भारतीय वीरांगना: भीमाबाई होलकर


स्टोरी हाइलाइट्स

भीमाबाई इतिहास प्रसिद्ध अहिल्या बाई के दत्तक पुत्र तुकोजीराव के पुत्र यशवंत राव की पुत्री थी। पिता ने बाल्यकाल से ही भीमाबाई को घुड़सवारी तथा शस्त्र चलाने..

भारतीय वीरांगना: भीमाबाई होलकर
भीमाबाई इतिहास प्रसिद्ध अहिल्या बाई के दत्तक पुत्र तुकोजीराव के पुत्र यशवंत राव की पुत्री थी। पिता ने बाल्यकाल से ही भीमाबाई को घुड़सवारी तथा शस्त्र चलाने की शिक्षा दी थी। मातृभाषा मराठी के साथ भीमाबाई ने अपने पिता से फारसी का भी पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर लिया था।
यशवंत राव की रूपलिप्सा का लाभ उठाकर, अपने सौन्दर्य के आधार पर तुलसीबाई नामक दासी ने महाराज के मन के साथ-साथ राजभवन पर भी अधिकार कर लिया था। यशवंतराव की मृत्यु होने पर, इस अहंकारिणी दासी ने अपने दत्तक पुत्र के साथ प्रजा पर अत्याचार करने प्रारंभ कर दिए। प्रजा उसके अत्याचारों से त्राहि-त्राहि कर उठी। यह सब समाचार भीमाबाई को अपने ससुराल में मिलते रहे। पिता के राज्य की अव्यवस्था के समाचार से वह बहुत दुखी हुई। पति की मृत्यु हो जाने पर उसने कर्नल माल्कस से कहा-'जान पड़ता है कि होलकर राज्य एवं कुटुम्ब का अन्त समीप है। इस समय इस वंश और परिवार के गौरव की रक्षा करने वाला मेरे अतिरिक्त कोई रहा ही नहीं। मैं विधवा हूँ, मेरा कोई पुत्र भी नहीं है। मुझे संसार के इन प्रपंचों में न पड़कर भगवान् का भजन करना चाहिए, किन्तु पितृ-कुल के सम्मान-रक्षा के लिए मुझे राज्यकार्य में हाथ डालना ही होगा।
सन् 1817 में महीदपुर के मैदान में होल्कर की सेना का भाग्य ने साथ नहीं दिया, अंग्रेज विजयी हुए। भीमाबाई पराजय स्वीकार कर बैठ जाने वाली नारी नहीं थी। उसने छोटी-सी सेना संगठित की और शिवाजी का अनुकरण कर गुरिल्ला युद्ध छेड़ दिया। अंग्रेजी खजाने, चौकियां और सामग्री रखने के स्थानों पर लूट-पाट प्रारम्भ कर दी। रानी ने अपना निवास पहाड़ों में बनवाया हुआ था जो अज्ञात-प्रायः था। माल्कम विशाल सेना लेकर रानी की खोज में निकला और उसने केवल एक घुड़सवार के साथ रानी को जंगल में देख लिया। रानी को जीवित पकड़ने के विचार से माल्कम ने अपने सैनिकों द्वारा रानी को घेरे में लेने का प्रयास किया। भीमाबाई के आदेश पर घेरा होने से पहले ही घुड़सवार साथी जंगल का ओर निकल गया। अंग्रेज सैनिकों का घेरा पूरा हो गया। रानी ने धीरे-धीरे अपना घोड़ा माल्कम की ओर बढ़ाया। अंग्रेज सैनिक समझे कि रानी विवश होकर आत्मसमर्पण करने जा रही है, किन्तु जैसे ही रानी का घोड़ा माल्कम के निकट पहुँचा, रानी ने घोड़े को एड लगाई और घोड़ा माल्कम के सिर पर से छलांग लगाता हुआ, हवा हो गया। बन्दूक की गोलियाँ भी उसका बाल-बाँका न कर सकीं। सारी सेना देखती रह गई, किन्तु रानी का क्या हुआ, इतिहास इस दिशा में मौन है।