क्या वेदों में केवल पुत्र की कामना करी गई हैं?


स्टोरी हाइलाइट्स

समाधान- आज समाज में कन्या भ्रूण हत्या का महापाप प्रचलित हो गया है। जिसका मुख्य कारण नारी जाति का समाज में उचित सम्मान न होना, धन आदि के रूप में...

समाधान- आज समाज में कन्या भ्रूण हत्या का महापाप प्रचलित हो गया है। जिसका मुख्य कारण नारी जाति का समाज में उचित सम्मान न होना, धन आदि के रूप में दहेज जैसी कुरीतियों का होना ,समाज में बलात्कार जैसी घटनाओं का बढ़ना ,चरित्र दोष आदि हैं जिससे नारी जाति की रक्षा कर पाना कठिन हो गया हैं। ऐसे में समाज में पुत्र की कामना अधिक बलवती हो उठी हैं एवं पुत्री को बोझ समझा जाने लगा हैं। कुछ लोगो ने यह कुतर्क देना प्रारम्भ कर दिया है कि वेद नारी को हीन दृष्टी से देखते है और वेदों में सर्वत्र पुत्र ही मांगे गई है। सत्य यह है कि वेदों में पत्नी को उषा के सामान प्रकाशवती- ऋग्वेद 4/14/3, ऋग्वेद 7/78/3, ऋग्वेद 1/124/3, ऋग्वेद 1/48/8, वीरांगना -अथर्ववेद14/1/47, यजुर्वेद 5/10, यजुर्वेद 10/26, यजुर्वेद 13/16, यजुर्वेद 13/18, वीरप्रसवा- ऋग्वेद 10/47/2-5, ऋग्वेद 4/2/5, ऋग्वेद 7/56/24, ऋग्वेद 9/98/1, विद्या अलंकृता- यजुर्वेद 20/84, यजुर्वेद 20/85, ऋग्वेद 1/164/49, ऋग्वेद 6/49/7, स्नेहमयी माँ- ऋग्वेद 10/17/10, ऋग्वेद 6/61/7, यजुर्वेद 6/17, यजुर्वेद 6/31, अथर्ववेद 3/13/7, पतिंवरा -(पति का वरण करने वाली) ऋग्वेद 5/32/11, यजुर्वेद 37/10, यजुर्वेद 37/19, यजुर्वेद 8/7, अथर्ववेद 2/36/5 , अन्नपूर्णा-  अथर्ववेद 7/60/5, अथर्ववेद 3/24/4, अथर्ववेद 3/12/2, यजुर्वेद 8/42, ऋग्वेद 1/92/8, सदगृहणी और सम्राज्ञी- अथर्ववेद14/1/17, अथर्ववेद 14/1/42, यजुर्वेद 11/63, यजुर्वेद 11/64, यजुर्वेद 15/63 आदि से संबोधित किया गया हैं जो निश्चित रूप से नारी जाति को उचित सम्मान प्रदान करते हैं। उदहारण के लिए वेदों में नारी जाति की यशगाथा के लिए कुछ वेद मंत्र प्रस्तुत कर रहे हैं। मेरे पुत्र शत्रु हन्ता हों और पुत्री भी तेजस्वनी हो।ऋग्वेद 10/159/3 यज्ञ करने वाले पति-पत्नी और कुमारियों वाले होते है।ऋग्वेद 8/31/8 प्रति प्रहर हमारी रक्षा करने वाला पूषा परमेश्वर हमें कन्यायों का भागी बनायें अर्थात कन्या प्रदान करे।ऋग्वेद 9/67/10 हमारे राष्ट्र में विजयशील सभ्य वीर युवक पैदा हो, वहां साथ ही बुद्धिमती नारियों के उत्पन्न होने की भी प्रार्थना हैं।यजुर्वेद 22/22 जैसा यश कन्या में होता हैं वैसा यश मुझे प्राप्त हो ।अथर्ववेद 10/3/20 इस प्रकार से नारी जाति की वेदों में महिमामंडन हैं नाकि उन्हें अवांछनीय मान कर केवल पुत्रों की कामना की गई हैं।