शहद यानी मधु, मधु यानी अमृत -दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

शहद यानी मधु, मधु यानी अमृत देवानंद का था मुख्य भोजन -दिनेश मालवीय कुदरत ने हमें जो सबसे अनमोल चीज़ें दी हैं, उनमें शहद बहुत महत्वपूर्ण है. इसे मधु और अन्य भी कई नामों से जाना जाता है. इसके गुणों को दखते हुए इसे अमृत के तुली माना गया है. हमारे देश में आयुर्वेद का जैसा विकास हुआ, वैसा कहीं और नहीं हुआ. आयुर्वेद पद्धति में दी जाने वाली औषधियों में शहद का बहुत महत्त्व है. इसके बिना उपचार ही अधूरा है. प्रकृति में जो पुष्प-रस उपलब्ध है, उसे मधुमख्खी फूलों से विभिन्न प्रक्रियाओं के द्वारा शोधन करके शहद का रूप देती हैं. शहद के सेवन से मनुष्य लम्बी आयु प्राप्त करता है. इसके गुणों को एक जगह शब्दों में कहना लगभग असंभव है. कहते हैं कि हिन्दी फिल्मों के मशहूर अभिनेता देवानंद शहद के भरोसे ही स्वस्थ और सुंदर बने रहते थे. सुना है कि वह रोटी तो खाते ही नहीं थे. सिफर फलों के रस और शहद का ही सेवन करते थे. इस बात में जो भी सच्चाई हो, लेकिन यह तो तय है कि देवानंद के भोजन में शहद अहं हिस्सा था. और ऐसा हो भी क्यों नहीं! आपको कैसी भी थकान हो, शहद का सेवन करते ही, वह छू-मंतर हो जाएगी. इसे नारंगी, दूध, केवड़े के रस और पानी में मिलाकर पीने से आपके मसल्स मजबूत होते हैं. काली खाँसी होने पर ज्यादा दवाओं के चक्कर में न पड़कर यदि आप शहद के साथ दो बादाम खा लें तो आपको बहुत आराम मिल जाएगा. शहद की सबसे ख़ास बात यह है कि गरम पानी से लेने से इसकी तासीर गरम और ठण्डे पानी में लेने से ठंडी होती है. बबासीर बहुत आम बीमारी है, लेकिन इससे होने वाली तकलीफें वही जानता है, जो इसका शिकार होता है. इसे दूर करने के लिए हज़ारों किस्म के उपाय और दवाएँ हैं. लेकिन शहद में त्रिफला मिलकर लेने से इसमें बहुत आराम मिल जाता है. शरीर के का कोई हिस्सा यदि जल गया हो तो उस जगह शहद लगाने से तत्काल राहत मिलती है. सर्दी-जुकाम होने पर गरम पानी में शहद मिलकर दिन में तीन बार लेने से जुकाम ठीक हो जाता है. बहुत हिचकी चल रही हों, तो शहद लेकर देखिये, आपको चमत्कार मालूम पड़ेगा. इसके हर दिन सेवन करने से कब्ज मिट जाता है. इसे अदरक के रस के साथ सेवन करने से खाँसी और कफ दूर हो जाते हैं. मोटापा और भारीपन आज के समय की बहुत बड़ी शारीरिक समस्या है. इससे निज़ात पाने के लिए सुबह शौच जाने से पहले एक गिलास ठण्डे पानी में चम्मच शहद मिलकर रोजाना पीने पर बहुत फायदा होता है. नींद न आने की जिन्हें शिकायत है, उनके लिए भी शहद बहुत गुणकारी है. शहद को पानी के साथ पीने से चर्मरोग भी ठीक होता है. ब्लडप्रेशर बढ़ने पर लहसुन के साथ शहद लेना चाहिए. आँतों की शकायत में आंवले के रस के साथ इसका सेवन किया जाता है. आधे सिर में दर्द होने पर एक छोटे प्याले में गुनगुना शहद मिलाकर पानी मिलकर पीने से लाभ होता है. आँखों में एक बूंद शहद हर रोज़ डालने से रोशनी बढ़ती है. गरम पानी में पीने से चर्बी घटती है. शहद के और भी बहुत से गुण हैं. समस्या यह है कि आज मिलावट के इस दौर में शुद्ध शहद कैसे उपलब्ध हो. लेकिन शुद्ध शहद की पहचान करना बहुत मुश्किल नहीं है. इसकी पहचान के लिए जानकारों ने कुछ उपाय बताये हैं. शुद्ध शहद पानी में अपने आप नहीं घुलता, जबकि शक्कर पानी में थोड़ी देर में घुल जाती है. यही शहद की मुख्य पहचान है. जानकारों का मानना है कि शहद जितना गाढ़ा होगा और उसमें नमी जितनी कम होगी, वह उतना ही शुद्ध होगा. सर्दी के दिनों में यह जम जाता है और गरमी के मौसम में ख़ुद ही पिघलने लगता है. हिमालय के कार्तिक-मधु को मेडिसिनल प्रोपर्टीज से भरपूर माना जाता है. यह जमने पर सफेद, दानेदार और सुद्गंधित होता है. इसको खाने से गले में हल्की मिर्च जैसा स्वाद लगता है. यह कुछ मुश्किल से मिलता है. इसी तरह फागुन-चैत्र में तैयार किया जाने वाला शहद सरसों के फूलों का शहद भी बहुत लाभकारी होता है. वैशाख-ज्येष्ठ में शहद लाल रंग का होता है, जो कम जमता है. कभी-कभी इसका स्वाद कड़वा होता है.