क्रोध के आवेश में न बह जाएँ, क्रोध पे काबू करने के अचूक उपाए |


स्टोरी हाइलाइट्स

क्रोध की अधिकता के नाश का उपाय पूछा सो निम्नलिखित साधनोँ को काम मेँ लाने से क्रोध का नाश हो जाता है । सब जगह एक वासुदेव भगवान का ही दर्शन करे । ...

क्रोध के आवेश में न बह जाएँ, क्रोध पे काबू करने के अचूक उपाए | क्रोध की अधिकता के नाश का उपाय पूछा सो निम्नलिखित साधनोँ को काम मेँ लाने से क्रोध का नाश हो जाता है । १. सब जगह एक वासुदेव भगवान का ही दर्शन करे । जब भगवान को छोड़कर दूसरी कोई वस्तु ही नहीँ रहेगी तब क्रोध किस पर होगा ? २. यदि सब कुछ नारायण है तब फिर नारायण पर क्रोध कैसे हो ! सबके नारायण स्वरुप होने के कारण मैँ सबका दास हूँ । उस नारायणकी इच्छा के अनुसार ही सब कुछ होता है और वही प्रभु सबकुछ करता है, तब फिर क्रोध किस पर किया जाय? ३. नारायण की शरण होना चाहिए, जो कुछ होता है सो उसी की आज्ञा से होता है । अपनी इच्छा से करने पर नारायण की शरणागति मेँ दोष आता है । मालिक अपने आप चाहे सो करेँ, मैँ निश्चिन्त हूँ । ऐसी भावना होनी चाहिए । इच्छा करने से क्रोध होता है । इच्छा बिना क्रोध नहीँ हो सकता । ४. सब कुछ काल भगवानके मुख मेँ देखना चाहिए । थोड़े दिन के लिए मैँ क्रोध क्योँ करुँ ? संसार सब अनित्य है, समयानुसार सभी का नाश होनेवाला है, जीवन बहुत छोटा है, किसी के मन को कष्ट पहुँचे ऐसा काम क्योँ करना चाहिए ? ५. जो अपने से बड़े पर क्रोध आवे तो उनसे क्षमा माँगे और उनके चरणोँ मेँ गिर जाएँ और जो वह अपने ऊपर क्रोध करे तो भी उनके चरणोँ मेँ गिर जाएँ तथा हँसकर प्रसन्न मनसे बातेँ करे या चुप हो जाय । ६. अपने से छोटे पर क्रोध आवे तो उसके हित के लिए केवल दिखानेमात्र के लिए ही वह क्रोध होना चाहिए । अपने स्वार्थ का त्याग होना चाहिए, इच्छा ही क्रोध मेँ निहित है, इससे इच्छा का नाश हो, ऐसा उपाय करना चाहिए । भगवान के स्वरुप और नाम का चिन्तन हुए बिना ऐसा होना कठिन है |