अंगूर, अहा अंगूर! - दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

Grapes, yes grapes. Which today's children know by the name of grapes. However, it is considered the most delicious of fruits.

अंगूर, अहा अंगूर! - दिनेश मालवीय अंगूर, जी हाँ अंगूर. जिसे आजकल के बच्चे ग्रेप्स के नाम से ही जानते हैं. बहरहाल, को फलों में सबसे स्वादिष्ट माना जाता है. इसका स्वाद तो खाने वाले ही जानते हैं, लेकिन “अंगूर की बेटी” के आशिक तो इसका नाम सुनते ही झूमने लग जाते हैं. (आप समझ ही गये होंगे). अजीज़ नाजां नाम के महशूर कव्वाल की बेहद मकबूल क़व्वाली याद आती है- “आज अंगूर की बेटी से मोहब्बत कर ले, शेख साहब की नसीहत से बगावत कर ले”. ‘अंगूर की बेटी’ उर्दू शायरी में भी काफी आती है. लोग बेटियों के नाम तक ‘अंगूरी बाई’ रख देते थे. हिन्दी फिल्मों में “गद्दार” यानी विलेन को शराब के साथ गुच्छे से लटकते अंगूर खाते दिखाना निर्देशक का परम कर्तव्य होता है. आपको प्राण, अजित और प्रेम चोपड़ा के कई सीनि जरूर याद आ गये होंगे. अंगूर को लेकर बहुत-सी कहावतें भी सदियों से चली आ रही हैं. मसलन “लोमड़ी को अंगूर नहीं मिले तो वह कहती है कि खट्टे हैं” आदि. खैर, मैं भी बात को कहाँ से कहाँ ले जा रहा हूँ. कहना यह है कि पका हुआ अंगूर बहुत ज्यादा स्वादिष्ट और गुणकारी हो जाता है. इसमें बेस्ट क्वालिटी की ग्लूकोस और फ्रक्टोज होता है, जिससे रस पेट में पहुँचते ही यह पच जाता है. शरीर में ताज़गी और एनर्जी आ जाती है. अगर आपको कब्ज की शिकायत है तो “पेटसफा”, “नित्यं” या कुछ और लेग्जेटिव खाने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है. अंगूर यह काम बखूबी कर दिखाएगा. यह आँखों के लिए फुफीद होने के साथ-साथ वात-पित्त को भी नहीं बढ़ने देता. अंगूर में शुगर करीब पच्चीस फीसदी होती है. आयरन तो बहुत होता ही है, जो हीमोग्लोबिन को बढाता है. खून की कमी वालों के लिए तो यह अमृत जैसा है. यह किडनी, intestine और लीवर आदि को भी साफ़ करता है यूरिनरी ट्रेक में अगर कोई रुकावट हो तो उसे भी दूर करता है. स्किन डिसीज और हाई ब्लडप्रेशर में भी यह फायदा करता है. अंगूर में काफी विटामिन ‘ए” और ‘सी” होता है. इसमें पोटेशियम भी कम नहीं होता. लिहाजा यह हर उम्र के लोगों को ताक़त देने वाला फल है. अनेक बीमारियों में अंगूर रस-कल्प अमृत जैसा काम करता है. बहुत समय के बाद बीमारी से उठ व्यक्ति को फिर से पहले जैसा तंदरुस्त होने के लिए अंगूर ज़रूर खाना चाहिए. लेकिन वे पके हुए हैं. उन्हें खाने से पहले पानी से अच्छी तरह धो लेना चाहिए. ऐसा इसलिए ज़रूरी है क्योंकि अंगूर की खेती में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव होता है. इन पर मच्छर भी बहुत बैठते हैं. पके अंगूर को सुखाकर ही किशमिश बनती है, जिसे संस्कृत में द्राक्षा कहते हैं. आयुर्वेद में द्राक्षासव, द्राक्षारिशत, द्राक्षाव्लेह आदि इसीसे बनते हैं. लिहाजा मज़े से अंगूर खाइए और सेहतमंद रखिये.लेकिन सावधान! इसे खाकर तत्काल पानी नहीं पीने का है. बहुत ज्यादा खाना भी अच्छा नहीं है. कुदरत ने हर चीज की लिमिट फिक्स की हुयी है, जो आपका शरीर ख़ुद बता देता है.