इतिहास : मध्य प्रदेश और महाजनपद काल


स्टोरी हाइलाइट्स

महाजनपद काल: मध्यप्रदेश के बारे में ईसा पूर्व छठवीं सदी से काफी ऐतिहासिक.........इतिहास : मध्य प्रदेश और महाजनपद काल | मध्य प्रदेश का इतिहास | History of MP

मध्य प्रदेश का इतिहास और महाजनपद काल महाजनपद काल: मध्यप्रदेश के बारे में ईसा पूर्व छठवीं सदी से काफी ऐतिहासिक जानकारी मिलती हैं। इस कालखंड में देश में सोलह महाजनपदों का उल्लेख मिलता है। इनमें चेदि और अवंति जनपदें भी थीं। चेदि महाजनपद के तहत आज के मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में विस्तारित बुंदेलखंड का क्षेत्र आता था। शुक्तिमति इसकी राजधानी थी।   जातक ग्रंथों और महाभारत में चेदि नरेशों का उल्लेख मिलता है, जबकि अवंति महाजनपद के तहत राज्य का मालवा इलाका आता था। इसके दो भाग थे। एक उत्तरी अवंति और दूसरा दक्षिण अवंति, उत्तरी अवंति की राजधानी उज्जैन थी और दक्षिण अवंति की राजधानी महिष्मति थी, जिसे आज महेश्वर के तौर पर जाना जाता है। विदिशा और एरण इसके प्रमुख नगर थे। महासेन चंडप्रद्योत यहां का शासक था, जो बड़ा ही क्रूर था। इतिहासकारों के अनुसार चंडप्रद्योत की मृत्यु के पश्चात उसके उत्तराधिकारी अवंति महाजनपद को संभालने में असहाय रहे फलस्वरूप इसका पतन हो गया। बाद में ये प्रदेश धीरे-धीरे मगध के शिशुनाग और नाग सम्राटों की साम्राज्यवादी नीति के शिकार हुए। बड़वानी के समीप मिली नंदों की मुद्राओं को इसका प्रमाण माना गया है। मध्य प्रदेश की मालवी पहेलियाँ -दिनेश मालवीय मध्यप्रदेश : वैदिक और पौराणिक काल का इतिहास   नंदों के बाद मौर्यों का आधिपत्य रहा, जिन्होंने अवंति नामक प्रांत बनाया। इसकी राजधानी उज्जयिनी थी। सम्राट बिन्दुसार के पुत्र अशोक ने उज्जयिनी और निमाड़ अंचल के कसरावद में स्तूपों का निर्माण कराया। अशोक का विवाह विदिशा के श्रेष्ठ की पुत्री श्रीदेवी से हुआ। उसके बाद उन्होंने रायसेन जिले के सांची में और सतना जिले के भरहुत में विश्व प्रसिद्ध स्तूप बनवाए। अशोक ने ही रूपनाथ (जबलपुर), सांची (रायसेन), गुर्जरा (दतिया) आदि में स्तंभ बनवाए। इस काल के मानव की कुछ विशेषताएं भी मिलती हैं। मानव ने व्यापार की प्रगति कर ली थी, तो सिक्कों का भी प्रचलन शुरू हो गया था। इसके अलावा राज्य के नगरों का उत्थान भी होने लगा था। पुराणों के अनुसार चंद्र प्रद्योत ने चेदि पर करीब 23 साल तक शासन किया। उसके बाद उसके चार उत्तराधिकारियों ने करीब 115 वर्ष तक शासन किया। इसके अंतिम शासक को शिशुनाग ने परास्त करके मगध साम्राज्य में मिला लिया था। कहा जाता है कि चेदि महाजनपद की राजधानी शुक्तिमती थी, जो मगध साम्राज्य का हिस्सा हो गई थी। इस काल के बाद यह भू-भाग मौर्य शासन के अधीन रहा। यह इस क्षेत्र की शांति और समृद्धि का दौर था। उस दौर को प्रकट करने वाले अनेक भितिलेख सागर जिले के ऐरण, जबलपुर जिले के रूपनाथ, ग्वालियर जिले के पवाया और दतिया के गुजरों में आज भी उपलब्ध हैं।   शिव अनुराग पटेरिया   Latest Hindi News के लिए जुड़े रहिये News Puran से.   भारतीय इतिहास का विकृतिकरण