शिवराज की अदा जनता जिस पर जनता फिदा: शिवराज ने रचा इतिहास, आम होते हुए भी सबसे ख़ास


स्टोरी हाइलाइट्स

दुबली-पतली काया, सहज, सरल और बेहद साधारण शख्सियत लेकिन भीतर से बहुत आसाधारण आसमान को छूती लोकप्रियता बरकरार मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की....

शिवराज की अदा जनता जिस पर जनता फिदा शिवराज ने रचा इतिहास, आम होते हुए भी सबसे ख़ास   दुबली-पतली काया, सहज, सरल और बेहद साधारण शख्सियत लेकिन भीतर से बहुत आसाधारण आसमान को छूती लोकप्रियता बरकरार- जी हां, हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की. शिवराज सिंह चौहान, चौदह बरस से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री है, तेरह साल से कुछ ज्यादा समय तक लगातार मुख्यमंत्री रहने का कीर्तिमान रचा है. अपने ही अंतर्द्वंदों से पन्द्रह महीनों के कार्यकाल के बाद कांग्रेस की को सरकार गिर जाने के बाद, शिवराज सिंह ने पिछले साल मार्च में चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की बागडोर को संभाली है. गरीबी को बेहद करीब से देखने वाले शिवराज सिंह संघर्ष से उपजे जननेता है, या यूं भी कह सकते हैं संघर्ष का दूसरा नाम है. बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि विद्यार्थी जीवनकाल में अपने गृह ग्राम जैत में मजदूरी कम मिलने को लेकर अपनों से ही भिड़ जाने वाले शिवराज को परिवारजनों ने आड़े हाथों लिया था. गांव से शहर भोपाल में पढ़ने भेज दिये गये थे. https://youtu.be/mrG9yAAEgpQ गहरी संवेदना गरीबों पर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने और गरीब के उत्थान लिये कुछ कर गुजरने का उनका अपने स्वभाव बिलकुल नहीं बदला संघर्ष के इस बल पर मौलिकता और हर दिन कुछ सीखने की ललक ने ही उन्हें अर्श पर पहुंचाया. मुख्यमंत्री हो जाने और लगातार इस पद के निर्वहन के बावजूद शिवराज सिंह को पद का नशा नहीं हुआ. भाषण कला शिवराज की बहुत बड़ी शक्ति है. उनके भाषण दिल की गहराई से आते हैं. देश में अपनी अनूठी भाषण शैली के प्रसिद्ध पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी तक शिवराज की भाषण शैली के कायल थे. अपने भाषण में शिवराज सुनने वालों के साथ दिल से जुड़ जाते हैं. उनकी बातें हर सुनने वाले को अपनी ही बात लगती है. एकदम सरल भाषा, देशज अंदाज और लोकोक्तियों का सार्थक प्रयोग. जमीन न छोड़ने की आदत और आम आदमी से सीधे संवाद ने उन्हें नित-नई लोकप्रियता दिलाई है. हरेक गरीब, शिवराज सिंह में अपना अक्स देखता है. शिवराज सिंह, जब मध्य प्रदेश का मंदिर जनता को भगवान और स्वयं को पुजारी कहते है. तो आमजन, उनके इस कथन पर भरोसा करता है. उपहास नहीं उड़ाते. याद कीजिये साल 2020 के विधानसभा उपचुनाव के धुंआधार प्रचार को चुनावी मंच से जनता को दंडवत करने पर विरोधियों ने शिवराज सिंह को खूब घेरा था, तंज कसे थे, आरोप लगाये. इन आरोपों से शिवराज सिंह विचलित नहीं हुए, बल्कि दृढ़ता से हर सभा में जनता को दंडवत करने लगे. विधानसभा चुनाव नतीजों में नंबर गेम में भले ही पिछड़े, लेकिन कुल बोट प्रतिशत में बीजेपी ने सतत चौथी बार हरेक राजनीतिक दल को पीछे छोड़ा था. लगातार तेरह साल सीएम रहने वाले शिवराज सिंह पर कई तरह के आरोप लगे, भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर भी उन्हें खूब घेरा गया, मगर शिवराज सिंह हर बार राजनीति की काजल की कोठरी से पाक-साफ निकलते रहे. उन पर लगाए गए तमाम आरोपों पर खूब बवाल हुए, लेकिन तमाम आरोपों को राजनीतिक मानते हुए प्रदेश का आमजन सदैव शिवराज सिंह के पाले में खड़ा नजर आया. हर संकट से वह और अधिक ताकतवर होकर उभरे. किसान मजदूर गरीब महिलाओं और बच्चों से शिवराज सिंह ने विश्वास का ऐसा नाता कायम किया. जो बेमिसाल है. शिवराज सिंह को महिलाएं अपना भाई मानती है, बिना हिचक दर्द बयां कर देती है. प्रदेश भर के बच्चे, शिवराज सिंह में अपने मामा की छवि देखते हैं. मामा शिवराज सिंह के सामने खुलकर अपनी फरमाइशें रखते हैं. बुजुर्गों को उनमें अपना पुत्र नज़र आता है. मध्य प्रदेश को देश के सबसे विकसित राज्यों की पांत में ला खड़ा करने के लिए शिवराज सिंह न केवल खुली आंखों से सपने देखते है, बल्कि संभव हो पाने वाले सपनों को पुरा भी करते है. जिद, जुनून जज्वा, विनम्रता और विद्यार्थी भाव शिवराज सिंह की यूएसपी का मूल आधार है. आसाधारण होते हुए भी साधारण बने रहकर जनता की सेवा को परम-धरम मानकर शिवराज सिंह आगे बढ़ते है. मध्य प्रदेश के हर कोने में पहुंचकर अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति के आंसू पोछना उनको दिनचर्या में शुमार है. कोरोना काल से उपजे तमाम प्रतिकूल हालातों के बावजूद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और उनकी टीम मेंबर्स ने धैर्य नहीं खोया विचलित नही हुए, यहीं वजह है कि उम्मीद के मुताबिक पटरी पर लौटकर मध्य प्रदेश ने विकास की गति को एक बार फिर पकड़ लिया है.