कैंसे लौटे चाट पकोड़ों के ठेलों की रौनक, ग्राहकी के इंतज़ार में फिर शुरू हुए हाकर्स कॉर्नर। P अतुल


स्टोरी हाइलाइट्स

भोपाल में कैंपियन स्कूल के सामने वाली सड़क पर अलग-अलग प्रकार के हॉकर्स दिखाई देते हैं। यह सड़क भोपाल की अन्य सड़कों से थोड़ी अलग है..चाट पकोड़ों

कैंसे लौटे चाट पकोड़ों के ठेलों की रौनक, ग्राहकी के इंतज़ार में फिर शुरू हुए हाकर्स कॉर्नर भोपाल में कैंपियन स्कूल के सामने वाली सड़क पर अलग-अलग प्रकार के हॉकर्स दिखाई देते हैं। यह सड़क भोपाल की अन्य सड़कों से थोड़ी अलग है| यहां पर पुराने व्हीकल को मॉडिफाई करके रेस्टोरेंट की शक्ल दी गई है| दोपहर से शुरू होने वाले इन हॉकर्स के पास हायर और मिडिल क्लास के लोगों की भीड़ लगने लगती है यहां पढ़े-लिखे युवाओं को भी अपने दोस्तों के साथ पाव भाजी छोले भटूरे डोसे और अन्य प्रकार के भारतीय और विदेशी distress का लुत्फ लेते देखा जा सकता है। दो बार के लॉकडाउन के बाद इनके के माथे पर चिंता की लकीरें है| दरअसल पहले लॉकडाउन के बाद ही यहां पर सामान्य दिनों की तरह भीड़ उमड़ना बंद हो गई थी बमुश्किल शाम को कुछ क्राउड होता था| दिन भर ग्राहकों का इंतजार रहता था| अब जबकि  दौर बदल चुका है| कोविड-19 के दूसरे दौर ने लोगों को डरा दिया है| घर से ही खाना ऑर्डर करने और ऑनलाइन शॉपिंग की आदत घर कर चुकी है| इन लोगों के लिए अपने बिजनेस से पर्याप्त मुनाफा कमाना मुश्किल साबित हो रहा है| सवाल यह है कि यह लोग कैसे फिर से ग्राहकों को 2019 से पहले की स्थिति में ला पाएंगे| क्योंकि इन हॉकर्स के कॉर्नर पर खड़े होकर बिंदास जायकों का लुफ्त उठाना अब लोगों को शायद ही उतना आसान लगे| क्योंकि मनोवैज्ञानिक तौर पर सबके मन में एक डर बैठ गया दुनिया भर में यही हालत है| सड़क किनारे लगे स्ट्रीट फूड पर लोग अब कम एतबार कर रहे हैं| इसके पीछे यहां हाइजीन मेंटेन ना होना भी है| हालांकि अब स्टील की प्लेट कटोरी के बजाय डिस्पोजेबल दोनों और कप में फूड सर्व कर रहे हैं|फिर भी अभी यहां खड़े होकर गप्पे लड़ाते हुए दोस्तों को बेखौफ खाते देखना इतना इजी नहीं होगा| दाल पकवान बनाने की विधि : How to make dal pakwan जाहिर तौर पर कुछ लोग फिर से यहां आने लगेंगे| लेकिन अपर क्लास और अपर मिडिल क्लास के लोगों में थोड़ी झिझक बनी ही रहेगी| स्ट्रीट फूड  के टेस्ट में कोई कमी नहीं| लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत होती है इनके हाइजीन में| स्ट्रीट फूड पर  हाइजीन  का ख्याल शायद ही रखा जाता है| यदि लोग प्लेट में  पानी पुरी खाते हैं| वह प्लेट किस तरह से एक ही पानी में डूबे डुबोकर वापस उपयोग की जाती है, यह सब आसानी से देखा जा सकता है| चाय के कांच के गिलास धोने के लिए एक टब में पानी रखा होता है और चाय पिलाने वाला उसी पानी से सैकड़ों बार ग्लास धो डालता है| यदि स्ट्रीट फूड पर फिर से पहले की तरह भीड़ चाहिए तो  आकर्ष को  स्वादिष्ट भोजन  के साथ थोड़ा महंगा  सही लेकिन हाइजीनिक फूड सर्व करने पर ध्यान देना होगा| आज की डेट में लोग थोड़ा ज्यादा पे करने को तैयार हैं लेकिन सेहत से समझौता करना भारी पड़ सकता है| पानीपुरी वालों को स्टील की प्लेट की जगह अब दोनों का उपयोग करना होगा| साथ ही पानी शुद्ध यह बताना होगा| अपने हाथ को बार-बार धोना और फुलकी में पानी डुबाकर देने  की  बजाए टोंटी का विकल्प तलाशना होगा| आज सवाल जीभ को संतुष्ट करने का नहीं है बल्कि अपने जीवन को बचाने का भी है| ऐसे में साफ सफाई और शुद्धता हर जगह जरूरी है| स्टेट गवर्नमेंट को भी चाहिए स्ट्रीट फूड पर हाइजीन मेंटेन रहे| इसके लिए जागरूकता अभियान चलाएं| समय-समय पर निरीक्षण हो और अनहाइजीनिक कंडीशन पर पेनल्टी लगे। Latest Hindi News के लिए जुड़े रहिये News Puran से.