वैलेंटाइन डे : हर रिश्ते को मित्रता में बदलने का अवसर बनाएं |


स्टोरी हाइलाइट्स

मित्रता सच्चे प्यार का सर्वोच्च रूप है| रिश्ता कोई भी हो उसमें मित्रता होने जरूरी है| 

ATUL VINOD :- वैलेंटाइन डे : हर रिश्ते को मित्रता में बदलने का अवसर बनाएं| Let-us turn The Valentine Day into an occasion to make every relation a friendly relationship मित्रता सच्चे प्यार का सर्वोच्च रूप है| रिश्ता कोई भी हो उसमें मित्रता होने जरूरी है|  आमतौर पर दो अजनबियों के बीच के प्रगाढ़ रिश्ते को ही मित्रता कहा जाता है|  लेकिन फ्रेंडशिप एक ऐसा शब्द है जिसकी मौजूदगी जिस रिश्ते में हो उसमें चार चांद लग जाते हैं| मित्रता किसी के भी प्रति अपने प्रेम को दिखाने की सबसे ऊंची मानवीय अभिव्यक्ति( हायर एक्सप्रेशन ऑफ लव) है|  यूं तो हर रिश्ते में प्रेम होता है लेकिन रिश्तो से जुड़े हुए प्रेम के दायरे संकुचित होते हैं लेकिन मित्रता के पीछे छिपा हुआ प्रेम असीम होता है अपेक्षाओं से रहित होता है उम्मीदों से परे होता है| फ्रेंडशिप भी यूं तो एक रिश्ता ही है लेकिन मैत्री का भाव रिश्ते की सीमाओं से भी ऊपर है जो रिश्ते के अंदर भी हो सकता है और रिश्तो के बाहर भी हो सकता है| जैसे ही मित्रता में स्वार्थ कामुकता या लेनदेन का भाव आ जाता है तो वह मित्रता नहीं रह जाती वह एक  सामान्य रिश्ता बन जाता है| किसी से मित्रता का कारण यदि अमीरी है, उसका पद प्रतिष्ठा यह प्रभाव है, सुंदरता या यौवन है,ये मित्रता नहीं बल्कि एक आकर्षण ह यह आकर्षण जैसे ही खत्म होगा मित्रता भी खत्म हो जाएगी| मित्रता के पीछे कुछ आध्यात्मिक कारण भी होते हैं| कई लोग जो हमें अचानक मिलते हैं हम सहज  ही उनसे बंध जाते हैं इसके पीछे कोई ना कोई प्रारब्ध से जुड़ी हुई वजह होती है|  ये तब होता है जब प्रारब्ध का कोई संगी साथी या रिश्तेदार इस जन्म में अचानक हमें मिलता है| उसके साथ बंधी हुई डोर रिश्ते से कहीं आगे पहुंच जाती है| समझ लीजिए इसका कोई ना कोई हम से पुराना नाता है| मित्रता दो तरह से होती है|  किसी अजनबी व्यक्ति से जुड़ाव के कारण जो संबंध बनता है उसे मित्रता कहते हैं|  लेकिन हम हर संबंध में मित्रता के भाव पैदा करके उसे और अच्छे स्तर पर ले जा सकते हैं| जैसे माता-पिता और उनके बच्चों के बीच रिश्ते में भी मित्रता लाई जा सकती है| पति पत्नी के बीच भी मित्रता के भाव पैदा किए जा सकते हैं| यहां तक की जीव जंतुओं के साथ भी मित्रता स्थापित की जा सकती है|  प्रकृति के साथ मित्रता पूर्ण संबंध बनाकर हम सीधे परमात्मा से जुड़ सकते हैं क्योंकि प्रकृति परमात्मा का ही अभिन्न हिस्सा है| मित्रता न सिर्फ जीवित इकाइयों के बीच स्थापित होती है| मित्रता निर्जीव वस्तुओं से भी हो जाती है|  आपका घर, आपकी वस्तुएं भले ही बोल नहीं सकती लेकिन वह आपकी सच्ची मित्र होती हैं|  अध्यात्म विज्ञान कहता है कि मित्रता ईश्वर की शक्ति का प्रवाह है|  जिसे भी हम मित्र मानते हैं उसके माध्यम से हम तक ईश्वर का दिव्य प्रकाश पहुंचता है|  सच्चे मित्र को आकर्षित करने के लिए अपने अंदर से स्वार्थ को हटाना पड़ेगा|  स्वार्थी को स्वार्थी ही मिलेगा| हर तरह के मानवीय संबंध में स्वार्थ के दायरे को या तो हटा दे यह बहुत संकुचित कर दें|  मानवीय कमियां मित्रता में बाधा बनती हैं| मानवीय कमियां क्या हैं?  स्वार्थ, संकुचित सोच, लोभ, लालच ,नफरत, बैर बुराई भलाई यह सब  हमारी ऐसी कमियां है जो हर तरह के रिश्ते में खाई पैदा करती हैं|  जीसस, बुद्ध, महावीर जैसे अनेक महापुरुष है जिन्होंने उनसे भी मित्रता का भाव रखा जो उनका नुकसान कर रहे थे, उनके खिलाफ थे, उनके दुश्मन थे| मित्रता एक  विश्वव्यापी शक्ति  है|  मित्रता की शक्ति से आप अपने जीवन को अच्छा कर सकते हैं|  हमेशा अपने बारे में सोचते रहने से आप एकाकी हो जाते हैं और धीरे-धीरे आपका जीवन संकुचित होता चला जाता है| आप ऐसे लोगों को देखें जिनके अधिक मित्र हैं| आखिर वह कौन सी खूबियां हैं जिनकी वजह से लोग उनके पास खिंचे चले आते हैं? वैलेंटाइन डे हो या फ्रेंडशिप डे यह सभी दिन न सिर्फ अपनी मित्रता को मजबूती देने के लिए है| बल्कि मित्रता को एक  नए सांचे में ढालने के लिए भी हैं| मित्रता को किसी दिन या अवसर में संकुचित नहीं किया जा सकता, लेकिन यह दिन हमें फिर से अपनी दोस्ती के पैराडाइम को मजबूत करने का अवसर देते हैं|