क्या भारत में स्वतंत्रता का दुरुपयोग हो रहा है? अतुल विनोद


स्टोरी हाइलाइट्स

भारत आज सही मायने में स्वतंत्र है| आज भारतीयों को जितने अधिकार मिले हुए हैं|

अतुल विनोद   भारत आज सही मायने में स्वतंत्र है| आज भारतीयों को जितने अधिकार मिले हुए हैं| शायद इससे पहले कभी नहीं थे| भारतीय आज पूरी तरह से उन्मुक्त, स्वतंत्र और अधिकार संपन्न है| आज उनके पास वह सारे हक और हुकूक है जो एक बेहतर जीवन के लिए चाहिए| इससे बड़ी स्वतंत्रता भारतीयों को पहले कभी नहीं मिली| हजारों साल से भारत और भारत के लोगों ने सिर्फ और सिर्फ गुलामी, लड़ाई, झगड़े,अमानवीयता,राजा-महाराजाओं-ज़मीदारों-रसूखदारों-मुगलों-अंग्रेजों की दमन और संघर्ष के दौर देखे|   आज भारत में हर व्यक्ति के पास अपनी बात रखने के अनेक मंच हैं| सरकारी संस्थाओं के साथ-साथ निजी स्तर पर भी सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात जन-जन तक पहुंचाने का हर जरिया हर भारतीयों के  पास मौजूद है|   आज सरकारें पहले से ज्यादा संवेदनशील है| पहले से ज्यादा पारदर्शी हैं| राज्य हो या केंद्र हर जगह राजनेता, मीडिया और सोशल मीडिया के दबाव में ही सही अपनी भूमिका को और बेहतर ढंग से निभाने की कोशिश दिखाई देने लगी है| ये  नहीं कि हम पूर्ण हो गए हैं, लेकिन हम पूर्णता की ओर अग्रसर हैं|   आसमान खुला है, आज महिलाओं को जितनी स्वतंत्रता और स्वच्छंदता है, जितने अधिकार हैं इससे पहले कभी नहीं रहे| आज अलग-अलग समाजों, ,धर्मों, संप्रदायों में पहले से ज्यादा जागरूकता है| इतना जरूर है कि इस अधिकार के दौर में कुछ भारतीय उन्मुक्त हो गए हैं| जाति और धर्म के झगड़ों में उलझ कर स्वतंत्रता का गलत फायदा उठा रहे हैं| जो सोशल प्लेटफॉर्म्स उसे अपनी अभिव्यक्ति के लिए मिले थे, संवाद बढ़ाने के लिए मिले थे, उन प्लेटफार्म का दुरुपयोग किया जा रहा है| इस स्वतंत्रता का बेजा फायदा उठाया जा रहा है| आने वाले दौर में भारतीयों को मिली इस  स्वतंत्रता पर शायद पुनर्विचार करना होगा|   देश में अब  ना तो उस तरह का दमन है न ही अत्याचार| योजनाएं हर वर्ग के लिए समान हैं| सबके लिए बराबर अवसर है इसके बावजूद भी 130 करोड़ लोगों के देश में बेहद कम संख्या में झगड़े, फसाद या अत्याचारों की घटनाएं होना यह नहीं बताती कि भारत परतंत्रता की ओर अग्रसर हो रहा है|   स्वतंत्रता को नकारात्मक रूप से प्रस्तुत करना परतंत्र मानसिकता की निशानी है| आज भारत पूरी तरह से स्वतंत्र है बेहतर हालात में है|  यदि भारत में लोगों को पर्याप्त स्वतंत्रता नहीं होती तो 70 साल में 30 करोड से 130 करोड़ यूं ही नहीं हो गए होते| लोगों को मनचाहे बच्चे पैदा करने की स्वतंत्रता है,  खास बात यह है कि आप कितने ही बच्चे पैदा करो सरकार उन सब को सरकारी योजनाओं का फायदा देने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई देती है|   सरकार अनाथालय, वृद्ध-आश्रम चला रही हैं, गरीबों के लिए रैन बसेरे चल रहे हैं, भिखारियों के लिए आश्रय स्थल बनाए गए हैं|   गरीबों के लिए एक एक रुपए  किलो में गेहूं चावल दिए जा रहे हैं,  गरीब परिवाओं के ज्यादातर मुखिया अपनी गरीबी में मस्त हैं| सरकारी योजनाओं का फायदा उठाकर वो दो वक्त की रोटी खाते हैं और अपनी कमाई को शराब पीने में लगाते हैं|   स्वतंत्रता के मद में डूबा युवा अपने कर्तव्यों से दूर सोशल मीडिया,पब और शराब खानों में अपनी प्रतिभा को झोक रहा है| लडकियों और लड़कों के अफेयर्स पर आज कोई प्रतिबन्ध नहीं है| स्वतंत्रता की आंधी में माँ बाप मजबूर हैं, बुजुर्ग तो आँख बंद करके बैठ गए हैं|   सरकारों को कोसना फैशन बन गया है| राजनेताओं को गाली देना परंपरा बन गई है लेकिन आज सुखद पहलू यह है कि राजनेता पहले से ज्यादा संवेदनशील है पहले से ज्यादा सजग हैं अपनी कुर्सी बचाने के लिए और फिर से क्षेत्र में जीतने के लिए मेहनत मशक्कत कर रहे हैं| राजनेताओं में भी सब दूध के धुले नहीं है लेकिन जनता भी कुछ कम नहीं है|   देश का ताना-बाना बिगाड़ने में देश के कुछ धार्मिक ख़लीफ़ा, सामाजिक और जातीय संगठन पीछे नही है| अंबेडकरवादी, ब्राह्मणों को गाली दे रहे हैं ब्राह्मण अंबेडकरवादियों को गाली दे रहे हैं|  फेसबुक पर हिंदू खुलेआम मुस्लिमों पर ज़हर उगल रहे हैं तो मुस्लिम हिंदुओं पर|   इतनी स्वतंत्रता पहले नहीं थी आज धर्म संप्रदाय और जातियां भी पहले से ज्यादा लोकतांत्रिक हो गई हैं पहले एक दूसरे के खिलाफ इतना जहर उगलना और बर्दाश्त करना शायद मुमकिन नहीं था, लेकिन आज टेलीविजन पर धार्मिक पाखंड के खिलाफ खुलकर बहस होती है और सभी पक्ष उसमें शामिल होकर अपनी अपनी बात रखते हैं| बहुत कुछ सुखद है तो बहुत कुछ दुखद भी है| लेकिन स्वतंत्रता में कोई कमी नहीं है| यह स्वतंत्रता का सर्वोत्कृष्ट दौर है जो शायद भारत के अलावा और किसी देश में नहीं|