व्हाट्सएप, टि्वटर, फेसबुक और यूट्यूब खा रहे हमारी सांसे … इन दानवों से अपनी जिंदगी को बचाइए|


स्टोरी हाइलाइट्स

व्हाट्सएप टि्वटर फेसबुक और यूट्यूब खा रहे हमारी सांसे … इन दानवों से अपनी जिंदगी को बचाइए| The internet is a massive waste of time कहते हैं कि ईश्वर ने हमें गिनती की सांसे दी हैं| लेकिन हमारी इन सांसों को सोशल मीडिया एप्स निकल रहे हैं| आमतौर पर हम 1 दिन में 20000 सांसे लेते हैं|  1 घंटे में हम एक 833  सांसे लेते हैं|  सोचिए यदि हमने बेफिजूल के वीडियो, ऑडियो या चैट में 1 घंटे लगाए  तो हमने अपनी जिंदगी की 833 सांसे खो दी| इंटरनेट हमारी जिंदगी के लिए फायदेमंद भी है लेकिन इसके नुकसान भी कम नहीं हैं| यदि इंटरनेट का सही तरीके से उपयोग ना कर सोशल मीडिया के जाल में  वक्त बर्बाद कर दिया गया तो वो वापस नहीं आ पाएगा| काम के साथ हमें बमुश्किल से कुछ क्षण  शांति के लिए मिलते हैं,  लेकिन इन लम्हों को व्हाट्सएप, फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसी कंपनियां छीन ले जाती हैं| यह सिलसिला आज से लगभग दो दशक पहले ऑरकुट और याहू मैसेंजर से शुरू हुआ था|  लेकिन अब चैट, लाइव वीडियो, ऑडियो  और शेयरिंग का  भूत सर चढ़कर बोल रहा है| ये कंपनियां लगातार कमाई कर रही हैं|  लोगों को मिली हुई सांसो के कोटे को तेजी से खपा रही हैं| माना कि इंटरनेट से हमारी कई झंझटे कम हुई है|  जिंदगी आसान हुई है|  लेकिन इन सुविधाओं से जो समय हमारे पास बचना चाहिए  वह कहां है? ऑनलाइन दुनिया में हमें खरीदारी के लिए बहुत समय खपाने की जरूरत नहीं| बहुत से काम घर बैठे ही चुटकियों में हो जाते हैं|  ना तो अब लाइनों में लगने की जरूरत है ना ही दुकान तक जाने की जरूरत | फिर भी हमारे पास अपने लिए वक्त नहीं है| कहीं हमारा खाली समय सोशल मीडिया एप्स की भेंट तो नहीं चल रहा? हमारा मनोरंजन करने वाली साइटस हमें ट्रैप तो नहीं कर रही ? हम इंटरनेट पर जाते हैं किसी खास काम से लेकिन वहां हमें इतनी सारी चीजें मिल जाती है कि हम क्लिक कर ही देते हैं| हमारी एक छोटी सी क्लिक हमारे घंटों खराब कर देती है| फिजूल की खबरों, जानकारियों, फोटोस और दूसरों की शेयरिंग को देखने में हमारी बहुत सारी सांसे खप जाती हैं| हमारा समय पास करने का उद्योग जमकर फल फूल रहा है|  हम भी अपना समय पास करने के नाम पर अपने बेशकीमती जीवन को बर्बाद कर रहे हैं| समय के साथ डाटा सस्ता होता चला गया, हम भी डाटा को यूज करने में नंबर वन बन गए|  लेकिन यह डाटा न सिर्फ कार्बन उत्सर्जन बढ़ा रहा है बल्कि हमारी जिंदगी की संभावनाओं को भी खत्म कर रहा है| करोड़ों यूजर्स के साथ भारत में सोशल मीडिया कंपनियां जमकर फल-फूल रही हैं| एक आंकड़े के मुताबिक हम भारतीय हर रोज ढाई घंटे सोशल मीडिया पर गुजारते हैं| यानी लगभग 2000 सांसे हम सोशल साइट्स पर खपा देते हैं| हमें अपनी पोस्ट पर लाइक पाने का इतना जुनून है|  कि हम उसके लिए जरूरत से ज्यादा अटेंशन रखते हैं|  लाइक पाने और बढ़ाने के लिए हम लगातार  पोस्ट और शेयरिंग करते हैं| इतना ही नहीं हम बार-बार मोबाइल इसलिए चेक करते हैं ताकि हमें मिल रहे लाइक के बारे में हमें पता चल सके| यह एक तरह की ट्रैपिंग है|  यदि समय रहते हम इस मकड़जाल से बाहर हो जाएं तो हम अपनी जिंदगी की लाखों सांसो को सेव कर सकते हैं|