बच्चों के साथ बच्चे बन जाएँ... खेले कूदें मुस्कुरायें : Guide to Modern Parenting


स्टोरी हाइलाइट्स

हंसता-खिलखिलाता, मुस्कुराता बचपन कितना प्यारा लगता है। जब भी किसी बच्चे को खुलकर मुस्कुराते देखते हैं तो चेहरे पर अनायास..बच्चों के साथ बच्चे बन जाएँ

बच्चों के साथ बच्चे बन जाएँ... खेले कूदें मुस्कुरायें : Guide to Modern Parenting

हंसता-खिलखिलाता, मुस्कुराता बचपन कितना प्यारा लगता है। जब भी किसी बच्चे को खुलकर मुस्कुराते देखते हैं तो चेहरे पर अनायास ही एक मुस्कान आ जाती है और दिल में एक खयाल भी कि 'हम भी अगर बच्चे होते तो क्यों न इस बचपन को जी लिया जाए, माना कि हम वो पत वापस नहीं ला सकते पर अपने बच्चों के साथ बचपना दिखाकर कुछ पलों के लिए ही सही, फिर से बच्चे तो बन ही सकते हैं न... ।

मौज-मस्ती

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अपने बच्चे के साथ समय बिताना और चीजें करना आपके रिश्ते को बनाने में मदद करता है।

आपके बच्चे के साथ विशेष समय रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा हो सकता है, या आप खेलने, खेल और अन्य गतिविधियों के लिए समय निकाल सकते हैं।
खाना बनाना, पढ़ना, word games खेलना, पार्क जाना आदि गतिविधियों को साथ करने का प्रयास करें।




खेले बच्चों के गेम्स




बचपन के खेल कितने मजेदार होते थे। खो-खो, पकड़ा पकड़ी, सितौलिया... लेकिन फिर हम बड़े हो गए और हमारे खेल हमारे बचपन के साथ ही गुम हो गए तो क्यों न एक बार फिर उन यादों को दोहराया जाए। बच्चों के साथ पार्क जाएं तो बतियाने के बजाय अपने बच्चों और उसके दोस्तों को इकट्ठा करें और खेलें वही पुराने खेल इस तरीके को आजमाएं जरूर फिर देखिए आपकी व बच्चों की हंसी इस आनंद को दोगुना कर देगी।




पेरेंट्स स्वयं सिखाएं – अपने बच्चों को सुरक्षित करने के कुछ जरूरी टिप्स:- How to keep your child safe from bad touch?




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अपने बच्चे को अपना पूरा ध्यान दें और संदेश दें कि वह आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज है|
अपने बच्चे के दृष्टिकोण से दुनिया को देखें
अपने बच्चे की पसंद, नापसंद, चिंताओं और कुंठाओं के बारे में अधिक जानें
अपने बच्चे को कुछ मार्गदर्शन दें, उससे बात करें और उसकी बात सुनें।

बच्चों की तरह बात करें




तुतलाती जुबान में अपनी मीठी बोली से सबका मन मोहते बच्चे कितने प्यारे लगते हैं न। कामकाज में व्यस्त होने के कारण हम अपने बच्चों के इन सुनहरे लम्हों को एंजॉय भी नहीं कर पाते। इसलिए कभी-कभी बन जाएं बच्चों के साथ बच्चे, उनसे उनकी भाषा में बात करें, कभी तुतलाकर तो कभी खिलखिलाकर। यदि आपके बच्चे बड़े हैं तो उन्हें बताएं वे बचपन में कैसे बात किया करते थे। ताकि उनकी याद भी ताजा हो जाए।




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आपके बच्चे के साथ की जाने वाली दैनिक गतिविधियाँ: 

स्कूल के बाद एक साथ एक नाश्ता बनाएं।

एक साथ भोजन या किराने का सामान खरीदने जाएं और अपने बच्चे को निर्णय लेने में मदद करें, चीजों के लिए भुगतान करें और दुकान सहायकों के साथ बातचीत करें।

कार ट्रिप को मज़ेदार बनाएं। आप साथ में संगीत भी गा सकते हैं।

सोते समय अपने बच्चे के साथ किताबें पढ़ें या कहानियाँ सुनाएँ।

जब खेलने की बात आती है और आपके स्कूल जाने की उम्र के बच्चे की, तो अपने बच्चे को यह चुनने दें कि क्या खेलना है या खेल में आगे बढ़ना है। आपको जल्द ही पता चल जाएगा कि उसे क्या पसंद है या उसकी कल्पना क्या है।

शब्द का खेल खेलें और एक साथ चुटकुले और पहेलियां बनाएं। 

आप 'नॉक नॉक' या 'चिकन, मेंढक, गाय (जो कुछ भी आपको हंसाते हैं) ने सड़क पार क्यों की?' जैसे चुटकुलों से शुरुआत कर सकते हैं? फिर अपने बच्चे को अपना बना लें।

पीछा करना, कुश्ती करना या एक साथ घूमना। इस तरह का मोटा-मोटा खेल आपके बच्चे को यह सीखने में मदद कर सकता है कि बिना चोट पहुंचाए मजबूत कैसे बनें।

