जिंदगी कैसे बदलेगी? क्या देव-दानवों के कारण अच्छा या बुरा होता है? humans-and-the-cosmos


स्टोरी हाइलाइट्स

आदिकाल से मनुष्य देवी देवताओं और अजनबी शक्तियों पर भरोसा करता आया है|  प्राचीन काल में मनुष्य प्राकृतिक आपदाओं, अकस्मात आए संकट कारण दिव्य शक्तियों को मानते थे|

अतुल विनोद:- आदिकाल से मनुष्य देवी देवताओं और अजनबी शक्तियों पर भरोसा करता आया है|  प्राचीन काल में मनुष्य प्राकृतिक आपदाओं, अकस्मात आए संकट कारण दिव्य शक्तियों को मानते थे|  जीवन में होने वाली अच्छी घटनाओं के लिए देवताओं को कारण बताया गया बुरी घटनाओं के लिए राक्षसों और दानवों को जिम्मेदार बताया गया| सदियों से हम अनेक तरह के विश्वास और अंधविश्वास के बीच झूल रहे हैं|  गीता में भगवान श्री कृष्ण के कर्म के उपदेश को सुनने के बावजूद भी हम अपनी आत्मा पर भरोसा करने की बजाय बाहरी शक्तियों के भरोसे हैं| योग वशिष्ठ में साफ कहा गया है कि देवी  देवताओं का आश्रय कमजोर मनः शक्ति वाले लोग लेते हैं| जीवन तो अपने पुरुषार्थ से चलता है| आत्मा को ही परमात्मा की शक्ति बताने वाले वैदिक साहित्य को दरकिनार कर न जाने मनुष्य ने कितने ही काल्पनिक देवी-देवता, भूत प्रेत, पिशाच, डायन निर्मित कर रखे हैं| वास्तविकता यह है कि प्रकृति में ऐसी कोई भी शक्ति का वजूद नहीं है जो आपको आपके कर्म फलों के विपरीत परिणाम दे सके|  स्वयं परमात्मा भी आपको आपके अच्छे कर्म के लिए अच्छे परिणाम देने के लिए बाध्य है| यह बात जरूर है यदि आज आप अच्छा काम कर रहे हैं और आपको बुरा फल मिल रहा है तो निश्चित ही इसके पीछे आपके ही प्रारब्ध के कर्म जिम्मेदार हैं| अच्छाई और बुराई हमारे मन में ही होती है और हमारी अच्छाई देवताओं को आकर्षित करती है तो बुराई दानवों को| हमारे विचार ,भाव और कल्पनाएं बदलते ही देवता दानव में और दानव देवता में बदल जाते हैं| यह बात सच है कि इस प्रकृति में बहुत कुछ ऐसा है जिस पर हमारा नियंत्रण नहीं है|  जिस पर हमारा नियंत्रण नहीं उसकी चिंता क्या करना लेकिन हमारे हाथ में अच्छे बीज बोना तो है| डर  के बीज डर ही पैदा करेंगे और आत्मविश्वास के बीज आत्मशक्ति ही पैदा करेंगे| हमारी दहशत और डर ही हमारी असफलता का बड़ा कारण होते हैं| काला जादू,  तंत्र मंत्र, टोने टोटके  और कुछ नहीं सिर्फ विचार हैं|  और यह विचार दूसरों द्वारा भेजने से हमारे अंदर जड़े नहीं जमाते| हम ही इन्हें आश्रय देते हैं और आशंकाओं   से उन्हें खाद पानी देते हैं| हमारे आभास, नकारात्मक कल्पना, उल्टी सोच, यह सब मिलकर हमें निग़लने लगते हैं|  और इसकी वजह होती है अपने अंदर मौजूद आध्यात्मिक आत्मशक्ति के प्रति अज्ञानता| आपके दिमाग में जिस तरह की भी क्रिया होगी आपके जीवन रूपी  संसार में उसी तरह की प्रतिक्रिया होगी| अपने ऊपर किसी भी तरह के नकारात्मक विचार की छाप नहीं पढ़ने दें| यदि आप से कोई व्यक्ति दूर जा रहा है, यदि आपका अपना आपसे जल रहा है तो इसके बीज भी आपने ही अपने दिमाग में बोए हैं| आपके दिमाग में बोए गए बीज ही दूसरे के व्यवहार में परिलक्षित हो रहे हैं|  आपने उस व्यक्ति को लेकर जैसी कल्पनाएं व आशंकाएं की थी वो वैसा व्यवहार कर रहा है| आपका डर  आपके करीबी का मन पकड़ लेता है और वह ठीक उसी तरह से प्रतिक्रिया करता है जैसा आपने सोचा था| यदि आप कहते हैं कि पूरी दुनिया आपकी सहायता करेगी, तो यकीन मानिए पूरी दुनिया आपकी सहायता करेगी ही| अच्छे सपने देखना, प्रार्थना करना, अपने अंदर अच्छे और सकारात्मक विचार डालना बहुत कारगर है| बदकिस्मती जितना बाहर से नहीं आती उससे ज्यादा अंदर से आती है| आपको डराने वाली भविष्य वक्ताओं की ज्यादातर भविष्यवाणियां उन विचारों के कारण ही सच हो जाती हैं जो आपने अपने अंदर बैठा लिए हैं|भविष्य वक्ताओं के पास जाएं तो उनसे पहले ही कह दें,  कि वे सिर्फ अच्छी बातें बताएं| आगे बढ़ने के उपाय बताएं| किसी बुरी शक्ति ग्रह नक्षत्र या तारे के नाम से न डराएँ|जितना बुरा बुरी शक्ति के प्रभाव से नहीं होगा उससे ज्यादा बुरा  उसके द्वारा बताई गई बात कुछ सोच सोच कर आप कर लेंगे| हम सब जानते हैं कि हम सिर्फ शरीर नहीं है हमारे अस्तित्व  में इससे भी ऊंचे आयाम जुड़े हुए हैं|दुनिया में ऐसे बहुत लोग हैं जिन्होंने अपने अस्तित्व के ऊंचे आयामों का प्रयोग कर अपनी जिंदगी में बड़ा बदलाव किया है| जहां हम अपने मन से सामान्य गतिविधियों को नियंत्रित कर सकते हैं वही हम  अपनी आत्मा से अपने जीवन को गहराइयों में जाकर नियंत्रित कर सकते हैं| मनुष्य में  पूर्वाभास (डेजा वू), विचार संप्रेषण (टेलीपैथी),एस्ट्रेल ट्रैवल,टेलिसाइकिक्स, टेलिकिनेज़ीस, सपने देखने, कल्पनाएं करने जैसी अनेक विलक्षण और रहस्यमई  गतिविधियां देखने को मिलती हैं|यह सभी गतिविधियां इस बात का संकेत है कि हमारे अंदर इस शरीर से अधिक कुछ ऐसा मौजूद है जो इस रहस्यमई संसार से जुड़ा हुआ है| मनुष्य के अंदर अतिंद्रीय क्षमताएं भी मौजूद भी मौजूद है| मनुष्य के अंदर की क्षमताएं दिव्य शक्तियां हैं| याद रखिए हमेशा आपके साथ ईश्वर मौजूद है|  जब वह आपके साथ है तो कोई भी आपके खिलाफ नहीं हो सकता|  ईश्वर आपकी आत्मा के रूप में आपके अंदर बैठा हुआ है| ईश्वर बड़े से बड़े शैतान को परास्त करने में सक्षम है|  एक बार आप अपने अंदर की शक्ति पर भरोसा करके तो देखें| किसी के भी विनाशकारी शब्दों को स्वीकार ना करें|