हिन्दी लोकोक्तियाँ 15 -दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

हिन्दी लोकोक्तियाँ-15 -दिनेश मालवीय 1. करेगा सो भरेगा गलत काम करने वाले को दण्ड तो मिलेगा ही. As you  sow so shall you reap. 2.करे न धरे, सनीचर को दोष. कर्म तो करते नहीं और भाग्य को दोष देते हैं. 3. करें प्रपंच, बने सरपंच. प्रतिष्ठित पद पर रहकर बुरा काम करने वाले के लिए कहा जाता है. 4.कल किसने देखा आज का काल काल पर नहीं छोड़ना चाहिए, काल क्या होगा क्या पता. Tomorrwo never comes. 5.कलारी पर पानी भी पियो तो बदनाम. बुरी जगह पर बैठने भर से बदनामी हो जाती है. 6. कहने-कहने का अंतर है. एक ही बात को अलग ढंग से कहा जाए तो उसके अर्थ बदल जाते हैं. 7.कहने से करना कठिन है. Easier said than done. 8.कहने से करना भला. किसी काम के बारे में कुछ कहने के बजाय उसे कर देना बेहतर है. An ounce of practice is better than tons of preaching. 9.कहने से चावल नहीं पकता. सिर्फ कह देने भर से कुछ नहीं होता. उसके लिए आवश्यक संसाधन और परिश्रम चाहिए. Mere wishes are bonny fishes. 10.कहाँ राज भोज, कहाँ गंगू तेली. दो असमान लोगों के बीच तुलना करने पर कहते हैं. 11.कहें खेत की सुने खलिहान की. जब कोई व्यक्ति किसी बात का कुछ अलग ही मतलब समझता है. Talk of chalk and hear of cheese. 12.काँटे से काँटा निकालना. दुष्ट व्यक्ति दुष्ट से ही मानता है. 13. क़ाजी की कुटिया सबको प्यारी. बड़े आदमी की मामूली चीज भी सबको अच्छी लगती है. 14.काज़ीजी शहर के अंदेशे में दुबले. जब कोई अपने बारे में न सोच कर दुनियाभर की फालतू बातों की फ़िक्र में लगा रहता है, तो ऐसा कहते हैं. 15.काठ का घोडा नहीं चलता. नकली चीजें सिफ दिखाने की होती हैं. 16.काठ की संगति से लोहा भी टार जाता है. अच्छे लोगों के साथ रहने से बुरे लोग भी  तर जाते हैं. 17.कठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती. कोई बार बार धोखा नहीं दे सकता. लकड़ी का बर्तन चूल्हे पर रखने पर एक बार में ही जल जाता है. दुबारा उसका कोई उपयोग नहीं होता. 18.कानी मौसी मठा दे. कानी मौसी को कानी भी कहें और उससे मठा भी मांगें. किसीसे कोई चीज मांगें भी और विनम्र भी न हों, तब कहा जाता है. 19.काने को काना नहीं कहना चाहिए. किसीको उसका दोष बताने पर शत्रुता हो जाती है. 20.कम को काम सिखाता है. किसी काम को करते करते उसमें महारात हो जाती है. It is work that makes a workman.