ईश्वर पालक है तो संहार क्यों करता है? .. ब्रम्हा विष्णु महेश और उनकी शक्तियों के कार्य क्या हैं?


स्टोरी हाइलाइट्स

इश्वर पालक है तो संहार क्यों करता है .. ब्रम्हा विष्णु महेश और उनकी शक्तियों के कार्य क्या हैं? VishnuLord-newspuran भगवान् श्रीकृष्ण ने गीता जी में अपने अवतारों का उद्देश्य और प्रयोजन बतलाते हुए, पहले कहा 'परित्राणाय साधूनां और तत्पश्चात् कहा 'विनाशाय च दुष्कृताम्। अर्थात्, जैसे बीमार की सड़ी हुई एक अँगुलीके जहर को सारे शरीर में फैलने से रोकने के लिये वैद्य शस्त्र (operation)-से काटते हैं, इसी प्रकार भगवान श्री रूद्र संहार का जो काम करते हैं, वह जगत्के पालन के लिये है और किसी प्रयोजन के लिये नहीं । महालक्ष्मी और विष्णु का काम LordVishnu_newspuran
विष्णु का जो पालन रूपी काम करना है, उसे कराने वाली महालक्ष्मी रूपी विष्णु शक्ति अपने पालनात्मक कार्य के अनुरूप और योग्य स्वर्ण वर्ण की होती है।
परन्तु वह पालन का काम सिर्फ पालन करके छोड़ देनेके लिये नहीं, बल्कि पोषण और वर्धन करनेके उद्देश्यसे किया जाता है। इसलिये वह पालनका काम करके, अपने पति के कार्यको पूर्ण करके, अपनी पाली हुई उस चीजको अपने भ्राता अर्थात् ब्रह्मा के हाथ में सौंपकर कहती है कि 'भाई जी, मैंने अपने पति श्री महा विष्णु की शक्ति की हैसियत से इस चीज को पाला है। इससे अब हमारा दम्पतिका काम पूरा हो गया है। अब तुम इसे लेकर अपना कार्य, जो नयी चीजों को उत्पन्न करना अर्थात् पोषण और वर्धन करनेका है, सो करो।'
  महासरस्वती और ब्रह्मा का काम

ब्रह्मा को जो नयी चीजों का आविष्कार या सृष्टि रूपी काम करना है, उसे कराने वाली महा सरस्वती रूपी ब्रह्मशक्ति अपने सृष्ट्यात्मक कार्य के अनुरूप और योग्य सफेद रंग की होती है।

परन्तु वह पोषण एवं वर्धन का काम आगे-आगे बढ़ाते जाने के ही मतलब से नहीं है, बल्कि पोषण और वर्धन करने के समय जो बुरे या अनिष्ट पदार्थ भी उसके साथ सम्मिलित हो जाया करते हैं उनको दूर हटाकर ठीक कर लेनेके उद्देश्यसे ही होता है। इसलिये, वह वर्धन के काम के हो जाने के बाद, अपनी बढ़ायी हुई चीज को अपने भ्राता अर्थात् रुद्र के हाथ में देकर कहती है कि 'भाई जी, मैंने अपने पति श्री हिरण्यगर्भ ब्रह्मा की शक्ति की हैसियत से इस चीज का पोषण और वर्धन किया है। इससे अब हमारा दम्पति का काम पूरा हो गया है। अब इसके पोषण और वर्षा का समय में इसमें जो खराबियाँ और त्रुटियाँ आ गयी हों उनका संहार करनेका काम हमारा नहीं है-तुम्हारा है। इसलिये इन्हें हाथमें लेकर, खूब मार-मारकर सीधा करो।

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इस प्रकारसे एक ही परमात्मा जगदीश्वर महाप्रभु सृष्टि, पालन और संहार-इन तीनों कर्म के चक्र को लगातार चलाते हुए, ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र-इन तीनों नामों से दुनिया में प्रसिद्ध होता है और उसके इन तीनों कामों को करानेवाली जगन्माता भगवती महामाया के अन्तर्गत जो सृष्टिशक्ति, पालनशक्ति और संहारशक्ति हैं उन्हीं के नाम (पूर्वोत्तर कारणसे, उलटे क्रमसे) महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती हैं।

पञ्चीकरण और त्रिवृत्करण हर एक काम में सभी पदार्थों का समावेश रहता है, जैसे आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथिवी-इन पाँच भूतों से प्रत्येक भूत के साथ बाकी चार भूत भी मिले हुए रहते हैं|