मन को कैसे शांत करें? भूलने की आदत कैसे बदलें?


स्टोरी हाइलाइट्स

स्वयं के प्रति स्वयं की चेतना के प्रति जागृति का भाव लाना होगा। एक कुशल चौकीदार की तरह मन पर नज़र रखें। कम से कम 15 मिनट ध्यान द्वारा मन की नित्य.....

मन को जागरूक कैसे बनाएं, भूलने की आदत कैसे बदलें?* स्वयं के प्रति स्वयं की चेतना के प्रति जागृति का भाव लाना होगा। एक कुशल चौकीदार की तरह मन पर नज़र रखें। कम से कम 15 मिनट ध्यान द्वारा मन की नित्य सफ़ाई करें, इस ध्यान में मात्र आती जाती श्वांस में बिना कुछ सोचते हुए श्वांस को अनुभूत करिए। स्वयं के भीतर क्या चल रहा है यह जानने का अभ्यास करना होगा। कितना भी सुंदर घर हो यदि उसमें साफ-सफाई न की जाए और समान व्यवस्थित न रखें। तो घर अस्तव्यस्त और अस्वच्छ हो जाएगा। यह नियम मन पर भी लागू है। झाड़ू-पोछा-डस्टिंग जितनी घर की जरूरत है उतना ही मन की जरूरत है। मन भूलता क्योंकि मन अस्त व्यस्त है, अनावश्यक विचारों का कचरा फैला हुआ है। अतः विचारों को व्यवस्थित करने हेतु मन में डस्टबिन का प्रयोग करें। अच्छे विचारों को व्यवस्थित करके मन की आलमारी में रखें। उदाहरण गन्दा विचार आया उसे कल्पना करें कि डस्टबिन में डाल दिया। जो याद रखना है हमेशा के लिए उसे क्रमशः दोहराएं, उसके प्रति चैतन्य जागरूक रहें:- 1- पहली बार पढ़े गए सब्जेक्ट/विचार/आर्टिकल को नोट कर लें 2- नेक्स्ट दिन उसे पुनः पढ़ लें 3- फ़िर तीन दिन बाद उसे पढ़ लें 4- फ़िर एक सप्ताह बाद पुनः पढ़ें 5- फिर एक महीने बाद उसे पुनः पढ़ लें। मन का दूकानदार उन चीज़ों/विचार/आर्टिकल/सब्जेक्ट को याद रख लेता है, जिनकी डिमांड आप बार बार करते हैं।  या जिन बातों को रुचिकर तरीके से पढ़ते है वो याद हो जाता है। या किसी चीज़ को किसी चित्र से जोड़कर पढ़ते है तो याद रहता है। या किसी के प्रति गहन नफरत हो तो वो याद रहता है। या किसी के प्रति गहन प्रेम हो तो वो याद रहता है। पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य  कहते हैं कि भूलना भी एक अच्छी प्रक्रिया है, अन्यथा अनावश्यक बातों के बोझ से मन हैंग/नॉट रेस्पॉन्सिव हो जाएगा। हमें मात्र यह अभ्यास करना क़ि मन को क्या याद रखना है और क्या नहीं। नित्य अभ्यास से इसमें दक्षता मिल जाती है। गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि- *अभ्यास और वैराग्य से मन को व्यवस्थित किया जा सकता है।*