मध्यप्रदेश : जहरीली शराब से मौत….. सभ्य समाज पर दाग
शासन नियंत्रित शराब व्यवसाय में कंपटीशन बढ़ाने की जरूरत….
“सरयूसूत मिश्र”
किसी भी समाज में ज़हरीली शराब से मौतें ऐसा दाग है जो हमें न केवल विचलित कर रहा है बल्कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सभी संभव उपाय करने के लिए प्रेरित कर रहा है| आज शराब अमीर, गरीब, पढ़े लिखे और अनपढ़, एक बड़ी आबादी के जीवन का हिस्सा बन गई है| शराब का सेवन सही है या गलत? इस विषय में नहीं जाऊंगा, लेकिन यह जरूर है कि कम से कम ऐसी शराब लोगों को मिले जो जानलेवा न हो| मुरैना में जहरीली शराब से 16 से अधिक लोगों की मौत मोतें हुई हैं| 3 महीने पहले ही उज्जैन में जहरीली शराब से 14 लोगों की जान गई थी| जहरीली शराब से अन्य राज्यों में भी मौतें होती हैं| मुरैना की घटना पर मुख्यमंत्री व्यथित हैं| श्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि यह दुखद और तकलीफ पहुंचाने वाली घटना है| सरकार ने सख्त कार्यवाही की| कलेक्टर एसपी सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन लिया गया| संभवत यह कार्यवाही इसलिए की गई क्यूंकि इन ज़िम्मेदारों ने अपनी जवाबदेही सही ढंग से नहीं निभाई| किसी घटना के बाद जवाबदेही तय करते हुए कार्यवाही तो मजबूरी है, लेकिन शासन व्यवस्था में जवाबदेही का पालन एक सतत प्रक्रिया है| चुनाव में काले धन पर लगाम ..नया कानून नही अमल की दरकार : सरयुसुत मिश्रा जवाबदेही केवल नीचे स्तर पर ही तय होगी यह भी सही नहीं है, शासन तंत्र के हर स्तर पर जवाबदारी की प्रक्रिया तय होना चाहिए और उसकी सख्त मॉनिटरिंग की जाना चाहिए| शिवराज सिंह चौहान बहुत संवेदनशील है ऐसे मामलों में हमेशा प्रभावित परिवारों के साथ दिल से जुड़कर हर संभव सहयोग करते हैं|अब प्रश्न यह है “जहरीली” शराब लोग क्यों पीते हैं| शराब का सेवन व्यक्ति की आदत और स्वभाव होता है| शासकीय स्तर पर व्यवसाय नियंत्रित होता है| देसी एवं विदेशी शराब की वर्तमान व्यवस्था में ठेके होते हैं| देसी शराब का उत्पादन प्रदेश की डिस्टलरी द्वारा होता है| शराब की दरें बहुत महंगी हो गयी हैं| देसी शराब के मामले में दो राज्य की डिस्टलरी की मोनोपोली है यह शराब भी महंगी है| साधारण लोग अपनी आदत के कारण पीना तो चाहते हैं लेकिन उनका पाकेट महंगी दर पर शराब खरीदने की अनुमति नहीं देता| इसी का लाभ उठाकर सस्ती दरों पर शराब बेचने वाले अवैध निर्माण करते हैं और यहीं से जहरीली शराब का जन्म होता है और सैकड़ों लोगों की जान चली जाती हैं| आदिवासी क्षेत्रों में परंपरागत रूप से महुआ की शराब बनाने की अनुमति है| ऐसी शराब के निर्माण में भी कई बार चूक होती है और ऐसी घटनाएं प्रकाश में आती हैं| जो उत्पाद इंसान की जिंदगी से जुड़ा है उस पर तो कोई लापरवाही होना ही नहीं चाहिए| लेकिन यह एक ऐसा सेक्टर है जहां से अकूत कमाई, इससे जुड़े सभी तंत्र को होती है| हाथ “गर्म” होने के बाद लापरवाही को अनदेखा किया जाता है जिसके इतने खतरनाक नतीजे सामने आते हैं| शराब का व्यवसाय शासन द्वारा नियंत्रित है इसलिए इस तरह की घटनाओं पर अपनी जवाबदारी से शासन बच नहीं सकता| ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है| शराब के व्यवसाय में ज्यादा से ज्यादा कंपटीशन हो| लोगों को हम दरों पर शराब मिले| ऐसी व्यवस्था करने की जरूरत है| शराब एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें शासन को बड़ी राशि के रूप में राजस्व मिलता है जो विकास के कामों में जनता के हित में खर्च होता है| जिस घर का चिराग जहरीली शराब से चला गया| उसकी स्थिति की कल्पना शायद वह नहीं कर सकता जिसने ऐसी स्थिति में भोगी नहीं है| जहरीली शराब से मौतें सभ्य समाज पर बद्नुमा दाग है| ऐसा आगे ना हो इसके लिए हर संभव कदम उठाया जाना चाहिए और इन को लागू करने के प्रति ईमानदारी भी दिखनी चाहिए|