अगले जन्म में मछली नही बनना तो, पानी को बर्बाद मत करो- शास्त्रों की मानो और जीवन को आनंदित बनाओ


स्टोरी हाइलाइट्स

अगले जन्म में मछली नही बनना तो, पानी को बर्बाद मत करो... शास्त्रों की मानो और जीवन को आनंदित बनाओ  धर्म-कर्म, पूजा-पाठ, वेद- पुराण, रामायण-भागवतआदि  के प्रति आधुनिक लोगों की अरुचि को तो समझा जा सकता है, क्योंकि इन ग्रंथों में निहित गूढ़ रहस्यों और परलोक सम्बन्धी धारणाओं और उनके मूलाधार का कोई सीधा वैज्ञानिक या तार्किक पक्ष आधुनिक विचार वालो को समझ नही आता| ऐसा इसलिए क्योंकि इसके वैज्ञानिक और तार्किक पक्ष तक अभी वैज्ञानिक भी नही पहुंचे है वे शायद समझना भी नहीं चाहते| शास्त्रों की बहुत सी बातों की वैज्ञानिकता सिद्ध होने तक इंतजार किया जा सकता है; हालाकि अब तक विज्ञान जहां पहुंचा है वहां वह हमारे पुरातन ज्ञान को नकार नहीं सका है  चलिए, धर्म, अध्यात्म और परलोक की बातें अपनी जगह, लेकिन आश्चर्य तो इस बात का है कि हमारे भौतिक शरीर और जीवन से जुड़े हुए विषयों पर भी हम अरुचि ही दिखाते हैं| हमारा शरीर वायु और जल के बिना नहीं चल सकता. हमें साफ़ वायु  और जल मिले इसके लिए भी हम सजग नहीं रहते. देश में वायु और जल प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक है. पानी का जहां तक सवाल है,लाखों लोगों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है. गर्मियों के मौसम में हजारों स्थानों पर पानी का परिवहन कर लोगों के कंठ की प्यास बुझाई जाती है कई गांव और बस्तियां इसलिए उजड़ गयीं कि वहां पानी के स्रोत समाप्त हो गएहैं. एक अनुमान के अनुसार हर साल केंद्र और राज्यों की सरकारें पानी के परिवहन पर 5 अरब से ज्यादा की धनराशि खर्च करती हैं.  पानी ऐसी चीज है जिसको  बनाया नहीं जा सकता. अभी समुद्र के पानी को पीने योग्य बनाने के प्रयोग हो रहे हैं, लेकिन यह इतने महंगे हैं कि भारत जैसे देश में यह संभव नहीं लगते. हमारे शास्त्र, वेद- पुराण और ऋषि-मुनियों का चिंतन इतना दूरदर्शी और विश्व के प्रति समर्पित था कि पानी को बचाने  की परिकल्पना उन्होंने की. पानी के स्रोतों को विनष्ट और दूषित करना विनाशकारी है. लोगों के मन में जल संरक्षण का संस्कार विकसित करने के लिए हमारे शास्त्रों में अनेक दृष्टांत दिए गए हैं. गरुण पुराण के अनुसार जिस भी मनुष्य ने अपने जीवन में जल के स्रोत को विनष्ट किया है वह अगले जन्म में मछली का जन्म पाएगा. इसके पीछे यह चिंतन है कि ऐसा मनुष्य इस जन्म में तो कष्ट पाएगा ही,  अगले जन्म में भी पानी का जीव मछली बनेगा और पूर्वजन्म में उसके द्वारा गंदे पानी में जीवन गुजारेगा. शुद्ध पानी के नाम पर आज बोतल बंद पानी का बड़ा व्यवसाय देश में फल-फूल रहा है. यह पानी कब तक शुद्ध रहेगा? अंडर ग्राउंड वाटर जब नहीं बचेगा तो यह पानी कहां से आएगा? जहां नलजल से जल आपूर्ति होती है वहां नल खोल कर घर में तो पानी मिल जाता है, लेकिन घर तक पहुंचा पानी कितनी यात्रा कर पहुंचा है और उसे यहां तक पहुंचाने के लिए कितना पैसा और कितना संसाधन लगा है यह हम नहीं जानते.  प्यास आधा गिलास की है लेकिन पूरा गिलास पानी लेते हैं और आधा फेंक देते हैं. क्या हमें पानी की अहमियत को समझने की जरूरत नहीं है? ग्रामीण इलाकों में तो महिलाओं और बच्चों को पानी लाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. पैदल लंबी दूरी तय कर पीने का पानी जुटाना संभव होता है. सतही जल को गंदा नहीं करें, हम सबको ऐसा प्रयास करना चाहिए. आज हमारी नदियां गंगा,यमुना, नर्मदा, कावेरी और झील, तालाब सब प्रदूषित हो रहे हैं. शहरीकरण के कारण अपशिष्ट नदियों में गिराए जा रहे हैं. नदियां और ताल तलैया मर रही हैं. सरकार नदियों और तालाबों को बचाने के लिए जो भी प्रयास कर रही है वह नाकाफी है. इसमें भ्रष्टाचार चरम पर होता है. अब सोचिए, जो व्यक्ति नदियों और तालाबों को प्रदूषण मुक्त करने की सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार कर रहा है, वह भी उसी शहर या अंचल में रहता है. वह और उसका परिवार वही प्रदूषित पानी पी रहा है. इससे जीवन पर भी विपरीत असर पड़ रहा है. लेकिन यह उसको समझ में नहीं आ रहा है कि वह भ्रष्टाचार कर पैसा तो जमा कर रहा है परंतु अपना जीवन स्वयं संकट में डाल रहा है हमारे देश में हर साल कोई न कोई चुनाव होता है, लेकिन हवा और पानी को  प्रदूषण मुक्त करना चुनाव का मुद्दा  नहीं बनता. नदियों को साफ करना मुद्दा नहीं बनता ऐसा क्यों होता है. सच पूछिए तो सरकार से ज्यादा उम्मीद भी नहीं की जा सकती. यह समाज का विषय ही ज्यादा है. समाज जागरूक होगा तो सरकार  को  जीवन से जुड़े इन विषयों पर ईमानदारी से काम करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. देश में ऐसे कई उदाहरण है जहां लोगों ने सक्रियता से इन कामों में भागीदारी की और उसके अच्छे परिणाम भी मिले. कहा जाता है कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिए होगा हर व्यक्ति को चाहिए कि अपने जीवन में एक युद्ध शुरू करें जो पानी को बचाने के लिए हो, नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए हो, तालाबों को बचाने के लिए हो. शास्त्रों को समझो और पानी को विनष्ट नहीं करो, ताकि अगले जन्म में मछली न बनो. खुद का जीवन बचाओ, अपनी पीढ़ियों और समाज को बचाने के लिए जरूर लड़ाई लड़ो.