'कल' नामक धोखे के शिकार ना बनें, आज में ही सब कुछ है.. 


स्टोरी हाइलाइट्स

हम असफल क्यों हैं?  हमारी सफलता के दरवाजे हमसे दूर क्यों?  हम क्या कर सकते हैं?  हमारी परिस्थिति ठीक नहीं है? 'कल' नामक धोखे के शिकार ना बनें.. 'tomorrow'

'कल' नामक धोखे के शिकार ना बनें, आज में ही सब कुछ है..
हम असफल क्यों हैं ? हमारी सफलता के दरवाजे हमसे दूर क्यों ? हम क्या कर सकते हैं ? हमारी परिस्थिति ठीक नहीं है ? हमें सफलता क्यों नहीं मिलती ? असफलता के प्रमुख कारण क्या है ? हमारे सामने यह अक्सर सवाल आता है कि अनेक कामों के लिए हमारे पास समय(time) क्यों नहीं होता है ? सब लोग अनेक वस्तुएं प्राप्त करना चाहते हैं और अच्छे - अच्छे काम भी करना चाहते हैं, लेकिन उन व्यक्तियों की संख्या बहुत कम रहती है जो समय (time) निकालकर आवश्यक काम सम्पन्न कर सकते हैं!


ये भी पढ़ें.... सफलता चाहिए तो बन्धन काट दीजिए 



success 

कुछ लोग कहते हैं कि हमारे ऊपर इतने अधिक दबाव हैं कि हमें बिल्कुल फुर्सत नहीं मिलती है, कुछ व्यक्ति कहते हैं कि अच्छा काम करना हमारे भाग्य में ही नहीं है और कुछ व्यक्ति केवल उपयुक्त समय (time) की प्रतीक्षा करते हैं! तथाकथित चतुर कोटि के व्यक्ति अपने मन को तथा दूसरों को यह कहकर समझाने का प्रयत्न करते हैं कि आजकल कलयुग है उच्च आदर्शों एवं महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए हमें श्रेष्ठ- तर युग के उदय की प्रतीक्षा करनी चाहिए तात्पर्य यह है कि अधिकांश व्यक्ति आज कुछ नहीं करना चाहते हैं, वे सब कुछ कल के लिए स्थगित करते रहते हैं! एक बालक कहता है कि वह युवावस्था में सब कुछ करेगा, युवक इन्हें वृद्धावस्था के लिए टालता है और वृद्ध कहता है कि अब तो बहुत देर हो गई! सारांश यह है कि हम सब 'कल' नामक धोखे के शिकार बने रहते हैं!



ये भी पढ़ें.... सफलता पाने के लिए अपनी सोच को हमेशा पॉजिटिव रखें….भगीरथ पुरोहित 


हमारे युग की विचार पद्धति का एक बहुत बड़ा अभिशाप यह है कि हम यह समझ बैठे हैं कि आगामी समय (time) बहुत अच्छा होगा! उसमें उपलब्ध साधनों एवं सुविधाओं द्वारा हम अपने समस्त मनोवांछित काम पूरे कर सकेंगे!
 

सफलता के मूल मंत्र 

कुछ व्यक्ति यह भी सोचते हैं कि कुछ समय (time) बाद उनको काफी फुर्सत मिल जाया करेगी! हमको याद रखना चाहिए कि हमारी प्रस्तुत परिस्थितियाँ ही हमारे लिए सर्वथा अनुकूल एवं उपयुक्त हैं! प्रकृति का यह नियम है कि प्रत्येक प्राणी को वह उसके लिए उपयुक्त वातावरण में उत्पन्न करती है! 


हमारा बाह्य वातावरण हमारे आन्तरिक व्यक्तित्व से सम्बद्ध रहता है! प्रकृति हमको एक विशेष प्रक्रिया द्वारा विकास करने का अवसर प्रदान करती है! हम कहीं भी जाएं, हमको उसी प्रक्रिया में होकर गुजरना पड़ेगा अपनी प्रगति के लिए हमको विशेष प्रकार की परीक्षाओं में होकर निकलना होगा, तब जो अनिवार्य है, उसको हम अभी और यहीं क्यों न कर डालें ?


प्रस्तुत परिस्थितियों को दोष देने का अर्थ यह होता है कि हम प्रमादवश सक्रिय नहीं होना चाहते हैं और अपनी निष्क्रियता एवं कर्महीनता के लिए किसी बाहरी शक्ति अथवा किसी बाह्य तत्व को दोष देते हैं, हम भूल जाते हैं कि कुआँ प्यासे के पास नहीं आता है! प्यासे को ही कुएँ के पास जाना पड़ता है और जाना चाहिए! सारांश यह है कि हम काम को कारण समझने की भूल करते हैं!



ये भी पढ़ें.... सफलता का मंत्र:- माता पिता की सेवा से जीवन धन्य होता है


वर्तमान युग में शारीरिक श्रम की बचत करने के लिए अनेक साधनों का आविष्कार किया गया है, लेकिन हम उनका भी उपयोग नहीं करते हैं तथा कभी भविष्य में आने वाले उपयुक्त अवसर की प्रतीक्षा करते रहते हैं! इस प्रकार हम घटनाओं और आवश्यकताओं के पीछे बने रहते हैं, क्योंकि हम प्रत्येक काम के लिए उपयुक्त अवसर 'कल' समझते हैं और यह 'कल' सम्भवतः कभी नहीं आता है!


