जानिए आज का बजट ऑटोमोबाइल के लिए क्यों है खास..


स्टोरी हाइलाइट्स

Today's budget has brought very good news for vehicle buyers because in the coming days, the prices of vehicles can come down by about three percent.

जानिए आज का बजट ऑटोमोबाइल के लिए क्यों है खास.. आज का बजट वाहन खरीदने वालों के लिए बहुत ही अच्छी खबर लेकर आया है क्योंकि आने वाले दिनों में वाहनों की कीमतों में करीब तीन  फीसदी तक की कमी आ सकती है. इसमें कमी लाने के लिए सभी स्टील उत्पादों की आयात शुल्क में कमी की गई है. अब इस बजट में स्टील उत्पादों पर आयात शुल्क को 12.5 फ़ीसदी से कम करके 7.5% कर दिया गया है. इसमें की गई कमी से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि सभी प्रकार के वाहनों को बनाने में स्टील सबसे मुख्य है. साथ ही अब इसमें कमी के चलते वाहनों की कीमतों में करीब तीन फीसदी तक कमी आ सकती है. जानकारों का कहना है कि वाहनों को बनाने के लिए स्टील अहम रहता है. वाहनों को बनाने के लिए स्टील की भूमिका 30 फ़ीसदी से लेकर 60 फ़ीसदी तक की होती है. ऐसे में जब वाहन बनाने की लागत में कमी होगी तो कंपनियां ग्राहकों के लिए भी इनकी कीमतों में करीब 3 फ़ीसदी तक घटा सकती हैं. 2021 की शुरुआत में ही सभी कार कंपनियों ने अपने वाहनों की कीमतें यह कहते हुए बढ़ाई थीं कि उनके उत्पादन की लागत बढ़ रही है. उन्होंने बताया था कि उत्पादन लागत बढ़ने की सबसे मुख्य वजह स्टील के दामों में एक दम से बढोतरी होना ही था. लेकिन जब आज बजट में स्टील का आयात शुल्क घटा दिया गया है तो ऐसे में कंपनियों की लागत भी घटने की उम्मीद है. 15 साल से पुराने वाणिज्यिक वाहन और 20 साल से पुराने पैसेंजर वाहन अब स्क्रेपेज पॉलिसी के दायरे में शामिल किए गए हैं.  ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन का मानना है कि अगर 1990 को आधार माना जाए तो लगभग 37 लाख वाणिज्यिक वाहन और लगभग 52 लाख पैसेंजर व्हीकल इसके दायरे में आ जाएंगे. अगर ऐसे में वाणिज्यिक वाहनों का 10 फ़ीसदी और पैसेंजर वाहनों का 5 फ़ीसदी भी स्क्रेपेज में जाता है तो इससे ऑटोमोबाइल उद्योग में बढोतरी देखी जा सकती है. बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और असम में नए हाईवे बनाने का एलान किया है. इसके अलावा 19 हज़ार 500 किलोमीटर के भारतमाला प्रोजेक्ट को भी मंजूरी दे दी गई है. इसके चलते वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में तेजी के साथ रफ्तार आएगी और बीते 2 सालों के दौरान सबसे ज्यादा मार वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री पर ही पड़ी है.