'सांप और सीढ़ी', डोमिनोज़ और साधारण कार्ड गेम जैसे बोर्ड गेम खेलें। यह आपके बच्चे को बारी-बारी से खेलना और निष्पक्ष खेलना सीखने में मदद करता है।



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बच्चों के साथ एक बार फिर बन जाए बच्चा




एक झपकी सुकून वाली




बच्चों को सोते हुए देखा है न, कितने प्यारे और मासूम लगते हैं। दुनिया की परेशानियों से दूर सुकून भरी नींद में खोए हुए और दूसरी ओर हमें नींद के समय भी हजारो परेशानियां याद आ जाती है। कल ये काम करना है, ऑफिस का ये टारगेट अधूरा रह गया, कामवाली फिर से नहीं आई, फिक्र ने हमारी नींद को भी फुर्र कर दिया है तो बच्चों से सीखें चैन भरी नींद सोना, उन्हें कल की क्या, अगले पल की भी चिंता नहीं, तो बस थोडा उनकी तरह बन जाए। कल क्या होगा उसे कल देखेंगे एक झपकी सुकून की ली जाए।

बच्चों और युवाओं के लिए ये सनातन धर्म सूत्र बहुत काम के हैं।

आउटडोर खेल न केवल मजेदार है - यह एक अच्छा व्यायाम भी है। अपने बच्चे के साथ बाहर जाने के लिए यहां कुछ उपाय दिए गए हैं:

साथ में पार्क में जाने के लिए समय निकालें - हो सके तो पैदल चलें या बाइक चलाएं।
अपने बच्चे को कौशल का अभ्यास करने और गेंद पर चढ़ने और पकड़ने जैसी चीजों में बेहतर होने का मौका दें।
घास पर लेट जाओ और बादलों में आकृतियों या जानवरों की तलाश करो।
एक अंधेरी, साफ रात में, बाहर जाओ और सितारों को देखो।
अगर आपका बच्चा 'मजेदार' गतिविधियों के दौरान गलत व्यवहार करता है
यहां तक ​​​​कि जब आप अपने बच्चे के साथ कुछ मज़ेदार कर रहे हों, तब भी वह उन तरीकों से व्यवहार कर सकता है जो आपको पसंद नहीं हैं। उदाहरण के लिए, वह आपके द्वारा खेले जा रहे खेल के बारे में शिकायत कर सकती है या घर जाने की मांग कर सकती है क्योंकि वह ऊब चुकी है।

बच्चे कई कारणों से चुनौतीपूर्ण तरीके से व्यवहार करते हैं। यदि आपका बच्चा गलत व्यवहार करता है, तो यह जानने की कोशिश करें कि वह ऐसा क्यों कर रहा है। उदाहरण के लिए:

क्या आपकी उम्मीदें यथार्थवादी हैं? उदाहरण के लिए, शायद कोई खेल बहुत कठिन है, या आपका बच्चा उस पर अधिक समय तक ध्यान केंद्रित नहीं कर सकता है।
क्या आपका बच्चा थक रहा है या ऊब रहा है? 

आपको बस कुछ और करने की आवश्यकता हो सकती है, या यह गतिविधि को रोकने और दूसरी बार फिर से प्रयास करने का संकेत हो सकता है।क्या गतिविधि आपके बच्चे के स्वभाव के अनुकूल है? कुछ गतिविधियाँ दूसरों की तुलना में अलग-अलग स्वभाव के अनुकूल होती हैं।

सावधान : कहीं आप helicopter parent तो नहीं

चंचलता लें उधार




माना कि बचपन को फिर से नहीं पाया जा सकता पर हम बच्चों से उनकी चंचलता तो उधार ले सकते हैन। उनके पास खिलौने नहीं हो तो वे कटोरी चम्मच को ही खिलौना बनाकर भी खुश रहते हैं और हम जिंदगी में छोटी-छोटी चीजों के लिए शिकायतें करते रहते हैं। तो क्यों न हम भी बच्चों की तरह चंचल बन जाए। जिंदगी के छोटे-छोटे पलों को जी भर कर जीएं। उनकी तरह बेवजह खुश होना सीखें।




भरपूर मस्ती करें




आप चाहें गृहिणी हों या वर्किंग, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अपनी जिम्मेदारियों के बोझ को थोड़ा-सा हटाइए, क्या हो गया अगर एक दिन घर बिखरा रह गया, क्या हो गया यदि एक दिन ऑफिस का काम अधूरा रह गया? थोड़ी-सी मस्ती करने में क्या जाता है। अपने बोझिल पलों से ब्रेक लें और अपने पसंदीदा गाने चलाएं और बच्चों की तरह थिरके थोड़ा-सा बचपना दिखाए और इन पलों को अपनी मुट्ठी में कर लें। ये छोटी-छोटी खुशियां आपके बोझिल दिन को भी मजेदार बना देंगी। बचपन कहीं खोया नहीं है, वह आपके आसपास ही है। उसे अपने बच्चों के बचपन में ढूंढिए, उनके बचपने को अपनाइए और खुद में छुपा वह प्यारा सा बच्चा बाहर लाइए, जो भरपूर जीना चाहता है तो क्यों न कुछ पल बचपन के नाम कर दिए जाए...।


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