ANALYSIS: पश्चिम बंगाल में बदलाव की बयार? … गलत रास्ते पर ममता बनर्जी! P ATUL VINOD


स्टोरी हाइलाइट्स

Election in the offing, TMC on wrong footing,West Bengal will see a democratic shift in politics in 2021, away from MAMTA's exploitative politics that violates the rights of the voiceless.पश्चिम बंगाल, विधानसभा चुनाव,bjp and tmc, west bengal, 2021 polls,Legislative Assembly elections,West Bengal, Assembly Election, 2021,Eye on 2021 Bengal assembly polls,Nationalism Versus Regionalism,Trinamool,analysis,  EXIT POLL, LATTEST, UPDATES, UPD, NEWS,Opinion Poll,Exit Poll,ओपिनियन पोल,एैग्ज़िट पोल,BJP,Congress,AITC,CPI(M),तृणमूल कांग्रेस,ममता बनर्जी,Mamata Banerjee,Modi,मोदी,नरेंद्र मोदी,Narendra Modi,West Bengal Elections 2021,2021 विधानसभा चुनाव,प.बंगाल विधानसभा चुनाव,चुनाव सर्वे,Chanakya Today,Election Survey,Aajtak India Today, EXIT POLL, Latest Survey, Live Hindi News, Hindi Live Aajtak,ABP News,NDTV India,NewsX Opinion Poll,सर्वे चुनाव,2021 चुनाव सर्वे,Trinamool Congress,Mukul Roy,INC,

