ब्राह्मी के बनाए ब्रहमाजी जैसा -दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

Among the many wonderful herbs and vegetation that originate in India, there is such a person, who, after consuming them properly, becomes knowledgeable like Brahmaji.

ब्राह्मी के बनाए ब्रहमाजी जैसा -दिनेश मालवीय भारत में उत्पन्न होने वाली बहुत अद्भुत जड़ी-बूटियों और वनस्पतियों में एक ऐसी भी है, जिसका उपयुक्त रूप से सेवन कर मनुष्य ब्रहमाजी की तरह ज्ञानी हो जाता है. यह अतिश्योक्तिपूर्ण बात हो सकती है  और व्यक्ति ब्रह्माजी जैसा न भी हो, तो उसके मस्तिष्क और विचारों का ऐसा विकास हो जाता है कि वह बड़े से बड़ा काम कर सकता है. इस बूटी का नाम है- ब्राह्मी. आयुर्वेद में इसके विभिन्न उद्देश्यों के लिए सेवन के विधियों बतायी गयी हैं. शुद्ध ब्राह्मी बूटी ज़रा मुश्किल से मिलती है. ब्राह्मी के नाम पर नकली बूटी आपको आसानी से मिल जाएगी, लेकिन उससे कोई लाभ नहीं होता. इससे न केवल मस्तिष्क का विकास होता है, बल्कि विचारों में भी शुद्धता आती है. ब्राह्मी के बहुत से और भी नाम हैं. इनमें सोमवल्लभी, महौषधि, स्वयाम्भुवी, सुरश्रेश्ठा, सरस्वती, सोमय्लता, दिव्या, शारदा आदि शामिल हैं. आमतौर पर यह गीली और तर जमीन में उपजती है. वैसे तो यह पूरे भारत में जलाशयों के किनारे होती है, लेकिन हरिद्वार से बदरीनाथ मार्ग पर यह बहुतायत में पायी जाती है. इसका रस कड़वा होता है. आयुर्वेद के अनुसार ब्राह्मी शीतल, हलकी, कसैली, आयुवर्द्धक, स्वर को उत्तम करने वाली, स्मरणशक्ति को बढानेवाली और कुष्ठ, रक्त-विकार, खाँसी, विष, सूजन और बुखार आदि में बहुत लाभदायक होती है. यह कंठ को सुरीला बनाने वाली और ह्रदय को मजबूत करने वाली बूटी होती है. ब्राह्मी का मुख्य असर मस्तिष्क और मज्जा तंतुओं पर होता है. इससे दिमाग को ताकत मिलती है और यह उसके लिए बहुत अच्छी गिज़ा का रूप में काम करती है. उन्माद और मिर्गी आदि रोगों में भी यह बहुत लाभकारी होती है. बहरहाल, ब्राह्मी के सेवन के सम्बन्ध में कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए. नए और बहुत तीव्र रोगों में इसका सेवन नहीं करना चाहीये, क्योंकि इसके अन्दर कुछ उत्तेजित करने वाले तत्व होते है, जो तीव्र रोगों को बढ़ा देते हैं. नए और तीव्र उन्माद  के रोगियों को रेचक वस्तु देकर उसके बाद खुरासानी अजवायन के समान कोई शामक वस्तु देनी चाहिए. उन्माद और मिर्गी के पुराने होने पर उसमें एक ओर मस्तिष्क को पुष्ट करने वाली औषधियों की ज़रुरत होती है, वहीँ दूसरी ओर कुछ उत्तेजक औषधि देना भी ज़रूरी है. ब्राहमी को धूप में नहीं सुखाना चाहिए, क्योंकि धूप में इसके भीतर का तेल उड़ जाता है. वैसे तो आयुर्वेद्क दावा कम्पनियाँ आजकल इसकी गोलियां और सीरप भी बनाने लगी हैं, लेकिन इस महान बूटी को किसी विशेषज्ञ चिकित्सक के परामर्श से लिया जाए, तो यह अधिक गुणकारी होती है. बहुत से जानकार लोग और गुरुजन अपने रोगियों और शिष्यों को शरद पूर्णिमा के दिन जल में गर्दन तक खड़ा करके इसका सेवन करवाते हैं. इसके सभी गुणों का लाभ लेने के लिए दक्ष आयुर्वेद चिकित्सक का परामर्श अवश्य लेना चाहिए.