हमको स्मरण रखना चाहिए कि 'काल' या 'समय (time)' नाम की वस्तु हमारे बाहर नहीं है! समय(time) केवल एक बहुत बड़ा धोखा है, जिसकी सृष्टि हमारी चेतना के आवर्तन द्वारा होती है! चेतना के आवर्तनों के वशीभूत मनुष्य अपने लिए 'समय (time)' के धोखे का निर्माण करता है! 


यहाँ तक कि उसकी अवधि का भी वही निर्माता बनता है, वह समय(time) की प्रवचना में अपने कर्तव्याकर्तव्य का निर्णय भी नहीं करता है और अनन्त में समस्त प्रक्रियाएं घटित होती रहती हैं!किसी ने ठीक ही कहा है कि 'Time and tide wait for none' अर्थात् 'समय(time) और सागर के ज्वार-भाटे किसी की भी प्रतीक्षा नहीं करते हैं! 


कल के लिए काम को टालने वाले व्यक्ति को प्रायः पश्चाताप अनुताप एवं आत्मग्लानि की अग्नि में गलना पड़ता है! ऐसे ही व्यक्तियों को लक्ष्य करके कहा जाता है कि 'अब पछताए होत का, जब चिड़ियाँ चुग गई खेत' अथवा साँप के निकल जाने पर उसकी लीक पीटना व्यर्थ होता है!

ये भी पढ़ें....  सफलता के रहस्य ….वॉरेन बफेट 

 remedies 

पारमार्थिक दृष्टि से हम केवल अपने स्थूल शरीर में अपनी चेतना को केन्द्रित रखते हैं और वासनाओं की सन्तुष्टि के लिए भाँति-भाँति के संवेदनों की भागदौड़ में जीवन व्यतीत करते हैं, फलतः हमारे पास अपनी वासनाओं की सन्तुष्टि के अतिरिक्त अन्य किसी काम के लिए समय(time) ही नहीं रहता है!


ऐसा कहा जाता है कि "यदि तुम किसी काम को सम्पन्न होते देखना चाहते हो, तो किसी व्यस्त व्यक्ति से कहो कि वह उस काम को कर दे" उक्त कथन में विरोधाभास की झलक मालूम पड़ती है, लेकिन है यह एक यथार्थ बात! कारण स्पष्ट है कि व्यस्त व्यक्ति अपनी जीवनचर्या का निर्धारण सोद्देश्य करता है और प्रत्येक काम  को सम्पन्न करने के प्रति पूर्णतः गम्भीर बना रहता है, यह भी कहा गया है कि व्यस्ततम व्यक्ति के पास काम करने को सदैव समय (time) होता है, जबकि अधिकांश व्यक्ति प्रयोजन सिद्धि की आपाधापी में समय (time) नष्ट करते रहते हैं!


एक प्राचीन कहानी के अनुसार एक व्यक्ति अपनी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति में पूरा दिन व्यतीत कर देता है और यह निर्णय नहीं कर पाता है कि वह जीविकोपार्जन के लिए कौनसा समय (time) निकाले ? कहानीकार के कथन में कुछ अतिशयोक्ति हो सकती है, लेकिन यह एक सर्वविदित तथ्य है कि फिर करेंगे, वाली अपनी आदत के अनुसार कुछ व्यक्ति हर काम विलम्ब करते हैं और जहाँ भी पहुँचते हैं!

ये भी पढ़ें.... विश्व के अमीर इंसान के सफलता के रहस्य ….बिल गेट्स



Success Tips: 


विलम्ब से पहुँचते हैं, उन्हें जहाँ 10 बजे पहुँचना होता है, वहाँ पहुँचने में उनको देर हो जाती है और जब 12 बजे पहुँचना होता है, तब भी उनको देर हो जाती है! कारण वही है, वह काम को टालते रहते हैं सम्भवतः उनका दृष्टिकोण यह रहता है कि जल्दी जल्दी क्यों करता है, अभी तो जीना है बरसों इसके विपरीत तत्काल काम करने वालों की दृष्टि यह रहती है कि 'कल करे सो अब'क्योंकि कल किसने देखा है, कल तक न मालूम कौनसी बाधा उपस्थित हो जाए?


प्रायः देखा भी यही जाता है कि किसी दुर्घटना के घटित हो जाने के कारण व्यक्ति के बहुत से काम अधूरे रह जाते हैं, लेकिन  जो व्यक्ति 'कल' के धोखे में नहीं और अपने काम को तत्काल सम्पन्न करते चलते हैं, वे सदैव नए काम के लिए तरो ताजा एवं तैयार दिखाई देते हैं, 'कल' के भरोसे न रहकर उन्हें कभी भी पश्चाताप नहीं करना पड़ता है! आप 'कल' के धोखे में रहने वाले व्यक्तियों की पंक्ति में खड़े होने से बचिए आप अपनी तैयारी आज ही कीजिए 'कल के धोखे में रहकर धोखा खाने के अवसर को निमन्त्रण मत दीजिए!

ये भी पढ़ें.... नुपूर ने किया IAS बनने का सपना साकार, 5 बार हुईं असफल फिर मिली सफलता..