पश्चिम बंगाल में बदलाव की बयार… गलत रास्ते पर ममता बनर्जी| # विश्लेषण # पश्चिम ‌बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 पर राजनीतिक विश्लेषण ! क्या  पश्चिम बंगाल लंबे समय बाद एक लोकतांत्रिक परिवर्तन के मुकाम पर है?  ये चुनाव देश के सबसे दिलचस्प चुनावों में से एक है|  इस चुनाव में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी की राजनीति अपनी पराकाष्ठा पर है| इस राजनीति में शोषण और हिंसा भी|  साम, दाम, दंड भेद  के इस चुनाव में ममता बनर्जी  आक्रामक भी हैं और दुस्साहसी भी, बीजेपी भी हर कीमत पर दीदी को सत्ता से बाहर करने पर आमादा है| इस चुनाव में उन लोगों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होगी जो अपनी आवाज़ नहीं उठा सकते लेकिन वोट दे सकते हैं| कहा जा रहा है कि पश्चिम बंगाल उबल रहा है|  ये उबाल क्यों है? क्या ये चुनाव ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी (जिन्हें वहां का सुपर मुख्यमंत्री कहा जाता है) के  लिए आफत लेकर आएगा? ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी मिलकर चुनाव को मैनेज करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं|  चुनाव दो तरह से मैनेज होता है एक तो मुद्दों को डाइवर्ट करके दूसरा वोटर्स को साध कर| एक बात और कही जा रही है कि पश्चिम बंगाल में जबरदस्त एंटी  इनकमबंसी है|  यानी वहां की जनता बनर्जी सरकार के खिलाफ आक्रोशित है और आक्रोश इतना ज्यादा है कि बुआ भतीजे के लिए इससे निपटना मुश्किल साबित होगा| बीजेपी की माने तो जनता के आक्रोश की वजह वहां पर व्याप्त भ्रष्टाचार भाई-भतीजावाद और आक्रमक शासन प्रणाली है| उसका आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस के शासन में नीचे से लेकर ऊपर तक सार्वजनिक धन में कट लगता है, और ये कट कई स्तरों पर लगता है| कहा जाता है कि शासन बनाए रखने के लिए ममता बनर्जी  हिंसा, शोषण, अपराधी तत्वों को संरक्षण देने और देश विरोधी ताकतों का साथ लेने से नहीं चूकती| भारतीय जनता पार्टी का कहना है पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का शासन अंतिम सांसे ले रहा है|   बुआ भतीजे के पैरों के नीचे की जमीन खिसक रही है| ममता बनर्जी जो जानी जाती थी शोषित पीड़ित और वंचित लोगों की आवाज उठाने के लिए| एक साफ सुथरा चेहरा, जो सादगी का जीवन जीते हुए भी जनहित में आक्रामक भूमिका निभाने को तैयार रहता है| लेकिन ये चेहरा सत्ता की कालिखों से दागदार होता चला गया| विपक्ष की कमज़ोरी के कारण सत्ता निरंकुश होती चली गई| जनहित के लिए लड़ने वाली ममता बनर्जी का शासन जन विरोधी हो गया| कहते हैं कि गरीबों और भूमिहीनों की आवाज बनकर उभरी ममता बनर्जी  सत्ता में आते ही बदल गई धीरे-धीरे उनका चेहरा घोटालेबाजों को संरक्षण देने, कॉरपोरेट्स और चिटफंड कंपनियों से मिलीभगत,  गरीबों से लूट,  किसानों की बदहाली,  तुष्टिकरण की राजनीति और  हिटलर शाही के चलते बदरंग होने लगा| ममता बनर्जी का साथ देने वाले टीएमसी के कई चेहरे इस परिवर्तित सरकार में  घुटन महसूस करने लगे| ऐसे लोगों को लगने लगा कि अभिषेक बनर्जी  के हाथों  की कठपुतली बनी ये सरकार  अब विकास के रास्ते से हट गई है| पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हत्याओं में बढ़ोतरी, आम नागरिकों की दबती  आवाज, अपराधियों और अवैध घुसपैठियों का बढ़ता बोलबाला भारतीय जनता पार्टी के लिए संजीवनी साबित हो रहा है| जब केंद्र में  शासन करने वाली भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता ही मारे जा रहे हैं तो आम जनता अपने आप को कैसे बेख़ौफ़ महसूस कर सकती है|  उनके लिए संदेश स्पष्ट है कि  सबसे बड़े राजनीतिक कार्यकर्ता सुरक्षित नहीं है तो सत्ता के खिलाफ आवाज़ उठाने पर वो कैसे सेफ रह सकते हैं| इसीलिए जनता खामोश है| कहते हैं कि पश्चिम बंगाल की पुलिस वहां शासन कर रही टीएमसी के कार्यकर्ता की तरह है|  ये पुलिस सिर्फ कठपुतली है  जो वही करती है जो ऊपर से बताया जाता है| इधर ममता बनर्जी बंगाली अस्मिता को मुद्दा बनाने जा रही है| बनर्जी बंगाली उपराष्ट्रवाद की भावना  को हवा देकर इसी बयार के सहारे अपनी पतवार को किनारे पर ले जाने  का ताना-बाना बुन रही है| बांग्ला संस्कृति और पहचान के रक्षक  के तौर पर खुद को स्थापित कर  बनर्जी अपने शासन के 5 साल के एक्सटेंशन के  प्लान में हैं| बीजेपी की कमजोरी बनर्जी के मुकाबले कोई दमदार चेहरा नहीं होना है|  बीजेपी राष्ट्रीय नेतृत्व के भरोसे हैं|  ममता बनर्जी के लिए यही प्लस पॉइंट है कि वो इन नेताओं को बाहरी बता कर क्षेत्रवाद का मुद्दा गरमा सकती हैं| बीजेपी ने ममता बनर्जी  का विकल्प बनने की भरसक कोशिश की है|  लेकिन इस पार्टी के पास यहां प्रतिबद्ध मतदाताओं का बैंक नहीं है|  हालांकि खुद को विकल्प के तौर पर पेश कर बीजेपी ने ममता बनर्जी और अन्य दलों के मतदाताओं में सेंध लगाने में कामयाबी हासिल की है, फिर भी उसके सामने कई चुनौतियां हैं| बीजेपी यहां कभी भी शासन में नहीं रही इसी वजह से वो यहां के लिए नौसिखिया ही है|  भारतीय जनता पार्टी अन्य राज्यों के जीत के फार्मूले को यहां इस्तेमाल करना चाहती है लेकिन वो कितना काम करेंगे ये कहा नहीं जा सकता| अमित शाह पश्चिम बंगाल की 294  असेंबली सीटों में से 200 से ज्यादा पर जीत हासिल करने का प्लान बना रहे हैं| सूत्रों की माने तो बीजेपी के प्लान  का बड़ा हिस्सा अंतिम समय तक रहस्य  बना रहेगा|  2011 में ममता बनर्जी की  टीएमसी  वामदलों की 34 सालों की सत्ता को बेदखल कर यहां की महारानी बनी थी|  2016 में भी बनर्जी ने जीत हासिल की|  इन 10 सालों में पश्चिम बंगाल में वाम दलों का प्रभाव कम होता चला गया|  बीजेपी ने पिछले 4 साल में यहां  पैर जमाने के काफी प्रयास किए, इन प्रयासों में उसे कुछ हद तक सफलता भी हासिल हुई और लोकसभा में उसने 44 मे से 18 सीटें जीतकर तृणमूल कांग्रेस के कान खड़े कर दिए| तृणमूल कांग्रेस के लिए भारतीय जनता पार्टी की रणनीति अभी धुंधली है| वो आशंकित है कि बीजेपी कुछ ऐसा भी करेगी जो फिलहाल उसकी समझ से बाहर है| आरएसएस चुनाव में कैसे अपनी भूमिका को साबित करता है ये भविष्य की गर्त में है| कुल मिलाकर ये चुनाव बहुत दिलचस्प होने वाला है जहां युद्ध की तमाम रणनीतियों के साथ, तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच होने वाला मुकाबला, अब तक के स्टेट लेवल के चुनावी इतिहास का, सबसे  रोमांचक, आक्रमक और  ऐतिहासिक संग्राम हो सकता है|