क्या भारत के युवाओं को पथभ्रष्ट करने की साजिश चल रही है? "PURAN YOUTH MANDAP"


स्टोरी हाइलाइट्स

भारतीय युवा देश आज़ाद होते ही  देश विदेशों में अपने ज्ञान और बुद्धिबल का लोहा मनवाते हुए उच्च पदों पर आसीन हो रहे थे। इससे विश्व चिंतित था कि बिन हथियार

भारतीय युवा देश आज़ाद होते ही  देश विदेशों में अपने ज्ञान और बुद्धिबल का लोहा मनवाते हुए उच्च पदों पर आसीन हो रहे थे। इससे विश्व चिंतित था कि बिन हथियार और एक रुपये ख़र्च किये भारत देश ने ज्ञानबल से चीन, जापान, श्रीलंका इत्यादि देशों में अपना वर्चस्व फ़ैलाया था। अब अध्यात्म के साथ यदि टेक्नोलॉजी और चिकित्सा में भारत का वर्चस्व हो गया तो पूरा विश्व भारत के आगे नतमस्तक हो जाएगा। और सबसे बड़ी आबादी वाला यह देश युवा भी है, 65% युवा है यहां। तो युवाओं को भ्रमित और लक्ष्य से भटकाने के लिए कुछ सुनियोजित योजना बनाई गई:- 1- युवाओं को भ्रमित और भ्रष्टाचार में लिप्त करने हेतु टीवी, फ़िल्म, विज्ञापन इत्यादि में माफ़िया के माध्यम से इन्वेस्ट किया गया। इसमें बताया गया कि मौज-मस्ती युवाओं को करना चाहिए। शराब और सेक्स को मार्केट किया गया। जिस देश मे चरित्र को सबकुछ माना जाता है, उस देश में लिव इन रिलेशनशिप, विवाह पूर्व मां बनना जैसी समस्याओं को उतपन्न किया गया। 2- जिस देश मे ईष्ट उपासना(जप और ध्यान)-साधना(स्वाध्याय-सत्संग) उनके चरित्र को गढ़ती थी। इसलिए कई फ़िल्म और सीरियल के ज़रिए उन्हें धर्म को पाखण्ड बता करके दैनिक उपासना से वंचित कर दिया गया। चरित्रहीन और व्यसनी युवा की फ़ौज से भारत के DNA को ही खराब करने की योजना रच दी गयी। 3- भारत देश सेवा प्रधान था, यहां अतिथि देवो भव का भाव था , संयुक्त परिवार परम्परा थी। विभिन्न  सँस्कार गर्भ से मृत्यु तक थे। इस पर भी फ़िल्म, टीवी और विज्ञापन एजेंसी ने कुठाराघात कर, एकल परिवार और स्वार्थ केंद्रित दृष्टिकोण गढ़ा गया। 4- करीब करीब प्रत्येक फ़िल्मों में रेप की घटना गढ़ी गयी। प्रत्येक युवा लड़के को वहसी और चरित्र हीन बताया गया। लड़की-लड़कों के वासनात्मक भाव को जगाने हेतु तरह तरह के गाने रचे गए। मेरी बातों पर न विश्वास हो तो गूगल से गानों की लिस्ट निकाले और ऐसे गाने छांटने की कोशिश करें जिसमें लड़की और शराब ये दो बातें न हों। स्वयं पता चल जाएगा। साथ ही देश मे बढ़ती रेप की घटनाएं इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। आजकल तो बच्चे हो या टीचर दोनों ही सुरक्षित नहीं। 5- सन 2005 तक भारत मे सभी विदेशों की यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी नेट पर उपलब्ध थी। कि किस देश पर कहाँ क्या रिसर्च चल रहा है, लेकिन इसे भी विदेशियों ने बन्द कर दिया। 6- लेकिन इन सब के बाबजूद सिर्फ़ बड़े घर के और उच्च मध्यमवर्गीय लड़के ही बिगड़े। तो विदेशियों ने युवाओं को पुनः भटकाने हेतु स्कूल कॉलेज को निशाना बनाया, ड्रग्स को स्कूल-कॉलेज में उपलब्ध करवाया। जिससे अधिक तेज़ी से युवाओं को नशे में धकेला जा सके और कमाई भी हो सके। 7- whatsapp, facebook, Instagram जैसे शोशल मीडिया के माध्यम मुफ़्त उपलब्ध करवाए गए, विभिन्न प्रकार के वीडियो गेम इत्यादि उपलब्ध करवाए। नए नए मॉल में बार, पार्टी स्थल को रंगीन बनाया गया। कुछ भी करके येन केन प्रकारेण भारतीय युवाओं को ज्ञान की खोज से वंचित रखा जा सके । स्त्रियों को लुभावने टीवी सीरियल से बांध दिया ताकि वो अच्छी पुस्तको के स्वाध्याय और उपासना-साधना से वंचित हो जाये। तरह तरह के भौंडे फैशन में लिप्त कर दिया। 8- जब अज्ञानग्रस्त माता-पिता बच्चो को जन्म देंगें तो महान बच्चे जन्मने और गढ़ने की संभावना ही समाप्त हो जाएगी। टीवी सीरियल और फ़ैशन में लिप्त माता और नशे में डूबा अस्त व्यस्त दिमाग का पिता होगा तो विवेकानन्द, शिवाजी, भगतसिंह, बुद्ध इत्यादि श्रेष्ठ सन्तानों का उत्पादन ही बंद हो जाएगा। 9- निगेटिव रोल, आतंकवादी और डॉन के क़िरदार उन एक्टर से करवाया गया जो जन लोक प्रिय थे। जिससे आतंक को युवा आदर्श बना सके। 10- राजनीति में भी आतंकियों ने इन्वेस्ट किया, जातिवाद की, आरक्षण को पुनः लाइम लाइट में लाकर दंगे करवाये। जिससे युवा अपनी योग्यता न बढ़ाए और आरक्षण से अयोग्य होते हुये भी जॉब पाएं। योग्य उम्मीदवार हताश हो जाये। उनमें कुंठा भर जाए। देश की सम्पत्ति को भारी नुकसान आरक्षण के नाम पर देशवासियों से नुकसान करवाया। क्या करें - युवाओं को उपासना-साधना-ध्यान-योग-प्राणायाम से जोड़ें, शारिरिक-मानसिक-आध्यात्मिक-सामाजिक-पारिवारिक स्वास्थ्य सम्वर्धन के कार्यक्रम चलें , साथ ही उनमें अंतर्दृष्टि विकसित हो, उनका सही दृष्टिकोण विकसित हो, जिससे सही गलत का अंतर समझ सकें, स्व निर्माण और स्व सुधार कर के राष्ट्र निर्माण कर सके। श्वेता चक्रवर्ती