सीन के पहले फेज के सफल ट्रायल की घोषणा के बाद अब शुक्रवार को शोधकर्ताओं ने कहा कि चीन में विकसित एक वैक्सीन सुरक्षित लगती है और लोगों को खतरनाक कोरोना वायरस से बचा सकती है। क्लिनिकल ट्रायल के पहले चरण तक पहुंचने वाला कोविड-19 का पहला टीका मनुष्यों के लिए सुरक्षित, सहनीय और कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक प्रतिक्रिया उत्पन्न करने में सक्षम है। 'द लांसेट पत्रिका' में प्रकाशित एक नये अनुसंधान में यह दावा किया गया है। 108 वयस्कों पर किए गए इस अध्ययन के मुताबिक, इस टीके ने सार्स-सीओवी-2 को खत्म करने वाले एंटीबॉडी पैदा किए और रोग प्रतिरोधक तंत्र की टी-कोशिकाओं की मदद से प्रतिक्रिया उत्पन्न की।Corona से लड़ने का Vibration बढ़ाने वाला विज्ञान | Corona & Quantum Mechanics | Newspuran

हालांकि, चीन के बीजिंग इस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के अनुसंधानकर्ताओं समेत अन्य ने कहा है कि इस बात की पुष्टि करने के लिए और अनुसंधान करने की जरूरत है कि सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के खिलाफ यह टीका संरक्षण देता है या नहीं। अध्ययन में कहा गया कि 108 स्वस्थ वयस्कों पर किए गए परीक्षण में, टीके ने 28 दिन बाद अच्छे परिणाम दिखाए जहां अंतिम परिणामों का अगले छह महीने में आकलन किया जाएगा। 

अध्ययन के सह-लेखक बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के वेई चेन ने कहा, “ये परिणाम अहम कामयाबी को दिखाते हैं। परीक्षण दर्शाते हैं कि 'एडेनोवायरस टाइप 5 वेक्टर्ड कोविड-19 (एडी5-एनसीओवी) की एक खुराक से 14 दिन में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी और टी कोशिकाएं पैदा होती हैं।'CORONA VIRUS: लॉक डाउन के कारण बढ़ रही है मोटापे की बीमारी

वैज्ञानिकों ने कहा कि परीक्षण में इस्तेमाल एडी5 वेक्टर्ड कोविड-19 टीका मनुष्यों में जांचा गया पहला टीका है। अध्ययन में बताया गया कि इस टीके में जुकाम पैदा करने वाले कमजोर पड़े एडेनोवायरस का इस्तेमाल किया गया जो कोशिकाओं में सार्स-सीओवी-2 स्पाइक प्रोटीन के लिए कोडिंग का काम करने वाली आनुवंशिक सामग्री तैयार करता है। 

वैज्ञानिकों ने बताया कि ये कोशिकाएं फिर स्पाइक प्रोटीन पैदा करते हैं।  उन्होंने बताया कि ये फिर स्पाइक प्रोटीन की पहचान करते हैं और कोरोना वायरस से लड़ते हैं।  बता दें कि दुनियाभर में कोरोना वायरस के मामले 52 लाख से अधिक हो गए हैं।