जाने क्या होते हैं "स्पष्ट" ग्रह जिनके प्रभाव को महाशक्ति भी नहीं रोक सकती।


स्टोरी हाइलाइट्स

जब कोई ग्रह अपने भाव, उच्च राशि, स्थायी भाव को छोड़कर किसी अन्य भाव में स्थित हो जाए तो वह शंकित ग्रह कहलाते हैं।शंकित ग्रह के कुप्रभाव से बचने के लिए इस संदेहात्मक स्थिति का लाभ उठाया जा सकता है।

Univers-Newspuranजब कोई ग्रह अपने भाव, उच्च राशि, स्थायी भाव को छोड़कर किसी अन्य भाव में स्थित हो जाए तो वह शंकित ग्रह कहलाते हैं।शंकित ग्रह के कुप्रभाव से बचने के लिए इस संदेहात्मक स्थिति का लाभ उठाया जा सकता है।राहु, केतु, शनि पाप ग्रह हैं और इसके इलावा अशुभ मंगल भी पापी ग्रह हैं ।

ग्रहों का बल

1. स्थान बल-जो ग्रह उच्च, सम, मित्र गृह व दृष्टिकोणस्थ होता है वह ग्रह बली कहलाता है। चन्द्रमा व शुक्र, वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, गुरू, शनि, मेष, मिथुन, सिंह, धनु, कुम्भ में स्थान बली कहलाते हैं।

2. दिग्बल-लग्न में बुध व गुरू चतुर्थ भाव में, शुक्र चन्द्रमा सप्तम भाव में, शनि तथा दशवें भाव में सूर्य व मंगल हों तो वे दिग्बली कहलाते हैं। 3. काल बल-रात्रि में जन्म लेने वाले जातक की कुण्डली में चन्द्रमा, शनि तथा मंगल एवं दिन में जन्म लेने वाले की कुंडली में सूर्य, बुध और शुक्र काल बल कहलाते हैं।

4.नैसर्गिक बल-शनि से मंगल, मंगल से बुध, बुध से गुरू, गुरू से शुक्र और चन्द्र से सूर्य उत्तरोत्तर बली कहलाते हैं।

5. दृग्बल-शुभ ग्रहों से देखे जाने वाले सभी ग्रहों दृग्बल कहलाते हैं।

6. चेस्टा बल- मकर, कुंभ, मीन, मेष, वृष व मिथुन राशियों में सूर्य व चन्द्रमा तथा गुरू, चन्द्रमा व मंगल और बुध, चन्द्रमा व शनि साथ-साथ बैठे हों तो चेष्टा बली कहलाते हैं।
ग्रहों के स्वामी सिंह ग्रह के स्वामी-सूर्य, कर्क का चन्द्रमा मेष व वृश्चिक के–मंगल, मिथुन व कन्या के बुध, धनु और मीन के-गुरू, वृष व तुला के-शुक्र, मकर व कुंभ के-शनि और कन्या राशि के स्वामी-राहू हैं। स्वगृही ग्रह एवं स्पष्ट ग्रह अपनी राशि में स्थित ग्रह "स्वगृही" कहलाते हैं। अर्थात सूर्य पांचवें भाव में, चन्द्र चौथे भाव में, मंगल प्रथम अष्टम भाव में, बुध तीसरेव छठे भाव में, गुरू नौंवे व बारहवें भाव में, शुक्र द्वितीय व सप्तम भाव में और शनि दशवें व ग्यारहवें भाव में विराजमान हों तो "स्वगृही' कहे जायेंगे। जो ग्रह अपना पूर्ण प्रभाव (बिना किसी शत्रु के प्रभाव के) दे रहा है तो उसे स्पष्ट ग्रह कहे जाते हैं। स्पष्ट ग्रह पूर्णतः समर्थ होने के कारण अपना स्पष्ट और पूर्ण प्रभाव देते हैं। इसके शुभाशुभ प्रभाव को महाशक्ति भी नहीं रोक सकती।