अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखनी है तो ध्यान  मैं  रखें यह बात |


स्टोरी हाइलाइट्स

  अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखनी है तो ध्यान  मैं  रखें यह बात |       प्रसिद्ध होने पर मगरूर मत बनना   सामान्य रहना कमजोर मत बनना   आइए  एक कहानी से समझते हैं -   बाहर बारिश हो रहीं थीं और अंदर क्लास चल रही थी|   तभी टीचर ने बच्चों से पूछा- अगर तुम सभी को 100-100 रुपये दिए जाए, तो तुम उन पैसों का क्या करोगे???? किसी ने कहा- मैं वीडियो गेम खरीदुंगा…   तो किसी ने कहा- मैं क्रिकेट बेड खरीदुंगा…   किसी ने कहा- मैं अपने लिए एक प्यारी सी गुड़िया खरीदुंगी….   तो किसी ने कहा- मैं बहुत सारी चॉकलेट खरीदुंगी….   वही टीचर का ध्यान एक कॉर्नर में बैठे हुए बच्चे के ऊपर जाता हैं, जो बहुत ही गहराई से सोचने में लगा हुआ होता हैं|   टीचर ने तुरंत उससे पूछा- तुम क्या सोच रहे हो, तुम क्या खरीदोगे??   बच्चा बोला- टीचर जी माँ को थोड़ा कम दिखाई देता हैं, तो मैं अपनी माँ के लिए एक चश्मा खरीदुंगा….   इस पर टीचर ने पूछा- माँ के लिए चश्मा तो तुम्हारे पापा भी ले सकते हैं, तुम्हें अपने लिए कुछ नहीं खरीदना|   बच्चे ने इस बात पर जो जवाब दिया- वहां उपस्थित सभी बच्चों और उस टीचर की आंखों में आँसू आ गए|   बच्चे ने कहा- टीचर जो मेरे पापा अब इस दुनिया में नहीं हैं|   मेरी माँ लोगों के कपड़े सिलकर मुझे पढ़ाती हैं, और कम दिखाई देने की वजह से वो सही से कपड़े नहीं सिल पाती हैं|   इसलिए मैं अपनी माँ को एक चश्मा देना चाहता हूँ, ताकि मैं अच्छे से पढ़ सकूँ ,एक बड़ा आदमी बन सकूँ, और माँ को सारे सुख दे सकूँ|   इतना सुनने के बाद टीचर ने बड़ी विनम्रता से बच्चे से कहा कि- बेटा तेरी सोच ही तेरी सबसे बड़ी कमाई हैं|   ये 100 रुपये मेरे वादे के अनुसार और ये 100 रुपये और उधार दे रहा हूँ|   जब तुम एक सफल और बडे आदमी बन जाओगे तो मुझे लौटा देना|   मेरी इच्छा हैं कि तू इतना बड़ा आदमी बने, कि तेरे सर पर हाथ फेरते वक्त मैं धन्य हो जाऊँ|   20 वर्ष बाद ……….   बाहर बारिश हो रही थी और अंदर क्लास चल रही थी…..   अचानक से स्कूल के आगे से जिला कलेक्टर की बत्ती वाली गाड़ी आकर रुकती हैं|   स्कूल स्टाफ चौकन्ना हो जाते हैं|   स्कूल में सन्नाटा छा जाता हैं|   मगर ये क्या हुआ???   जिला कलेक्टर एक वृद्ध टीचर के पैरों में गिर जाते हैं….   और जिला कलेक्टर उस वृद्ध टीचर से कहते हैं कि, सर् मैं……….. 100 रुपये लौटाने आया हूँ|   पूरा स्कूल स्टाफ खड़े के खड़े रह जाता हैं और सभी के सबकी उन दोनों को देखते ही रह जाते हैं|   वृद्ध टीचर झुके हुए नौजवान को उठाकर भुजाओं में कस लेता हैं और रो पड़ता हैं|   तो दोस्तों यह कहानी हमें एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात सिखाती हैं कि जीवन में कितने भी बड़े आदमी क्यों ना बन जाओ, लेकिन कभी उसे मत भूल जाना जो आपके लिए मुसीबत की घड़ी में आपके साथ रहता हो|   प्रसिद्ध होने पर मगरूर मत बनना   सामान्य रहना कमजोर मत बनना   शहंशाह को फकीर और फकीर को शहंशाह में बनने में देर नहीं लगती