करणी माताजी: जहां चूहों को भोग लगाने से प्रसन्न होती है माता


स्टोरी हाइलाइट्स

राजस्थान के बीकानेर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर देशनोक नामक कस्बे में स्थित करणी माताजी के मंदिर के बारे में बताने जा रहें हैं।

करणी माताजी: जहां चूहों को भोग लगाने से प्रसन्न होती है माता राजस्थान के बीकानेर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर देशनोक नामक कस्बे में स्थित करणी माताजी के मंदिर के बारे में बताने जा रहें हैं। इस मंदिर की अजीब बात यह हैं कि यहां माता को प्रसन्न करने हेतु चूहों को प्रसाद खिलानी पड़ती हैं और इन चूहों की संख्या 2 हजार से अधिक बताई जाती हैं। कहा जाता है कि यह चूहे करणी माता के परिवार के सदस्य हैं और इन चूहों की झूठी प्रसाद खाने से ही माता प्रसन्न होती हैं। करणी माता बीकानेर राजघराने की कुलदेवी हैं और इन्हीं के आशीर्वाद से बीकानेर और जोधपुर अस्तित्व में आए हैं।  सफेद चूहें का हैं खास महत्व-  राजस्थान में करणी माता का यह मंदिर चूहों के मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। इस मंदिर की ख्याति समूचे भारत में फैली हुई हैं। यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु को पैर घसीटते हुए जाना होता हैं। क्योंकि यहां चूहों की तादाद बड़ी संख्या में हैं। अगर पैर उठाकर चले तो चूहों को हानि पहुँचती हैं। मंदिर परिसर में चूहों द्वारा धमाचौकड़ी मचाना आम बात हैं। मंदिर में अधिकांश काले चूहें नजर आते हैं। लेकिन अगर सफेद चूहा नजर आ जाए तो उसे पुण्य माना जाता हैं। यहां आने वाले भक्तों का कहना हैं कि अगर सफेद चूहें को देखकर अगर कोई मनोकामना करते हैं तो वह जल्द ही पूरी हो जाती हैं। चांदी की थाली में लगता हैं भोग- मंदिर में दूध, मिठाई आदि प्रसाद के रूप में चूहों के लिए चांदी की एक बड़ी थाली में भोग लगाया जाता हैं। बताया जाता हैं कि चूहों की झूठी प्रसाद खाने से करणी माता प्रसन्न होती हैं। मंदिर के दरवाजे चांदी और छत बना हैं सोने से- करणी माता के मंदिर का दृश्य श्रद्धालुओं को लुभाने वाला हैं। माता का मंदिर संगमरमर से बना हुआ हैं जो काफी सुंदर और भव्य नजर आता हैं। कहा जाता हैं कि माता करणी साक्षात माँ जगदम्बा का अवतार हैं और मंदिर निर्माण हेतु बीकानेर राजघराने के राजा को माता ने दर्शन दिए थे। जिसके बाद से राजा ने मंदिर का भव्य रूप से निर्माण करवाया। मंदिर के मुख्य दरवाजे पर संगमरमर पर विशेष नक्काशी की गई हैं। जिसे देखने हेतु लोग यहां आते हैं। मंदिर के द्वार चांदी के हैं एवं छत का निर्माण सोने से किया गया हैं। मंदिर में वर्ष भर कोई ना कोई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं।