धर्म सूत्र 9 - इस तरह से मिलेगी असीम सुख शांति : अतुल विनोद


स्टोरी हाइलाइट्स

Knowing how many cells a human is made up of, it consists of many elements of this world.

धर्म सूत्र 9 - इस तरह से मिलेगी असीम सुख शांति   एक मनुष्य न जाने कितने सेल्स से मिलकर बनता है उसमे इस दुनिया के अनेक तत्वों का समावेश है| जब सब कुछ एक सूत्र में बंध जाता है तो वो मानव कहलाता है| ऐसे ही ईश्वर है| ब्रम्हांड का सब चर अचर मिलकर इस यूनिवर्स को एक जीवित इकाई बनाते हैं|  हमारे शरीर के एक अंग में विकृति आने पर पूरे शरीर को बुरा लगता है| हमारे एक अच्छे अहसास से पूरा शरीर खिल जाता है| आँखें अच्छा दृश्य देखती है लेकिन मन, मस्तिष्क और शरीर का अंग, अंग सब प्रफुल्लित हो जाते हैं| हमारे आसपास होने वाले सारे अच्छे बुरे का असर हमारे ऊपर पड़ता है| यदि हमारे आसपास के लोग दुखी हैं तो हम भी किसी न किसी स्तर पर दुख महसूस करेंगे| जब तक हम आसपास की छोटी छोटी चीजों से गहरे स्तर पर जुड़े रहेंगे तब तक हमें आती-जाती लहरों का सामना करना पड़ेगा| हम उससे प्रभावित होते रहेंगे| लेकिन जब हम उस सुप्रीम क्रिएटर से जुड़ जाएंगे तो हम ठीक परमात्मा की तरह छोटी-बड़ी चीजों से प्रभावित नहीं होंगे| धर्म शास्त्र इस बात पर एकमत हैं कि यह पूरी दुनिया उस पर ब्रह्म परमात्मा का क्रिएशन है| यह सब कुछ उसी का है और वह हर जगह मौजूद है| परमात्मा का सारा क्रिएशन सिर्फ और सिर्फ अच्छे के लिए है| हर व्यक्ति जहां भी जिस व्यवस्था और स्थिति में है वह उसके लिए बेहतर से बेहतर है|  जिसे हम खुशी समझते हैं एक दिन वह दुख में जरूर बदलेगी दरअसल खुशी और दुख दोनों ही एक दूसरे के सापेक्ष हैं|  आपका दुख भले ही आपको परमात्मा का अन्याय नजर आता है लेकिन उसे पता है कि आपका दुख आपके सुख का ही एक हिस्सा है| यह हमारी ड्यूटी है कि हम परमात्मा का ध्यान करें| परमात्मा का ध्यान अपने आप में शांति है हमें सुख की खोज नहीं बल्कि शांति की खोज करनी चाहिए| परमात्मा से दूरी यानी अपने आप से दूरी परमात्मा से नजदीकी यानी अपने आप से नजदीकी, परमात्मा के चिंतन से ही अपने आप को प्राप्त किया जा सकता है| जिससे प्रेम किया जा सकता है वह सिर्फ और सिर्फ परमात्मा है और परमात्मा से प्रेम ही अपने आप से प्रेम है|  हम जो भी करें वह परमात्मा के लिए परमात्मा के नाम से ही करें|  हम परमात्मा की शरणागत हो जाए| उसके चरणों के दास हो जाए| हमारा हर क्षण परमात्मा के लिए ही होना चाहिए, हमारा हर प्रयास उसी को समर्पित होना चाहिए| वही तो है जो जीवन का आधार है| वही है जो जी रहा है| वही है जो घटित हो रहा है| वही है जो दया का सागर है|  उसके अलावा कौन है? सब वही है, वही है, वही है, वही है| आनंद के साथ कहिए वह जो करता है सब अच्छे के लिए करता है| वह कभी बुरा करता ही नहीं है| बस उसी को महसूस कीजिए| उसे महसूस करना यानी आनंद को फील करना| उसे महसूस करना उसकी कृपा को महसूस करना| उसे महसूस करना उसकी दिव्यता का एहसास करना| क्रमशः