21 जून को वर्ष का पहला सूर्यग्रहण, क्या इसका कोरोना पर भी होगा असर - दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

आगामी 21 जून को इस वर्ष का पहला  सूर्यग्रहण होगा. यह वलयाकार होगा यानी ग्रहण के दौरान सूर्य का घेरा एक चमकती अंगूठी की तरह दिखाई देगा. यह...

21 जून को वर्ष का पहला सूर्यग्रहण, क्या इसका कोरोना पर भी होगा असर - दिनेश मालवीय सूर्य का घेरा चमकती अंगूठी जैसा दिखेगा क्यों होता है ग्रहण ? पुराण व विज्ञान की दृष्टि में सूर्य और ग्रहण आगामी 21 जून को इस वर्ष का पहला  सूर्यग्रहण होगा. यह वलयाकार होगा यानी ग्रहण के दौरान सूर्य का घेरा एक चमकती अंगूठी की तरह दिखाई देगा. यह सूर्यग्रहण भारत के अलावा नेपाल, पाकिस्तान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यूथोपिया और कोंगो मे दिखाई देगा। कोरोना पर असर कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि गस सूर्यग्रहण के बाद कोरोना वायरस का पतन हो जाएगा। चैन्नई के न्यूक्लियर एंड अर्थ साइंटिस्ट डॉ. के. एल. सुंदर ने दावा किया है कि 21 जून को सूर्यग्रहण के बाद कोरोना वायरस ख़त्म हो जाएगा। कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि सूर्यग्रहण से ग्रह-नक्षत्रों मे बदलाव के कारण कोरोना महामारी से राहत मिल सकती है। यह सूर्यग्रहण मृगशि नक्षत्र मे पड़ रहा है। मध्य अगस्त के बाद कोरोना महामारी का पतन हो जाएगा। वैज्ञानिकों और ज्योतिषियों की बातें अपनी अपनी विद्या और ज्ञान पर आधारित हैं। उन पर विश्वास करना या न करना आपके विवेक पर निर्भर है। इस ग्रहण के कुछ तथ्य कुल छह घंटे चलने वाले इस सूर्यग्रहण मे चंद्रमा सूर्य को 98.8% ढाँक लेगा। भारत मे ग्रहण 21 जून को सुबह 9.15 बजे शुरू होकर दोपहर 3.04 बजे समाप्त होगा। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार पृथ्वी सूरज के चक्कर लगाती है. चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है. कभी-कभी चंद्रमा, सूरज और धरती के बीच आकर सूर्य के प्रकाश को रोक लेता है. इसे ही सूर्यग्रहण कहते हैं. ज्योतिष की दृष्टि से सूर्यग्रहण चन्द्रमा द्वारा पूरी तरह या आंशिक रूप से ढँक जाने पर होता है. भारत के प्राचीन ग्रंथों में सूर्य का विवरण- व्याकरण की दृष्टि से सूर्य शब्द “सृ” धातु से बना है. इसका मतलब है “सूर्य आत्मा जगतस्त्सथुषश्च”. यानी सूर्य सबकी आत्मा हैं.उस अध्यात्म प्रकाश के आभिर्भाव से सम्पूर्ण दिशाओं का अंधकार समाप्त हो गया.भारत के प्राचीन ग्रंथों में सूर्य को सम्पूर्ण संसार को उत्पन्न करने वाला और उसका पालन-संहार करने वाला कहा गया है. सूर्य को दुनिया में सबसे अधिक देदीप्यमान और जगत को शुभकर्मों में प्रवृत करने वाला माना गया है. सूर्य को जनता का मूल देवता माना गया है. उन्हें विश्व का स्वामी कहा गया है. सूर्य की प्रतिदिन आराधना करने को कहा गया है और उसके विधान भी निर्धारित हैं. संस्कृत ग्रंथों में सभी वेदों, स्मृतियों, पुराणों, रामायण, महाभारत आदि ग्रंथों में भगवान सूर्य की बहुत महिमा गई गयी है. उन्हें उत्तम स्वास्थ्य देने वाला माना गया है. सविता,भानु, हंस, आदित्य सहस्त्रान्शु, मित्र, तपन, रवि आदि सूर्य के विभिन्न नाम हैं. यह एकदम प्रत्यक्ष देवता हैं,जो सभी को सामने दिखायी देते है. आरोग्य और समृद्धि के लिए रोजाना सूर्य को जल देने का सुझाव दिया गया है. भगवान सूर्य में जो प्रभा है, वह ईश्वर की ही प्रभा है. सूर्य की किरणों को विटामिन डी से भरपूर माना गया है. शास्त्रों में कहा गया है कि स्वास्थ्य चाहने वालों को हर रोज़ सूर्यस्नान करना चाहए. सुबह सुहाती धूप में पूरे शरीर को अपनी शक्ति, रुचि और ऋतु के अनुसार नंगा रखा जाते और शरीर के हरएक अंग पर सूर्य की किरणें पड़नी चाहिए. मनीषियों का कथन है  कि सूर्य के प्रकाश से रोग उत्पन्न करने वाले कीटाणुओं का नाश होता है. सूर्य की उत्पत्ति के बारे में भी शाश्त्रों में बताया गया है. संसार के अस्तित्व में आने से पहले सब जगह सिर्फ अँधेरा था. श्रुति के अनुसार सर्वशक्तिमान परमात्मा हिरण्यगर्भ का परम उत्कर्ष तेज उस अंधकारपूर्ण रात्री में आत्मप्रकाश के रूप में हुआ. वैज्ञानिक तथ्य - खगोलविदों के अनुसार पृथ्वी के आसपास करोडों सूर्य हैं. इनका जन्म अरबों साल पहले हुआ. हमें जो सूर्य दिखाई देता है, उसके सामने पृथ्वी बहुत छोटी है. अगर उसके दस लाख टुकड़े किये जाएँ, तो उसका हर टुकड़ा पृथ्वी से बड़ा होगा. सूर्य के सूर्य हमारी पृथ्वी से बहुत दूर है, लेकिन उसके प्रकाश को हम तक पहुँचने में कुछ मिनट ही लगते हैं. यह प्रकाश हर सेकंड 1 लाख 86 हजार 282 मील की गति से चलता है सूर्य का व्यास 8 लाख 80 हजार मील, यानी पृथ्वी से 110 गुना बड़ा है. सूर्य का भार भर पृथ्वी के भार से लगभग 3 लाख 33 हजार गुना है. सूर्य की पृथ्वी से दूरी 9 करोड़ 28 लाख 70 हज़ार मील है. सूर्य से आकाशगंगा के केंद्र की एक परिक्रमा पूरी करने में 25 करोड़ वर्ष लगते हैं.