जीवन में दुख ज्यादा है कि सुख? Why There is joy and Sorrow (Including Pain) in Human Life? Newspuran


स्टोरी हाइलाइट्स

https://youtu.be/qW2vM1DnV7Y दुख और सुख एक दूसरे के सापेक्ष हैं| हर एक व्यक्ति के दुख और सुख का स्तर अलग होता है| ज्यादातर लोगों की शिकायत ये है कि लाइफ में दुख ज्यादा है सुख कम| हालांकि यह दृष्टिकोण पर भी निर्भर करता है लेकिन फिर भी बहुसंख्यक आबादी दुख को ज्यादा फील करती है| भारत के दार्शनिकों का मानना है जन्म लेने वाली हर चीज दुख भरी होगी| दरअसल हम दुख की एक बड़ी प्रक्रिया के साथ ही जन्म लेते हैं| तब स्मृति उतनी मैच्योर नहीं होती कि आपको अपने जन्म की प्रक्रिया के समय महसूस हुआ जो याद हो| लेकिन जब आप पैदा हो रहे थे तब आप जबरदस्त कष्ट में थे| पैदा होते से ही आप खूब रोये थे| आप को जन्म देने में आपकी माता को कितना कष्ट हुआ होगा आप समझ भी नहीं सकते| जन्म लेने वाला और जन्म देने वाला दोनों ही अपने जीवन की सबसे तकलीफ देह स्थिति से गुजरते हैं| इससे साफ हो जाता है की तकलीफ जन्म की अनिवार्य शर्त है| और जब जीवन की शुरुआत ही तकलीफ से हुई है तो उसके बिना जीवन पूरा हो जाएगा संभव नहीं| तकलीफ हमारा पहला साथी है| जन्म लेने के बाद हम पहले रोए थे हंसना तो हम बहुत बाद में सीखते हैं| इसलिए दुख और तकलीफ से भागा नहीं जा सकता क्योंकि यह गॉड गिफ्ट है| इस बात का हमारे पास कोई जवाब नहीं कि भगवान ने दुख क्यों दिया है| भारत के कुछ दार्शनिक और तत्वविद तो जीवन को ही दुख ही मानते हैं| इस पृथ्वी को मृत्यु लोक कहा गया है| जहां जन्म के बाद मृत्यु अनिवार्य है| जन्म और मृत्यु दोनों ही दुख की प्रक्रिया से ही प्राप्त होते हैं| शरीर को मजबूत बनाना हो तो उसे हार्ड एक्सरसाइज की तकलीफदेह प्रक्रिया से गुजारना होता है|